Friday, December 11, 2009
कैसे बना उत्तरांचल राज्य
भारतीय गणतंत्र में टिहरी राज्य का विलय अगस्त 1949 में हुआ और टिहरी को तत्कालीन संयुक्तप्रांत का एक जिला घोषित किया गया। भारत व चीन युद्व की पृष्ठ भूमि में सीमान्त क्षेत्रों के विकास की दृष्टि से सन 1960 में तीन सीमान्त जिले उत्तरकाशी, चमोली व पिथौरागढ़ का गठन किया गया। एक नए राज्य के रुप में उत्तरप्रदेश के पुनर्गठन के फलस्वरुप उत्तरांचल की स्थापना 9 नवम्बर 2000 को की गई। सन 1969 तक देहरादून को छोडकर उत्तराखण्ड के सभी जिले कुमाऊं कमिश्नरी के अधीन थे। सन 1969 में गढवाल कमिश्नरी की स्थापना की गई जिसका मुख्यालय पौडी बनाया गया। सन 1975 में देहरादून जिले को जो मेरठ कमिश्नरी में शामिल था, गढवाल मण्डल में शामिल करने के उपरान्त गढवाल मण्डल में जिलों की संख्या पॉच हो गई थी जबकि कुमाऊं मण्डल में नैनीताल, अल्मोडा, पिथौरागढ, तीन जिले शामिल थे। सन 1994 में उधमसिह नगर और सन 1997 में रूद्रप्रयाग, चम्पावत व बागेश्वर जिलों का गठन होने पर उत्तराखण्ड राज्य गठन से पूर्व गढवाल और कुमाऊ मण्डलों में क्रमश छः जिले शामिल थे। उत्तराखण्ड राज्य में हरिद्वार जनपद के सम्मिलित किये जाने पर राज्य के गठन उपरान्त गढवाल मंडल में सात और कुमाऊं मण्डल में छः जिले शामिल हैं। दिनांक 01 जनवरी 2007 से राज्य का नाम उत्तरांचल से बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया है। राज्य का स्थापना दिवस 9 नवम्बर को मनाया जाता है। उत्तराखंड की सीमाऐं उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से मिलती हैं तथा पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसके पडो़सी हैं। देहरादून उत्तराखंड की अंतरिम राजधानी होने के साथ इस क्षेत्र में सबसे बड़ा नगर है। गैरसैन नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बनी हुई है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है।
Monday, October 19, 2009
डायन बता कर पांच महिलाओं को निर्वस्त्र किया
पीएफ घोटाले के आरोपी की मौत, जांच के आदेश
गाजियाबाद/लखनऊ। उत्तरप्रदेश में करोड़ों रुपए के पीएफ घोटाला मामले के मुख्य आरोपी आशुतोष अस्थाना की शनिवार को गाजियाबाद के दासना जेल में संदिग्ध स्थिति में मौत हो गई। राज्य सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। उधर, मृतक के परिजनों ने किसी साजिश की आशंका जताई है।
राज्य के जेल विभाग ने डीआईजी (जेल) की अगुवाई में जांच के आदेश दिए हैं। गाजियाबाद जिला प्रशासन भी मामले की अलग से न्यायिक जांच करा रहा है। करीब 20 करोड़ रुपए के पीएफ घोटाले का मुख्य आरोपी 43 वर्षीय आशुतोष जनवरी 2008 से जेल में था। शनिवार को उसे बैरेक पांच-बी में अचेत पाया गया। यह बैरेक निठारी कांड के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली की बैरेक से लगा हुआ है। जेल अधिकारियों के मुताबिक आशुतोष की मौत दिल के दौरे से हुई है। उसे अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
परिवार वालों को संदेह: उधर, परिजनों ने आरोप लगाया है कि जेल के अंदर ही जहर दिए जाने से आशुतोष की मौत हुई है। उनके अनुसार हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण आशुतोष की जान को शुरू से खतरा था, लेकिन जिला पुलिस ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। आशुतोष ने पिछले वर्ष सितंबर में सीबीआई कोर्ट में दिए बयान में एक सुप्रीम कोर्ट के जज तथा हाईकोर्ट व डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के कुछ जजों को मामले में जुड़ा बताया था।
जांच से चलेगा पता: गाजियाबाद पुलिस प्रशासन के मुताबिक मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट जल्द ही मिलने की संभावना है। आशुतोष की मौत अगर जहर देने से हुई है तो विसरा की जांसे इसका पता चल जाएगा। मृतक के विसरा को जल्द ही परीक्षण के लिए भेजा जाएगा।
Friday, July 10, 2009
गुजरात: जहरीली शराब से अब तक 125 मरे
दरअसल, जहरीली शराब पीने की वजह से मौतों का सिलसिला सोमवार से आरंभ हुआ था। अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार मध्य रात्रि तक 105 लोग अपनी जान गवां चुके थे।अधिकारियों ने बताया कि सिविल अस्पताल, एल।जी. अस्पताल, शारदाबेन अस्पताल और वी.एस. अस्पताल में भर्ती 149 मरीजों की हालत अभी तक नाजुक बनी हुई है।
गुजरात: जहरीली शराब से अब तक 24 की मौत;-सिविल अस्पताल में एक इंटर्न चिकित्सक ने बताया, “गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) मरीजों से भरा हुआ है और 60 से अधिक मरीज विभिन्न वार्डों में हैं”।उधर, गुजरात सरकार ने शराब के 1,200 अवैध ठिकानों को बंद करा दिया है और 800 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। राज्य गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार हुए लोगों में ज्यादातर शहरों, कस्बों और गांवों में शराब के अवैध कारोबार से जुड़े हैं।
Monday, June 8, 2009
पांच की मौत
फरीदाबाद : 24 घंटों में हुए अलग-अलग हादसों में पांच लोगों की मौत हो गई। इनमें तीन सड़क दुर्घटना के शिकार हो गए, जिनमें दो दोस्त थे, एक की सीढि़यों से फिसल कर मौत हो गई, जबकि एक ने फांसी लगाकर जान दे दी।जानकारी के अनुसार मेवला महाराजपुर निवासी संजीव (22) व राजेश (23) का गांव में ही किराना व मेडिकल स्टोर का काम है। दोनों दोस्त सेक्टर-31 में रोजाना सुबह जिम में एक्सरसाइज करने जाते थे। सोमवार सुबह भी करीब साढ़े पांच बजे दोनों जिम जाने के लिए निकले थे। दोनों मोटर साइकिल पर सवार थे। जब वे मेवला मोड़ पार कर सेक्टर-31 की तरफ जाने लगे तो एक तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने उनकी मोटर साइकिल में टक्कर मार दी। दुर्घटना इतनी जबरदस्त थी कि दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद ट्रैक्टर चालक मौके से फरार हो गया। सूचना मिलने पर पुलिस ने दोनों को बादशाह खान अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने दोनों के शवों का पोस्टमार्टम करवाकर उनके परिजनों को सौंप दिया है।दूसरी घटना में गाजीपुर, डबुआ निवासी रमेश दिल्ली में राज मिस्त्री का काम करता था। उसका एक दोस्त पल्ला निवासी बबलू भी दिल्ली में प्लंबर का काम करता है। रविवार रात को दोनों काम निपटा कर दिल्ली से लौट रहे थे। दोनों मोटर साइकिल पर सवार थे। जब दोनों बाईपास रोड पर पहुंचे तो सेक्टर-37 के पास पहुंचे तो एक तेज रफ्तार टाटा-407 ने उनकी मोटर साइकिल में टक्कर मार दी, जिससे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। दोनों को गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डाक्टरों ने रमेश को मृत घोषित कर दिया। बबलू का अस्पताल में उपचार चल रहा है। एक अन्य मामले में खेड़ी कलां निवासी मकसूद कारपेंटर का काम करता था। वह सेक्टर-89 में निर्माणाधीन भवन में काम कर रहा था। सोमवार को वह भवन की चौथी मंजिल से तीसरी मंजिल पर लकड़ियां उतार रहा था, इसी दौरान उसका पैर फिसल गया और नीचे आ गिरा, जिससे उसकी मौत हो गई।चौथे मामले में मूलरूप से टप्पल, अलीगढ़ निवासी राकेश यहां एसजीएम नगर में अपनी बहन के पास रहता था और कार मेकैनिक का काम करता था। रविवार रात को काम से लौटने के बाद वह खाना खाकर सोया। सुबह जब वह काफी देर तक नहीं उठा तो घर के अन्य सदस्यों से उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया, मगर अंदर से कोई जवाब नहीं मिला। इस पर उन्होंने कमरे का दरवाजा तोड़ा तो देखा कि वह पंखे से फंदा लगाकर झूल रहा था। घटना की खबर पुलिस को दी गई। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शव को नीचे उतारा और उसे कब्जे में ले लिया।