Sunday, September 28, 2008

हवेलियों से भरा-पूरा है शेखावटी

डुंडलोद स्थित गोयनका हवेली खुर्रेदार हवेली के नाम से प्रसिद्ध है। स्थापत्य का अप्रतिम उदाहरण इस हवेली का निर्माण उद्योग कर्मी अर्जन दास गोयनका द्वारा करवाया गया था जो अपने समय के सुविज्ञ और दूरदर्शी थे। व्यापार-व्यवसाय से जुडे होने के बावजूद वे लोक रंग लोकरीति और लोक कलाओं के संरक्षण के प्रबल इच्छुक थे और इसलिए उन्होंने अपनी इस विशालकाय चौक की हवेली के बाहर दो बैठकें, आकर्षक द्वार और भीतर सोलह कक्षों का निर्माण करवाया था जिनके भीतर कोटडियों, दुछत्तियों, खूटियों, कडियों की पर्याप्त व्यवस्था रखी गई थी। उन्हें प्राचीन दुर्लभ ग्रंथों, आकर्षक बर्तनों, खाट-मुढ्ढियां, झाड-फानूस, आदमकद शीशों और औषधियों के लिए सुंदर बोतलों को एकत्रित करने का शहंशाही शौक था। उनके वंशज मोहन गोयनका ने सन् 1950 में हवेली के कुछ कमरे खोल कर देखे थे जिन्हें 2004 में फिर से खोल दिया गया है। भीतर से पूरी तरह चित्रांकित इस हवेली को नया रूप देने का कार्य 2000 में ही शुरू कर दिया था। उन्होंने यह सोचते हुए कि शेखावटी में कलात्मक और दुर्लभ वस्तुओं के प्रदर्शन का कोई संग्रहालय नहीं है, इस हवेली को एक अतुलनीय संग्रहालय बनाने का निर्णय लिया। इस घुमावदार खुर्रे की हवेली का भीतरी हिस्सा लोक चित्रों से भरा पूरा है जिनमें श्रीकृष्णकालीन लीलाओं के चित्रों की बहुतायत है। फतेहपुर में नंदलाल डेबडा की हवेली, कन्हैयालाल गोयनका की हवेली, नेमी चंद चौधरी की हवेली और सिंघानियों की हवेली ऐसी इमारतें है जिन्हें देखना पर्यटक पसंद करते हैं। महनसर में सेजराम पोद्दार की हवेली की सोने-चांदी की दुकान, पोद्दारों की छतरियां और गढ भव्य इमारतें हैं तो बिसाऊ में सीताराम सिगतिया की हवेली और पोद्दारों की हवेली का कोई जवाब नहीं है। रामगढ शेखावाटी में राम गोपाल पोद्दार की छतरी में राम कालीन कथा चित्रांकित है, घनश्याम दास पोद्दार की हवेली आकर्षक और कलात्मक है तो ताराचंद रूइया और रामनारायण खेमका हवेली के अपने आकर्षण हैं। झुंझुनूं में टीबडे वालों की हवेली और ईसरदास मोदी की सैकडों खिडकियों वाली भव्य हवेलियां हैं। मंडावा में सागरमल लडिया की हवेली, रामदेव चौखानी की हवेली मोहनलाल नेवटिया की हवेली रामनाथ गोयनका की हवेली हरी प्रसाद ढेंढारिया की हवेली ओर बुधमल मोहनलाल की भी दर्शनीय है। चूडी में शिवप्रसाद नेमाणी की हवेली भी कलात्मकता का परिचय देती है जहां शिवालय की छतरी में श्रीकृष्ण कालीन रासलीलाएं संगमरमरी पत्थरों पर अंकित हैं। चूरू में भी मालजी का कमरा, सुराणों का हवामहल, रामविलास गोयनका की हवेली, मंत्रियों की बडी हवेली और कन्हैयालाल बागला की हवेली दर्शनीय है।

सीवर पाइप में रुक सकता है भला कोई

ठहरने-घूमने की अजीबोगरीब जगहों की कडी में इस बार हम जिस जगह का जिक्र कर रहे हैं, वह वाकई कुछ ज्यादा ही अजीब है। उसक बारे में जानकर कुछ लोग नाक-भौं भी सिकोड सकते हैं। आखिर, जिराफ के घर से लेकर कंदराओं और समुद्र की गहराइयों के बाद अगर हम आपसे एक मोटी सी सीवर पाइपलाइन में रुकने को कहें तो अजीब लगेगा ही। आप ये भी कह सकते हैं कि- यह भी कोई रुकने की जगह हुई? लेकिन जनाब, यह वाकई रुकने की जगह है। यूरोप में ऑस्ट्रिया के लिंज शहर में डेन्यूब नदी के किनारे स्थित दास पार्क होटल पुराने सीवर पाइपों में है। निश्चिंत रहें, इन पाइपों का इस्तेमाल अब सीवर के लिए नहीं होता। लेकिन ये वाकई एक जमाने के सीवर पाइप हैं जो अब कमरों की शक्ल ले चुके हैं। चूंकि छोटे-छोटे पाइप हैं, इसलिए बडी होटलों के शानदार स्वीट की सहूलियतें तो यहां नहीं मिल पाएंगी। लेकिन ये रुकने की बुनियादी जरूरतें जरूर पूरी करते हैं। अगर इन्हें कमरा कहा जाए तो इन कमरों में डबल बेड है, सामान रखने की जगह है, बिजली है, ऊनी कंबल हैं और सूती स्लीपिंग बैग। सीवर पाइप यानी कमरे में बस इतना ही है, बाकी सहूलियतें-जैसे कि टॉयलेट, शॉवर, मिनी बार, कैफेटेरिया वगैरह उस सार्वजनिक परिसर में हैं जिसमें दास पार्क स्थित है। जब भी उनका इस्तेमाल करना हो, कमरे से बाहर जाकर करें। होटल में ऐसे तीन पाइप यानी कमरे हैं। आर्टिस्ट एंड्रियाज स्ट्रॉस ने साधारणता और रिसाइक्लिंग की अनूठी कवायद के तौर पर इस होटल को डिजाइन किया था। उन्होंने दस टन वजनी और साढे छह फुट व्यास वाले तीन मजबूत पाइपों को लिया। उनकी लंबाई इतनी थी कि उनमें एक डबल बेड समा सके। स्ट्रॉस ने पाइप में आसमानी रोशनी के लिए छेद किए। एक सिरा बंद करके दूसरे सिरे पर दरवाजे और इलेक्ट्रॉनिक लॉक लगाए। पाइप की पिछली दीवार को सुंदर कलाकृति की शक्ल दी, बेड व जरूरी सामान जुटाए और तीनों कमरों को डेन्यूब नदी के किनारे घास के मैदान में सजाकर रख दिया। लो हो गई होटल तैयार। इस होटल की एक और अनूठी बात है- यहां ठहरने का कोई किराया नहीं है। होटल की बुकिंग इंटरनेट पर होती है। उपलब्धता के आधार पर मांगी गई तारीखों की बुकिंग मिलती है। एक बार आपकी बुकिंग तय हो जाए तो फिर ई-मेल से ही आपको एक सिक्योरिटी कोड भेज दिया जाता है। यह सिक्योरिटी कोड आपके वहां पहुंचने के दिन दोपहर बाद तीन बजे से वापसी के दिन दोपहर 12 बजे तक प्रभावी रहता है। आप जाएं और कमरे के बाहर लगे इलेक्ट्रॉनिक ताले को सिक्योरिटी कोड से खोल लें। बाहर आते-जाते उसी कोड का इस्तेमाल करें। कमरे का किराया नहीं है, लेकिन आप अपनी इच्छा से जो चाहें राशि यूरो मुद्रा में छोड सकते हैं जिसके जरिये आप संचालकों की मदद करना चाहते हों। यह होटल केवल मई से अक्टूबर तक खुला होता है। बाकी समय यूरोप में कडाके की सर्दियों का होता है, इसलिए सीमेंट व कंक्रीट के पाइप में बगैर गरम होने के किसी इंतजाम के, रुकना मुमकिन नहीं। इसलिए अगर ऑस्ट्रिया जा रहे हैं जो वहां के तीसरे सबसे बडे शहर लिंज में इस अनूठी होटल का अनुभव जरूर लें। याद रहे, लिंज ऐतिहासिक व सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध शहर है। दास पार्क होटल में ठहरने का अनुभव भव्य नहीं लेकिन यादगार जरूर हो सकता है।

बेटे की तरह बनी मां-बाप का सहारा

बेटियां अब बोझ नहीं रही बल्कि बदलते वक्त ने उन्हें पुरुषों के बराबर ला खड़ा किया है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है गांव वाहला की लड़की बलवीर कौर ने। सुबह चार बजे ही पशुओं को दोह कर, पशुओं को चारा डालने से लेकर झाडू़ पोचा तक का सारा काम करने के बाद दिन भर खेतीबाड़ी का सारा काम खुद संभालती है। लड़की होने के बावजूद ट्रैक्टर चलाने में अच्छे-अच्छों को मात दे देती है। ट्रैक्टर से खुद खेत जोतना, खेत में बाट बटाना, नालियां बनाना, खेतों को पानी लगाना और खाद छिड़कना आदि उसके लिए घरेलू काम जैसा है। बलबीर कौर की जिंदगी उन लोगों की सोच पर गहरा कुठाराघात है जो सोचते हैं कि केवल लड़के ही माता-पिता का सहारा बनते हैं। एक बेटे की तरह बलबीर अपने माता-पिता का सहारा बनी हुई है। बेटे की तरफ खेतीबाड़ी कर घर परिवार संभाल उसने सिद्ध कर दिया है कि लड़कियों, लड़कों से किसी भी सूरत में कम नहीं है। खेतीबाड़ी करने के साथ-साथ वह पशु पालन विभाग से सिखलाई भी प्राप्त कर रही है। बेटे का फर्ज निभा रही बलबीर को गांव की बेटी का दर्जा भी मिला है। गांव वाहला का दौरा किया गया तो बलबीर कौर अपने खेतों में ट्रैक्टर से खेत जोत रही थी। बलबीर कौर ने बताया कि वह दसवीं कक्षा पास है। उसने बताया कि उसकी बड़ी बहन के अलावा एक बड़ा भाई है और वह घर में सबसे छोटी है। उसकी बड़ी बहन का विवाह हो चुका है। जबकि उसका भाई अपने परिवार के साथ अलग रह रहा है। बलबीर कौर ने बताया कि घर की वित्तीय हालत ठीक न होने के कारण और भाई की तरफ से काम में सहयोग न देने के कारण बुजुर्ग पिता को खेतों में कठिन मेहनत करती देखती थी तो दिल भर आता था। जब वह पांचवीं कक्षा में पढ़ती थी तब अपने पिता के खेतीबाड़ी के कार्यो में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। उसका पिता घर की आर्थिक हालत को सुधारने के लिए शहर में अकसर दूध देने जाया करता था। ऐसे में खेती का काम देखने के लिए कोई नहीं होता था। जिस कारण वह धीरे-धीरे खेती कार्यो में उसकी रुचि बढ़ती गई। दसवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने पक्के तौर पर खेतीबाड़ी के धंधे को अपना लिया। उसने बताया कि दूसरी लड़कियों को देखते कभी भी उसके मन में हार शिंगार करने का ख्याल नहीं आया है। उसने बताया कि कृषि से संबंधित हर छोटे से छोटे काम करने में उसको कोई परेशानी नहीं आती है। उसने बताया कि धान की खेती में बढ़ोतरी करने के लिए उसने आत्मा के डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर डाक्टर अमरीक सिंह से धान की नई तकनीक एसआरआई की तकनीक की जानकारी हासिल कर रही है। उसके अतिरिक्त सहायक धंधे के तौर पर डेयरी फार्मिग का धंधा शुरू करने के लिए डेयरी फार्मिग की सिखलाई लेनी शुरू की है। उसके पिता अजीत सिंह ने बताया कि बलबीर कौर ने खेती का काम इस तरह अच्छे तरीके से संभाला हुआ है कि कभी पुत्र के अलग रहने की कमी महसूस नहीं हुई। उसने कहा कि यदि वह कहीं बाहर जाता है तो उसे उसके बाद किसी काम की फिक्र नहीं होती। उसने बड़े गर्व से कहा कि बलबीर कौर जैसी लड़कियां हो तो बेटों से क्या लेना। लोग तो ऐसे ही बेटों की इच्छा में पागल हुए फिरते है। बलवीर कौर की मां भजन कौर ने बताया कि उसी बेटी ने कभी भी आम लड़कियों की तरह अच्छे कपड़े, गहने या कोई और वस्तु की मांग नहीं की। घर में जो भी रुखा-सूखा बना होता है चुपचाप खा लेती है। बेटी को कठिन मेहनत करते देख उसका दिल रो पड़ता है। परमात्मा से एक ही अरदास करती है कि उसको आगे अच्छा ससुराल परिवार मिले। उनकी आस है कि कोई सरकारी नौकरी पेशे वाला लड़का मिल जाए ताकि आगे जाकर खेतीबाड़ी के धंधे से राहत मिल सके। इस मौके पर सरपंच सुरजीत कौर के बडे़ लड़के तरसेम सिंह ने बताया कि शुरू-शुरू में गांव के लोगों की तरफ से उनको बलबीर कौर को खेतीबाड़ी के धंधे से हटाने के लिए दबाव डाला जाता रहा है परंतु आज पूरे गांव वाले बलबीर कौर पर मान महसूस करते हुए गांव की बेटी का दर्जा देते हैं।

Saturday, September 27, 2008

सीरिया में बम विस्फोट, 17 की मौत

सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक कार बम विस्फोट हुआ है जिसमें सरकारी टेलीविज़न पर प्रसारित ख़बरों के अनुसार कम से कम 17 लोग मारे गए हैं और अनेक घायल हुए हैं.:>ख़बरों के अनुसार इस बम विस्फोट में कम से कम 14 लोग ज़ख़्मी हुए हैं और वे सभी आम लोग बताए गए हैं.सीरिया के सूचना मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बीबीसी से बातचीत में हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई है.घटनास्थल पर मौजूद लोगों का कहना है कि सुरक्षा बलों ने इलाक़े की घेराबंदी कर दी है.जिस इलाक़े में यह बम विस्फोट हुआ है उसके पास ही एक शिया दरगाह है जो स्थानीय लोगों में ख़ासी लोकप्रिय है और पास में ही एक सुरक्षा चौकी भी है.सीरिया के दुनिया टेलीविज़न ने कहा है कि जिस कार के ज़रिए यह विस्फोट किया गया है उसमें लगभग 200 किलोग्राम विस्फोट सामग्री भरी हुई थी.सूचना मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया है कि सरकारी अधिकारियों ने इस बम विस्फोट की जाँच शुरू कर दी है.सीरिया में कार बम के ज़रिए इस तरह के विस्फोट आम घटना नहीं हैं क्योंकि वहाँ सत्तारूढ़ पार्टी का काफ़ी दबदबा और नियंत्रण है.फ़रवरी 2008 में एक भीषण कार बम धमाका हुआ था जिसमें हिज़बुल्लाह संगठन के एक वरिष्ठ नेता की मौत हो गई थी.ऐसा माना जाता है कि उसके बाद से कार बम विस्फोट की यह शायद पहली घटना है.अगस्त 2008 में एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद सुलेमान की बंदरगाह शहर तारतूस के निकट एक पर्यटक स्थल पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद सुलेमान को राष्ट्रपति बशर अल असद का नज़दीकी कहा जाता था.ब्रिगेडियर जनरल सुलेमान पर संवेदनशील सुरक्षा मुद्दों की ज़िम्मेदारी थी और उन्हें सीरिया की परमाणु गतिविधियों पर संयुक्त राष्ट्र जाँच के लिए देश का प्रमुख मध्यस्थ कहा जाता था.अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष मोहम्मद अल बारादेई ने गत शुक्रवार को कहा था कि ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद सुलेमान की मौत से संयुक्त राष्ट्र की इस जाँच में देरी हो सकती है.

आयातित दूध पर सरकार सांसत में

चीन में बच्चों के दूध में बेहद खतरनाक तत्वों के मिले होने की खबर पर अब जाकर भारत सरकार जागी है। सरकारी महकमों में बुधवार को उस समय हड़कंप मच गया था जब यह पता चला कि चीन से इस वर्ष लगभग 10 हजार टन डिब्बाबंद दूध का आयात हो चुका है।

आनन-फानन में बुधवार देर रात चीन से दूध और दुग्ध उत्पादों के आयात पर अगले तीन महीनों के लिए पाबंदी भी लगा दी गई। अब यह जांच-पड़ताल शुरू की गई है कि चीन में कई बच्चों को मौत की नींद सुलाने वाला मिलावटी दूध कहीं भारत भी तो नहीं पहुंच गया है। इसके लिए चीन से दूध आयात करने वाली कंपनियों का पता लगाया जा रहा है। यह छानबीन भी शुरू की गई है कि आयातित दूध का इस्तेमाल किस प्रकार किया गया है।सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार की नींद विश्व स्वास्थ्य संगठन की उस सलाह के बाद खुली है जिसमें चीन के पड़ोसी देशों को सतर्क किया गया था। इसके बाद मंगलवार को खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण की आपातकालीन बैठक बुलाई गई। बैठक के बाद डीजीएफटी से संबंधित आंकड़े मंगवाने पर यह साफ हुआ कि चीन से लगभग 10 हजार टन डिब्बाबंद दूध चालू वित्त वर्ष के दौरान आयात किया गया है। अब सरकारी महकमा यह तलाशने में जुटा है कि किन कंपनियों ने इसका आयात किया है।डीजीएफटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम अभी यह पता लगा रहे हैं कि चीन की जिन 22 कंपनियों के दूध में खतरनाक तत्व मिले हैं कहीं उन्होंने अपने उत्पाद का निर्यात भारत में तो नहीं किया है। इसके लिए बैच नंबर का मिलान किया जा रहा है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि किस तरह का दूध भारत लाया गया है। हालांकि यह साफ है कि ये दूध बच्चों के पीने से संबंधित नहीं है क्योंकि इन्हें सह-उत्पाद के तौर पर आयात किया गया है। इसके बावजूद सरकार कोई जोखिम उठाना नहीं चाहती है। इसलिए अगर इस आयातित दूध से कोई अन्य खाद्य उत्पाद तैयार किए गए हैं तो उनकी भी जांच की जाएगी।

डीजीएफटी के मुताबिक हाल के वर्षो में चीन से दूध आयात काफी बढ़ गया है। मुख्य कारण यह है कि यूरोपीय संघ सहित कई विकसित देशों में भारतीय दूध की गुणवत्ता को काफी अच्छा माना जाता है। इसका फायदा उठाने के लिए कई कंपनियां चीन से सस्ता दूध आयात कर उसे भारतीय प्रयोगशालाओं में जांच करवाने के बाद प्रसंस्कृत (प्रोसेसिंग) कर या अन्य दुग्ध उत्पाद में तब्दील कर निर्यात कर देती हैं। पिछले वर्ष चीन से 17 हजार टन दूध का आयात किया गया था। शिशुओं को दिए जाने वाले दुध का आयात भारत चीन से नहीं करता है।मालूम हो कि मिलावटी डिब्बाबंद दूध पीने से चीन में हजारों बच्चे बीमार पड़ गए हैं। इनमें से कुछ की मौत भी हो गई है। इसके बाद अधिकांश एशियाई देशों ने चीन से दूध आयात पर पाबंदी लगा दी है। चीन हाल के वर्षो में एक बड़ा दूध निर्यातक देश बनकर उभरा है। चीन में शिशुओं के लिए दूध बनाने वाली 22 कंपनियों के उत्पाद में मेलामाइन नामक खतरनाक औद्योगिक रसायन पाया गया है। फिलीपींस,मलेशिया में चीन से आयातित दूध बेचने पर दुकानदारों को जेल भेजने और उनका लाइसेंस रद करने जैसे कठोर कदम उठाए गए हैं।

Friday, September 26, 2008

कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार फरवरी में लोकसभा चुनाव की तरफ बढ़ रही है। भाजपा, वामपंथी दलों और बसपा के तीखे तेवरों और सहयोगी सपा के बदले अंदाज से कांग्रेस अक्टूबर में बुलाए गए सत्र के दौरान ही लोकसभा भंग कर नए चुनावों की घोषणा करने पर गंभीरता से मंथन कर रही है। अगर किसी तरह यह संसद सत्र चलाने में सरकार सफल भी रही तो दिसंबर में चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद भी सरकार लोकसभा चुनावों की घोषणा के लिए तैयार है।कांग्रेस व सरकार के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के विदेश यात्रा से वापस आने तक कांग्रेस के रणनीतिकार पूरी योजना तैयार कर लेंगे। प्रधानमंत्री से विमर्श करने के बाद फाल्गुन से पहले यानी फरवरी तक चुनाव कराने की योजना पर मुहर लगा दी जाएगी। दरअसल, 17 अक्टूबर से प्रस्तावित संसद सत्र को लेकर कांग्रेस व सरकार के रणनीतिकार सांसत में हैं। आंतरिक सुरक्षा और महंगाई जैसे मुद्दों पर भाजपा सान चढ़ा ही रही है। चार साल तक सरकार को बाहर से समर्थन देते रहे वामपंथी दल भी घायल शेर की तरह कांग्रेस से हिसाब चुकता करने को मचल रहे हैं। चिर प्रतिद्वंदी सपा के साथ गई कांग्रेस से बसपा तो खार खाए बैठे ही है। ईसाइयों पर हमले, महंगाई व विदेश नीति जैसे मोर्चो पर अपने इन पूर्व सहयोगियों से निपटना संप्रग के लिए मुश्किल होगा।सरकार के लिए इससे भी ज्यादा दिक्कत समाजवादी पार्टी के बदले अंदाज से हुई है। जिस तरह से सपा ने केंद्र व कांग्रेस पर हमला बोला है, उसके बाद सरकार अपने नए 'संकटमोचक सहयोगी' को लेकर भी सशंकित है। इस सत्र में वैसे भी सरकार के पास कोई खास काम नहीं है। भू-अधिग्रहण संशोधन जैसा संविधान संशोधन विधेयक जरूर एजेंडे पर है। इसका पारित न होना सरकार को मुश्किल में डाल सकता है।

उधर, राज्यसभा में तो भाजपा, वामपंथी दल, बसपा व दूसरे पाले में खड़ी पार्टियों के समक्ष कांग्रेस ही नहीं, बल्कि पूरा संप्रग अल्पमत में है।सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ पार्टी व सरकार के शीर्ष नेताओं के साथ इन हालात पर विषद मंत्रणा हो चुकी है। कांग्रेस अक्टूबर वाला सत्र ज्यादा हंगामी होने पर लोकसभा भंग करने के लिए तैयार है। इन हालात में चुनाव आयोग को तैयारियों के लिए तीन माह चाहिए होंगे। इस तरह फरवरी तक सरकार खिंच जाएगी। वैसे भी कांग्रेस चाहती है कि यह संसद का आखिरी सत्र हो। अगर मई में चुनाव होते हैं तो उसे लेखानुदान लाना पड़ेगा। इससे वह बचना चाहती है।दूसरी परिस्थिति में अगर सत्र चल भी जाए तो मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और जम्मू कश्मीर विधानसभाओं के चुनाव होने के बाद दिसंबर में लोकसभा भंग कर दिए जाने का विकल्प है। इसके बाद भी फरवरी तक चुनाव हो जाएंगे। दरअसल, कांग्रेस के रणनीतिकार मान रहे हैं कि तब तक परमाणु करार को मुकाम तक पहुंचाने का तमगा सरकार के पास होगा। इधर विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मध्य प्रदेश व राजस्थान से अच्छी खबर की आशा है, जो लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी व गठबंधन का उत्साह बढ़ाएगी।

Thursday, September 25, 2008

खैरलांजी हत्याकांड में छह को फांसी

खैरलांजी गांव के भैयालाल भोतमांगे दो साल बाद इंसाफ पाकर खुश हैं। भैयालाल के परिवार के चार सदस्यों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। परिवार में वह अकेले बच गए थे। इस हत्याकांड में बुधवार को भंडारा की सत्र अदालत का फैसला आया। अदालत ने छह लोगों को सजा-ए-मौत सुनाई, जबकि दो को उम्रकैद की सजा दी।सीबीआई ने इस मामले में 11 लोगों के खिलाफ आरोप तय किया था। 15 सितंबर को जज एसएस दास ने तीन आरोपियों को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। हालांकि इन्हें बरी किए जाने के फैसले का दलित संगठनों ने विरोध किया था और इन पर लगे आरोपों की दोबारा जांच कराए जाने की मांग की थी। लेकिन बुधवार को अदालत द्वारा दोषियों को सजा सुनाए जाने के बाद भैयालाल भोतमांगे ने कहा कि वह फैसले से संतुष्ट हैं।मामला 29 सितंबर, 2006 का है। उस दिन खैरलांजी गांव में भूमि विवाद के चलते एक दलित परिवार के चार सदस्यों - सुरेखा भोतमांगे [45], बेटी प्रियंका [18] और बेटों-रोशन [23] व सुधीर [21] की हत्या कर दी गई थी। यह मामला खैरलांजी हत्याकांड के नाम से चर्चित हुआ था। इस नृशंस हत्याकांड के बाद पूरे महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन हुए थे। भंडारा पुलिस ने हत्या के आरोप में 11 लोगों को गिरफ्तार किया था। मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।न्यायाधीश दास ने शत्रुघ्न धांडे, विश्वनाथ धांडे, प्रभाकर मांडलेकर, जगदीश मांडलेकर, राम धांडे और सकरू बेंजेवार को फांसी की सजा सुनाई, जबकि गोपाल बेंजेवार और धर्मपाल धांडे को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।बचाव पक्ष के वकील का कहना है कि वे फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेंगे। सीबीआई के वकील उज्जवल निकम ने फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि आज के फैसले से साबित हो गया कि अदालत ऐसे मामलों में कड़ी से कड़ी सजा सुनाती है।

एक दुकान जहां मिलती हैं चाय और कहानियां

भारत के दिल यानी दिल्ली में चाय बेचता हुआ यह व्यक्ति किसी भी दूसरे चाय वाले की तरह ही नजर आएगा। पर कोई जरूरी नहीं कि जो दिखता है, वह वैसा ही हो। यह कहावत उन लक्ष्मण राव पर बिल्कुल सही बैठती है, जो अब तक कुल 18 किताबें लिख चुके हैं।दिल्ली में आईटीओ के पास चाय की दुकान चलाने वाले 53 वर्षीय लक्ष्मण के पास 'भारतीय साहित्य कला प्रकाशन' नाम का खुद का प्रकाशन भी है। लक्ष्मण ने बताया कि मैं पिछले 28 या 29 सालों से लघु कहानियां, नाटक और उपन्यास लिख रहा हूं। उन्होंने बताया कि अपनी पहली किताब नई दुनिया की नई कहानी में मैंने अपने जीवन के सारे संघर्षो और चुनौतियों का जिक्र किया है। यह किताब मैंने 1979 में लिखी थी।

महाराष्ट्र के अमरावती जिले में एक गरीब किसान परिवार में जन्मे लक्ष्मण को हिंदी साहित्य से विशेष लगाव रहा है। उन्होंने 1973 में मुंबई विश्वविद्यालय से हिंदी माध्यम में 10वीं की शिक्षा पूरी की। उन्हे गुलशन नंदा के उपन्यासों से विशेष लगाव रहा है।लक्ष्मण ने कहा कि वह जीवन के शुरुआती दौर में लेखक बनना नहीं चाहते थे, पर एक घटना ने उन्हे ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। एक छोटा बच्चा, जो नदी में नहाने गया था, डूब कर मर गया और इस घटना ने उन्हे इतना उद्वेलित किया कि अपनी भावनाओं को एक शक्ल देने के लिए उन्होंने किताबों का सहारा लिया। हालांकि घर के कमजोर आर्थिक हालात की वजह से उन्हे अपनी पढ़ाई दसवीं कक्षा के बाद छोड़नी पड़ी। आजीविका के लिए उन्होंने कुछ समय के लिए स्थानीय मिल और निर्माण स्थलों पर भी काम किया। पर फिर वह 1975 में दिल्ली आ गए। दिल्ली में दरियागंज इलाके में किताब बाजार को देखकर उनका शौक एक बार फिर जाग उठा। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्राचार के माध्यम से स्नातक की डिग्री ली। अपनी जमा पूंजी से उन्होंने एक चाय की दुकान खोली और तब से वह किताबें लिखने में जुट गए। हालांकि उन्हे किसी प्रकाशक से कोई सहायता नहीं मिली। तब उन्होंने सोचा कि वह अपनी किताबों को खुद ही लिखेंगे, प्रकाशित करेगे और बेचेंगे। लक्ष्मण गर्व से कहते है, मेरी कुछ किताबों को आप सार्वजनिक पुस्तकालयों और स्कूली पुस्तकालयों में देख सकते है।

Wednesday, September 24, 2008

सुनामी को थाम लेता है रामसेतु

इसे विचित्र संयोग ही कहेंगे। रामसेतु बचाने के लिए देश भर में चला आंदोलन बुधवार के दिन में सबसे बड़ी खबर बना। शाम होते-होते दूसरी खबर ने बड़ी खबर का रूप धर लिया। इंडोनेशिया में भयावह भूकंप। इसके बाद भारतीय गृह मंत्रालय का रेड अलर्ट जारी करना। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सुनामी आने की चेतावनी। पहली नज़र में अलग-अलग-सी दिखने वाली दोनों खबरों में अंतर्सबंध है। इसके लिए वैज्ञानिकों द्वारा दी गई चेतावनियों को धैर्य और ध्यान से समझना होगा।बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के बीच शार्टकट समुद्री रास्ता तैयार करने की योजना का नाम है सेतुसमुद्रम परियोजना। इस परियोजना पर अमल तभी हो सकेगा जब रामसेतु (एडम ब्रिज) के बीच का 300 मीटर का हिस्सा तोड़ा जाए। रामसेतु सेतुसमुद्रम परियोजना के बीच में पड़ता है।इसी रामसेतु को बचाने के लिए आंदोलन चल रहा है। इसी रामसेतु ने वर्ष 2004 में सुनामी लहरों के छक्के छुड़ाए थे। हजारों लोगों की जान बचाई थी। विश्वास न हो तो अंतरराष्ट्रीय सुनामी सोसायटी के अध्यक्ष और भारतीय सरकार के सुनामी सलाहकार सत्यम मूर्ति की जुबानी सुनिए- 'दिसंबर 2004 की उस काली सुबह भारत और श्रीलंका के बीच भी खौफनाक लहरों ने कहर ढाने के इरादे से घुसपैठ किया। पर यह क्या..! सामने सीना ताने रामसेतु खड़ा मिला। पत्थरों और बालू से बने इस वज्र सेतु श्रृंखला से भूकंपीय लहरें टकराई। कुछ क्षण को सब कुछ थमा। कौन हटे, कौन डिगे, कौन झुके और कौन मुडे़? पर रामसेतु जस का तस। मुड़ीं लहरें। वे जितनी तेजी से टकराई, उसी तेजी से नए राह को ओर निकलीं, खुले समुद्र की ओर। बाकी बची लहरें दो तरफ छितरा गई- कुछ श्रीलंका की ओर, बाकी केरल के तटीय इलाके की तरफ। पर इन छितराई लहरों की ऊर्जा, आवेग और आक्रामकता तब तक नष्ट हो चुकी थी। कह सकते हैं, रामसेतु की इस श्रृंखला ने उस दिन केरल को बचा लिया।'नए समुद्री शार्टकट के लिए एक न्यूनतम समुद्रीय गहराई का प्रस्तावित समुद्री रास्ते में हर जगह होना जरूरी है। पर रामसेतु वाले इलाके में गहराई की जगह वज्र जैसी चंट्टानें हैं। इसे न हटाया गया तो जहाजों की चौबीसों घंटे आवाजाही के लिए नया समुद्री शार्टकट बन ही नहीं सकता। इससे एक सीधा सवाल खड़ा होता है- समुद्री शार्ट कट विकसित कर व्यापार-वाणिज्य में तेजी लाने व परिवहन समय बचाने से क्या कम महत्वपूर्ण है सुनामी को रोका जाना? पर्यावरणविद् और वैज्ञानिक बहुत साफ-कहते हैं- 'दुनिया शार्टकट की राह अपनाकर तरक्की करने में जाने कितनी मुसीबतें पहले ही गले लगा चुकी है। ग्लोबल वार्मिग, ओजोन परत, पिघलते ग्लेशियर और पहाड़, मौसम का मनमानापन..। इनसे पूरी दुनिया खतरे में है। अब नई मुसीबत मोल लेने की क्या जरूरत?'

सेतुसमुद्रम परियोजना पर जनवरी 2005 से ही निगाह रखे वैज्ञानिक व सुनामी विशेषज्ञ सत्यम मूर्ति साफ शब्दों में कहते हैं-'खतरनाक होगा रामसेतु तोड़ना।' सत्यम मूर्ति सिर्फ अकेले नहीं हैं। हर तरह के वैज्ञानिकों का कहना है कि परियोजना के बारे में सोचने के पहले पर्याप्त और गहन शोध नहीं कराया गया। भूगर्भवेत्ताओं का कहना है कि इस क्षेत्र में सक्रिय ज्वालामुखी और गतिमान प्रवाल भित्तिायां हैं। इसलिए यहां प्राकृतिक या पूर्वस्थापित संरचना से छेड़छाड़ ठीक न होगा। पारिस्थितिकी विशेषज्ञ दावा करते हैं कि सेतु बंगाल की खाड़ी के अनियमित प्रवाहों को रोकता है। इससे समुद्री जीवन की सहजता बरकरार रहती है। सेतु के तोड़े जाने से समुद्र की संवेदनशीलता असंतुलित पर असर पड़ेगा।जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के पूर्व निदेशक एवं चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ ओसियन टेक्नोलाजी के शिक्षक एस. बद्रीनारायणन ने कहा कि प्रवाल भित्तिायां को काटा जाना अनर्थकारी होगा। ये भित्तिायां कई सामुद्रिक हलचलों को पुष्ट करती हैं। ये कई जीवों के उद्भव की कहानी भी कहती हैं। इन्हीं भित्तिायों से संकेत मिलता है कि हिंद महासागर में पानी का प्रवाह किस तरह होता रहा है। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि श्रीलंका के भी पर्यावरणविदें का स्पष्ट तौर पर मानना है कि सेतुसमुद्रम परियोजना से समुद्र के संवेदनशील पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा। जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया और इंडियन रेयर अथर््स से पूर्व में जुड़े रहे वैज्ञानिकों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि सरकार ने परियोजना पर मुहर लगाने से पहले उनके संगठनों से संपर्क नहीं किया। वैज्ञानिकों और गैर-सरकारी संगठनों का कहना है कि पिछली दफे आए सुनामी के बाद सरकार को यहां शोध कार्य कराना चाहिए था ताकि वास्तविकताओं का खुलासा हो। जीएसआई के पूर्व निदेशक आर. गोपालाकृष्णन कहते हैं कि इस रामसेतु के चलते 2004 में हजारों लोगों की जानें बची थीं।सुनामी विशेषज्ञ सत्यम मूर्ति उस दिन को याद करते हैं जब उन्हें सेतुसमुद्रम परियोजना की ओर से भेजा गया एक रजिस्टर्ड पत्र मिला। वे उन दिनों कनाडा में ओंट्टावा विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य कर रहे थे। हालांकि पत्र काफी देर में पहुंचा और इसमें सेतुसमुद्रम परियोजना पर राय देने की निश्चित तारीख बीत चुकी थी। इसी बीच सुनामी प्रकरण हुआ। इस पर शोध किया। बाद में मैंने अपनी राय भेज दी। उन्होंने बताया कि मैने पत्र में लिखा कि अगर अगली बार सुनामी आया तो रामसेतु तोड़कर बनाए गए सेतुसमुद्रम के चलते तटीय इलाकों में तबाही मच जाएगी। सुनामी के कारण दौड़ने वाली ऊंची-ऊंची हाहाकारी समुद्री लहरों को तब श्रीलंका-भारत समुद्री क्षेत्र के बीच थामने वाला कोई नहीं होगा। मूर्ति कहते हैं कि उन्होंने साफ तौर पर पत्र में अपनी बात कह दी- 'खतरा वास्तविक है, परियोजना पुनर्निधारित करें।'

प्यार की ऐसी सजा, न देखी न सुनी

सऊदी अरब के कातिफ में रहने वाली इस किशोरी को एक सामान्य लड़की की तरह ही जाना जा सकता है। पर हकीकत इससे कही अलग है। इस किशोरी के साथ सात लोगों ने दुष्कर्म किया। इतना ही नही, उसे पुलिस और न्यायिक अधिकारियों ने भी यातनाएं दी। सऊदी के न्याय मंत्रालय का कहना है कि यह लड़की एक कालगर्ल है। लोगों से शारीरिक संबंध बनाना इसकी आदत है। यह सब ये इस देश को बदनाम करने के लिए कर रही है। इसके बारे मे तब पता चला जब यह केस अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों का हिस्सा बना। अभी भी इस लड़की को घर पर ही हिरासत मे रखा गया है। उसके परिवार पर निगरानी रखी जा रही है। उसके फोन टेप किए जा रहे है।

इस मामले में सऊदी के सबसे बड़े मानवाधिकार वकील अब्द अल रहमान अल लाहेम को निलंबित कर दिया गया है। इस लड़की की खता बस इतनी थी कि इसने अपनी आपबीती पर खामोश नही रहने का फैसला किया। जब वह पहली बार न्याय मांगने गई तब कोर्ट ने भी यह कहकर उसे 90 कोड़े लगाने का आदेश दिया कि उसने कई के साथ संबंध स्थापित किए है। मीडिया कवरेज होने का भी उसे खामियाजा भुगतना पड़ा और उसकी सजा बढ़ाकर दो सौ कोड़े व छह महीने की कैद कर दी गई। अमेरिका ने भी इस मामले पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजकुमार साउद अल फैजल से कहा कि वे सरकार से इस अत्याचार के बारे में तहसील से जानकारी ले। मध्य पूर्व के देशों की मानवाधिकार मामलों की विशेषज्ञ फरीदा दीफ का कहना है कि सऊदी न्याय मंत्रालय तो लड़की को पीडि़त मानने को तैयार ही नही है। उन लोगों ने तो उस पर मानहानि का मुकदमा तक दायर कर रखा है। इस लड़की ने अपनी जो आपबीती सुनाई वह दिल दहला देने वाली थी। उसे फोन पर ही उसके ही हमउम्र लड़के से प्यार हो गया। वो लड़का जिसे उसने कभी देखा भी नही था। यह लड़का उसे यह कहकर धमकाता भी था कि वो उसे अपना एक फोटो दे दे नही तो इस बात को उसके घर पर बता देगा। कुछ दिन बाद लड़की की कही और शादी हो गई। लड़की ने अपने पूर्व प्रेमी से अपनी फोटो वापस करने की गुजारिश की। लड़का उसे फुसलाकर फोटो देने के बहाने लांग ड्राइव पर एक सुनसान जगह पर ले गया। जहां पर सात लोगों ने उसके साथ दुष्कर्म किया। मुसीबतें अभी भी थमीं नही थी। जब कोर्ट में मामला पहुंचा तो वहां भी लड़की को ही दोषी ठहराया गया। उसे 90 कोड़े मारने की सजा दी गई और कहा कि तुम खुशनसीब हो कि तुम्हें जेल नसीब नहीं हुई। दरअसल, अब यह मामला शिया और सुन्नी के बीच की लड़ाई बन गया है। भुक्तभोगी लड़की शिया है जबकि सातों लड़के सुन्नी। गौरतलब है कि सऊदी कानून के मुताबिक वहां किसी भी लड़की का सार्वजनिक स्थान पर अपने सगे-संबंधियों को छोड़कर किसी अन्य पुरुष के साथ घूमना मना है। कालगर्ल आदि के मामलों में पकड़े जाने पर कोड़े लगाने या मृत्युदंड तक की सजा दी सकती है। लड़की का पति भी इससे बुरी तरह डरा हुआ है। पुलिस उसकी फरियाद को अनसुना कर देती है और आरोपी उसके घर के सामने घूमकर सारे कानूनों को धता बता रहे है।

Tuesday, September 23, 2008

न रीडिंग न बिल, एजेंसी कैसे जीते उपभोक्ताओं का दिल
बिजली बिल बनाने वाली प्राइवेट बिलिंग एजेंसी के कर्मचारियों की मनमानी का खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। समय पर बिजली बिल न आने से कई सेक्टरों के लोग परेशान हैं। बार-बार शिकायत करने पर भी उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। छह माह से बिजली बिल बनाने का कार्य कर रही बिलिंग एजेंसी के कर्मचारियों ने सेक्टर-22, 52, 61 व 71 के उपभोक्ताओं को दो माह से बिल समय पर नहीं पहुंचाए हैं। इससे उपभोक्ता परेशानी में हैं कि उन्हें एक साथ दो माह का भारी भरकम बिल चुकाना पड़ेगा।
सेक्टर-22 के पी प्रसाद, सुदर्शन अवस्थी, हरीश शर्मा व एनके जोशी का कहना है कि एजेंसी के कर्मचारियों ने दो महीने से मीटर रीडिंग ही नहीं ली है। बिजली बिल समय पर न आने की शिकायत जब भी की जाती है, तो अधिकारी एजेंसी कर्मचारियों को भेजने, रीडिंग लेने वाली मशीन खराब होने व मीटर चालू स्थिति में न होने का बहाना बनाकर टाल देते हैं। विद्युत निगम के नियमानुसार हर माह के पहले सप्ताह मीटर रीडिंग लेकर बिल देना अनिवार्य है, लेकिन यहां तो दो माह बाद भी बिजली बिल नहीं मिल पाए हैं। उपभोक्ताओं ने पश्चिमांचल विद्युत निगम के अधिकारियों से इस समस्या का शीघ्र समाधान करने व प्राईवेट बिलिंग एजेंसी को समय पर बिल देने के दिशा-निर्देश करने की मांग की है।प्राइवेट बिलिंग एजेंसी का काम देख रहे सुपरवाइजर योगिंद्र कुमार का कहना है कि कर्मचारियों के अस्वस्थ होने व छुट्टी पर जाने से यह समस्या आई है। मीटर रीडिंग लेकर उपभोक्ताओं को बिजली बिल पहुंचाने का काम शुरू कर दिया गया है। 30 सितंबर से पहले समस्या का समाधान कर दिया जाएगा।
पैसा ससुरालियों ने हड़पा
घोड़ी बछेड़ा गांव में किसान आंदोलन में मारे गए कृष्ण कुमार की विधवा ने डीएम से शिकायत कर आरोप लगाया कि शासन की ओर से मिला 21 लाख रुपये का मुआवजा उसके ससुराल वालों ने हड़प लिया है। डीएम ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
तहसील दिवस के दौरान खैरपुर गुर्जर गांव के किसानों ने मंगलवार को जिलाधिकारी से शिकायत करते हुए कहा कि प्राधिकरण ने गांव के मूल किसानों की आबादियों का अधिग्रहण कर लिया है। वहीं बाहरी लोगों की कई-कई बीघा जमीन आबादी के नाम पर छोड़ दी गई हैं। जिलाधिकारी ने मामले की जांच के आदेश एडीएम प्रशासन ओपी आर्या को सौंपते हुए निर्देश दिए कि बाहरी लोगों के खसरा नंबरों का पता लगाकर उनका अधिग्रहण किया जाए। खैरपुर गांव के लोगों ने कहा कि प्राधिकरण ने उनके साथ सौतेला व्यवहार किया है। पंद्रह दिन पहले जिन लोगों ने जमीन खरीदकर मकान बनाया था, उसको अधिग्रहण से मुक्त कर दिया गया है। वहीं गांव के मूल किसानों की ऐसी आबादी को अधिग्रहीत कर लिया गया है, जो ग्रेटर नोएडा के गठन से पहले की बनी हुई है।
घोड़ी बछेड़ा गांव में किसान आंदोलन के दौरान मारे गए कृष्ण कुमार की विधवा बबीता ने आरोप लगाया कि प्राधिकरण व शासन द्वारा उपलब्ध कराई कई 21 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का चेक उसके ससुराल वालों ने जबरन छीन लिया है। परिवार के लोग बैंक से पैसे निकालकर उसकी बर्बादी कर रहे हैं। इस पर जिलाधिकारी ने सिंडीकेट बैंक के मैनेजर को आदेश देते हुए आगे से भुगतान करने पर रोक लगा दी। साथ ही एसडीएम संजय चौहान को आदेश दिए कि अब तक निकाली गई धनराशि को वापस विधवा के खाते में जमा कराया जाए। जारचा गांव के किसानों ने शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि किसानों के खेतों में लगी दर्जनों ट्यूबवेलों से बदमाशों ने बिजली की मोटर चोरी कर ली है। शिकायत दर्ज कराने के बावजूद पुलिस ने बदमाशों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। इससे किसानों को परेशानी उठानी पड़ रही है। मोटर चोरी हो जाने से किसान फसलों की सिचाई नहीं कर पा रहे हैं। जिलाधिकारी ने पुलिस को इस तरह की घटनाओं को रोकने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आगे से शिकायत मिली तो दोषी पुलिस वालों पर कार्रवाई होगी। इस मौके पर एसएसपी आरके चतुर्वेदी, सीडीओ कंचन वर्मा, एडीएम वित्त एवं राजस्व शिवाकांत द्विवेदी, एसडीएम सदर शैलेंद्र कुमार भी मौजूद रहे।
सीईओ हत्या मामले में 137 गिरफ्तार
इटली की बहुराष्ट्रीय कंपनी ग्रेजियानो ट्रांसमिशनी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में सीईओ की पीटकर हत्या और तोड़फोड़ करने के मामले में पुलिस ने सोमवार को देर रात 137 कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें से 63 कर्मचारियों को मंगलवार को नोएडा फेस दो स्थित सीजेएम कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने उन्हें 14 दिन तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया, जबकि 74 कर्मचारियों को एसडीएम दादरी कोर्ट में पेश किया। कर्मचारियों की तरफ से जमानत की अर्जी पेश न किए जाने पर उन्हें जेल भेज दिया गया। सीईओ की हत्या से कंपनी में दूसरे दिन भी सन्नाटा पसरा रहा। घटना के बाद दहशत में आए कर्मचारी काम छोड़कर चले गए हैं। कंपनी को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है।बुधवार को कंपनी के ग्रुप सीईओ लेमबर्टो इटली से ग्रेटर नोएडा पहुंचकर मौके का जायजा लेंगे और कंपनी को आगे चलाने अथवा बंद करने के बारे में घोषणा करेंगे। वह मंगलवार को इटली से भारत के लिए रवाना हो चुके हैं। उधर, सीईओ ललित किशोर चौधरी के शव पोस्टमार्टम के बाद सुबह परिजन को सौंप दिया गया। दोपहर बाद दिल्ली के निगमबोध घाट पर परिजन व मित्रों ने उनको अंतिम विदाई दी।
उल्लेखनीय है कि उद्योग केंद्र के प्लाट संख्या 14 में स्थित ग्रेजियानो ट्रासमिशनी इंडिया प्रा. लि. से निकाले गए कर्मचारियों ने सोमवार को कंपनी के अंदर जमकर तोड़फोड़ की थी। इस दौरान मजदूरों ने कंपनी के सीईओ एवं एमडी ललित किशोर की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। हमले में कंपनी के करीब तीन दर्जन कर्मचारी व अधिकारी भी घायल हो गए थे।
कंपनी के कारखाना प्रबंधक एलके गुप्ता की शिकायत पर थाना बिसरख में 19 नामजद व सौ से ज्यादा अज्ञात मजदूरों के खिलाफ केस दर्ज किया था। पुलिस ने 63 मजदूरों के खिलाफ हत्या, तोड़फोड़ बलवा व 74 के खिलाफ शांति भंग करने का मामला दर्ज किया था। कंपनी में हिंसा के बाद डरे व सहमे अन्य कर्मचारी काम छोड़कर चले गए हैं। मंगलवार को कंपनी के अंदर सन्नाटा पसरा रहा। उत्पादन कार्य पूरी तरह से ठप हो गया है। सुरक्षा के लिहाज से कंपनी के अंदर सिर्फ गार्ड तैनात थे। कंपनी के बाहर पुलिस व पीएसी तैनात कर दी गई। इटली की ओरलिकॉन ग्रुप ने ग्रेटर नोएडा में ग्रेजियानो ट्रासमिशनी इंडिया प्रा. लि़ के नाम से अपनी यूनिट लगा रखी है। इस यूनिट के सीईओ ललित किशोर चौधरी थे। सोमवार को कंपनी की तरफ से इटली में ओरलिकॉन ग्रुप के सीईओ लेमबर्टो को घटना की सूचना दी गई थी। सूत्रों का कहना है कि इस घटना के बाद कंपनी यहां से अपनी यूनिट किसी दूसरे शहर में शिफ्ट कर सकती है। इटली की भारत में यह पहली कंपनी है।

Wednesday, September 17, 2008

अभावग्रस्त बच्चियों को दिया दुलार




कुदर ने भले ही उनकी गोद नहीं भरी परंतु उनके मन में हिलोरे खाता ममत्व का दरिया वह नहीं सुखा पाया। जिसका प्रवाह सहज ही स्नेह और दुलार की लहरों को समेटे होता है। समाज की मुख्य धारा से अलग-थलग रतलाम के 'किन्नर समाज' ने वह काम कर दिखाया जो हम सभी के लिए एक आदर्श बन गया है तथा समाज को एक नई दिशा दे रहा है। इतना ही नहीं यह समाज के अभावग्रस्त परिवारों के लिए आशा की किरण बन उम्मीदों का नया सवेरा ला रहा है। हम आज जिक्र कर रहे हैं रतलाम की किन्नर पूनम जान का, जिसने आज एक अभावग्रस्त परिवार की लड़की के लालन-पोषण की जिम्मेदारी केवल इसलिए उठाई है क्योंकि उसके अभिभावक इस स्थिति में नहीं हैं कि वे अपने तीन (दो लड़कियाँ, एक लड़का) बच्चों के साथ इस नन्ही बच्ची की परवरिश भी अच्छे से कर सकें। पूनम ने इस नन्ही बच्ची को अपना 'स्नेह' और उसके गरीब माता-पिता को एक संबल दिया। पूनम आज इस तंगहाली के शिकार परिवार के लिए निराशा के अंधकार में उम्मीदों की रोशनी बनकर उभरी है।
ढाई वर्ष की 'रोशनी' के जीवन में आज वे खुशियाँ पूनम की बदौलत किलकारियाँ भर रही हैं, जो उसके हमउम्र अभावग्रस्त परिवारों के बच्चों के नसीब में नहीं हैं। पूनम और उसके साथी उसी हसरत से रोशनी की परवरिश कर रहे हैं, जैसे एक 'माँ' करती है। रोशनी भी इन सभी के बीच कुछ इस तरह घुल-मिल गई है जैसे यहीं उसका घर-आँगन और परिवार हो।रोशनी की ही तरह पूनम ने कुछ वर्ष पूर्व एक और नन्हीं बच्ची 'सोनू' को भी गोद लिया था। जो आज लगभग सात वर्ष की हो गई है। सोनू अभी अपनी नानी के घर रह रही है तथा उसकी परवरिश का सारा खर्च पूनम ही उठा रही है। पूनम के अनुसार 'सोनू उस वक्त मात्र दो दिन की थी। जब हमने इसे अपनाया था। उस वक्त सोनू के माँ-बाप उसे अपनाने को तैयार नहीं थे क्योंकि सोनू उनकी चौथी संतान थी जो लड़की थी। अत: मैं और मेरे साथी उसे अस्पताल से ही अपने साथ ले आए थे।' समय के साथ शनै:-शनै: इस रिश्ते की डोर प्रगाढ़ होती जा रही है। पूनम का सपना है कि वह 'रोशनी' और 'सोनू' को अच्छी शिक्षा देकर अपनी उन आशाओं को पूरा करे, जो आम अभिभावक अपने बच्चों के बेहतर भविष्य को लेकर करते हैं।
पूनम के अनुसार- 'ये बच्चियाँ हमारे परिवार के सदस्यों जैसी है।'पूनम से यह पूछा जाने पर कि 'आप लोग जिस अभिशप्त अवस्था में जी रहे हैं तथा अपना जीवन-निर्वाह कर रहे हैं, क्या उसका साया इस अबोध बच्ची 'रोशनी' के जीवन पर नहीं पड़ेगा? क्या आप लोग रोशनी से वही काम करवाएँगे जो आज आप कर रहे है...?' इन विचलित कर देने वाले सवालों पर पूनम आत्मविश्वास से भरा यही प्रत्युत्तर देती है कि 'लोगों का काम तो बोलना है मगर कल जमाना देखेगा कि पूनम की रोशनी ने समाज को क्या नई रोशनी फैलाई हैं...' बहरहाल किन्नर समाज की एक अभावग्रस्त परिवार की बच्ची के प्रति सहृदयता अभिनंदनीय है। पूनम ने इस लाडली लक्ष्मी को एक नया जीवन दिया है। जिसके परिवार पर मँडराते अभावग्रस्तता के बादलों ने उसका भविष्य अंधकारमय कर दिया था। आज हमारे समाज में 'रोशनी' व 'सोनू' अकेली लड़कियाँ नहीं है। इन्हीं की तरह ऐसी अनेक रोशनी व सोनू हैं जिन्हें आज पूनम की तरह किसी आसरे की तलाश है। उन्हें भी अपने जीवन में नए सवेरे का इंतजार है। लाख टके का सवाल यह है कि पूनम की 'प्रेरणा' समाज को कितना 'अभिप्रेरित' कर पाती है...? इस विषय पर गंभीरतापूर्ण चिंतन की जरूरत है। एक ऐसा चिंतन जो समाज में एक नई शुरुआत को जन्म दे।

हिन्दी में आत्महत्या

एमिटी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले एक छात्र ने इसलिए खुदकशी कर ली क्योंकि वह अँगरेजी में कमजोर था। नोएडा में अँगरेजी भाषा के दबाव को लेकर यह शायद दूसरी खुदकशी की खबर है। एमिटी विश्वविद्यालय ने यह जरूर कहा है कि उनके संस्थान ने अँगरेजी दास्ता बढ़ाने के लिए उस छात्र पर कोई दबाव नहीं डाला था लेकिन आत्महत्या करने वाले रवि भाटी के पिता ने रिपोर्ट दर्ज कराई है कि उनके बेटे ने अँगरेजी में कमजोर होने की वजह से परेशान होकर आत्महत्या की है। वह प्रबंधन का छात्र था।
यह हिन्दी दिवस की ही घटना है। 14 सितंबर के दिन हिन्दी दिवस मनाया जाता है। यह हिन्दी का अँगरेजी के आमने-सामने हो जाने का दिन है। यह सिर्फ भाषा का मसला नहीं है। हैसियत का मसला भी है। भाषा और हैसियत में गहरा संबंध है। जरूर वह छात्र हिन्दी भाषी रहा होगा। प्रबंधन के पाठ्यक्रम अँगरेजी हार की दरकार रखते हैं। उनमें आर्ट अँगरेजी 'उच्चकोटि की साहित्यिक व्यंजनाओं अलंकारों वाली नहीं होती, सामान्य से वाक्य एक अलग विद्या के बारे में बताते हैं।
प्रबंधन में एक बड़ा हिस्सा गणित की जरूरत को बताता है। कैट-मैट की प्रवेश परीक्षा में जो कुछ पूछा जाता है, वह गणितीय सोच की तीव्रगति और सही गलत के सुपरफास्ट बारीक विवेक की भी परीक्षा होती है। अँगरेजी भाषा के रूप में वह बहुत कठिन नहीं होती। जो कठिन होता है वह प्रबुद्धता को परखने के क्षेत्र होते हैं। लाखों की नौकरी दिलाने वाले ऐसे पाठ्यक्रम स्पर्धात्मक जगत में आसान तो हो ही नहीं सकते।
हिन्दी क्षेत्र के मध्यवर्गी माता-पिता अपनी संतानों को इस स्पर्धात्मकता में डालते हैं। कच्चे-पक्के अँगरेजी स्कूलों में थोड़ा सिखाकर या इससे भी रहित नौजवान स्पर्धा में या दाखिला-खरीद के जरिए ऐसे संस्थानों में पढ़ने लगते हैं लेकिन यदि कोई संस्थान डिग्री देता है, कागज का टुकड़ा नहीं, तो वह एक स्तर तो रखेगा ही। छात्र पर यही दबाव बन जाता है भाषा माध्यम और विषय को न समझ पाने का।यथार्थ आत्मकुंठित करता रहता है, आत्मा मरती रहती है, कोई कमजोर मन वाला आत्महत्या कर लेता है, इससे दुख होता है।अँगरेजी भाषा के कारण आत्महत्या दरअसल उस कमजोर हैसियत का आत्मदंड है, जो स्पर्धा में पीछे रह जाना नहीं चाहती मगर जिसके पास स्पर्धा के साधन नहीं हैं। भाषाएँ अर्जित की जाती हैं, मातृभाषा भी। एक अर्थ में भाषा मुफ्त में मिली लगती है, मुफ्त होती। मनुष्य को ज्ञान कमाना पड़ता है, जो सहज मिलता लगता है, वह भी मेहनत से आता है। भाषा तो एक विकसित औजार है। अच्छी हिन्दी पढ़ने वाला भी इसे अर्जित करता है। हिन्दी भी सेंतमेंत में नहीं मिलती, जबकि लगता है कि मिलती है। अँगरेजी का माने तो ज्यादा है।बहरहाल रवि की आत्महत्या ने हिन्दी दिवस के दिन जनप्रियों के भाषणों और लेखों के मुकाबले हिन्दी को यह संदेश दिया है कि हिन्दी को, हिन्दीजन को, स्पर्धा में रहना है तो स्पर्धा का अर्जन करना होगा। जब संस्कृत शासकों की भाषा रही, तब संस्कृत में ज्ञान अर्जित करने के बहुत दाम और ताकत लगती थी, अब अँगरेजीके लिए है। हिन्दी के लिए भी दाम लगे, ताकत लगे, उसमें दुनियाभर के ज्ञानलिन की ताकत आए तो ऐसी घटनाएँ रुकेंगी। गलतफहमी दूर करनी होगी कि हिन्दी सेंतमेंत में मिलती है। और उसके भी दाम हैं चाहे अभी कम पैसे हैं, क्वालिटी बनाओगे तो दाम भी बढ़ेंगे। तब शायद हिन्दी में आत्महत्या नहीं होगी।

Monday, September 15, 2008

अमित टंडन ने रिलीज किया एलबम तन्हा


पहले इंडियन आइडल से चर्चा में आए गायक व टेलीविजन अभिनेता अमित टंडन का पहला एलबम तन्हा शुक्रवार को नई दिल्ली में रिलीज किया गया। टिप्स म्यूजिक कंपनी के इस एलबम में कुल 14 गीत हैं। इन्हें सलीम बिजनौरी, संतोषी सिंह, शादाब, देव नारायण, सुनील चौधरी और खुद अमित टंडन ने लिखा है। इन गीतों की धुनें सचिन गुप्ता ने तैयार की हैं।पांच साल पहले न्यूयार्क से भारत आकर इंडियन आइडल प्रथम में भाग लेने वाले अमित ने इस प्रतियोगिता के आखिरी दस प्रतियोगियों में अपना स्थान बनाया था। उनके आकर्षक लुक ने उन्हें टेलीविजन धारावाहिकों में बतौर अभिनेता काम दिलाया। चर्चित धारावाहिक क्योंकि सास भी कभी बहू थी, कैसा ये प्यार है और साथ-साथ बनाएंगे एक आशियां में अभिनय के अलावा उन्होंने रियलिटी शो जरा नचके दिखा में नृत्य किया। रियलिटी शो जो जीता वही सुपरस्टार में भी उन्हें अपनी गायन प्रतिभा दिखाने का मौका मिला।

ओबीसी की खाली सीटें सामान्य वर्ग को

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि आईआईटी और आईआईएम जैसे केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में 27 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा लागू किए जाने के बाद बची सीटें सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों को दी जाएँगी। इसके साथ ही वांछित होगा कि कटऑफ अंकों में बड़ा अंतर न हो।मुख्य न्यायाधीश केजी बालकृष्णन की अध्यक्षता वाली पाँच न्यायाधीशों की पीठ इस बात पर एकमत थी कि इस मुद्दे पर कोई भ्रम नहीं है क्योंकि तीन न्यायाधीशों ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि कोई सीट खाली नहीं रहेगी।कोटा विरोधी याचिकाकर्ताओं ने पीठ का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया कि कानून केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान 'दाखिले में आरक्षण' के कार्यान्वयन के बाद भी सीटें खाली रह गई हैं और भ्रम है।वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने 27 प्रतिशत ओबीसी कोटा में जुड़ीं सीटों को अधिनियम के कार्यान्वयन के बाद बेकार नहीं जाने देने पर रुख को स्पष्ट करने के लिए दो निर्णयों का हवाला दिया, जिसमें से एक न्यायमूर्ति अरिजित पसायत और सीके ठक्कर और दूसरा न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी ने लिखा है।
न्यायमूर्ति पसायत ने कहा कि यह बहुत स्पष्ट है कि मंशा यह थी कि सीटें खाली न रहें। मंशा बेहतर शिक्षा देने की थी। न्यायमूर्ति भंडारी ने कहा कि दोनों फैसलों में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि ऐसी खाली सीटें सामान्य श्रेणी में जाएँगी। शुरू में ही वेणुगोपाल ने जब कहा कि खाली सीटों के पहलू पर स्पष्टीकरण की जरूरत है तो न्यायमूर्ति पसायत ने कहा कि इसे (सीटों को बेकार करना) अनुमति नहीं दी जा सकती। यह सामान्य श्रेणी में वापस जाएँगी। पसायत ने कहा आरक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए नहीं है कि यदि कोई (ओबीसी) नहीं है तो यह दूसरों को नहीं दी जाएगी। यह बहुत स्पष्ट है। मंशा बेहतर शिक्षा देने की है। कोटा विरोधी याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि 432 सीटें खाली रह गई हैं और मानव संसाधन विकास मंत्रालय यदि शीर्ष अदालत के निर्णय का पालन नहीं करता तो यह अवमानना को न्योता दे रहा है। सोलिसिटर जनरल जीई वाहनवती ने हालाँकि कहा कि वह सीटें खाली हैं या नहीं इस बारे में केंद्र से निर्देश हासिल करने के बाद अदालत के पास वापस आएँगे। पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 29 सितंबर की तारीख तय की है।

Sunday, September 14, 2008

पुलिस को एड्स गर्ल की तलाश

इंदौर पुलिस इन दिनों एक ऐसी रहस्यमय लड़की की तलाश में जुटी है, जो कथित तौर पर एड्स से पीडि़त है और नौजवानों के साथ शारीरिक संबंध स्थापित कर जान बूझकर उन्हें भी इस खतरनाक बीमारी का शिकार बना रही है।एड्स गर्ल के रूप में दिनोंदिन कुख्यात हो रही इस युवती की पहचान के बारे में हालांकि पुलिस के पास पुख्ता जानकारी नहीं है। लेकिन युवती के जाल में फंसे नौजवानों के बताए हुलिए के आधार पर उसका स्केच जारी कर दिया गया है।पुलिस अधीक्षक आर के चौधरी ने कहा कि हमें मीडिया के कुछ लोगों से मालूम पड़ा कि शहर में एक एड्स पीडि़त लड़की रात के वक्त अनजान नौजवानों से लिफ्ट लेती है। फिर उन्हें अपने जाल में फांस लेती है। उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद नौजवान भी एड्स की गिरफ्त में आ जाते हैं। उन्हाेंने कहा कि प्रारंभिक जांच की रोशनी में पुलिस को शक है कि युवती शहर के पंद्रह नौजवानों के साथ शारीरिक संबंध बना चुकी है। बताया जाता है कि इनमें से कम से कम दो नौजवान एड्स के शिकार हो चुके हैं, जिनकी पहचान गुप्त रखी गई है। चौधरी ने कहा कि हम चाहते हैं कि आम जनता खासतौर पर नौजवान इस युवती से सावधान रहें। इसीलिए हमने इसके जाल में फंसे नौजवानों के बताए हुलिए के आधार पर उसका स्केच जारी कर दिया है। हम मामले की बारीकी से जांच कर रहे हैं और जल्द ही उस युवती को ढूंढ निकालेंगे।

अपने आटोग्राफ नीलाम करते थे गांधीजी!

सत्य और अहिंसा सरीखे अपने हथियारों के बल पर देश को आजादी दिलाने वाले राष्ट्रपति महात्मा गांधी कांग्रेस के लिए धन जुटाने को अपने आटोग्राफ नीलाम करते थे। पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की भांजी चंद्रलेखा मेहता ने अपनी किताब 'फ्रीडम्स चाइल्ड: ग्रोइंग अप ड्यूरिंग सत्याग्रह' में इस बात का खुलासा किया है।मेहता ने लिखा है कि लोगों के जेहन में चरखे पर सूत कातते राष्ट्रपिता की गंभीर मुद्रा बसी है लेकिन वह हमेशा मुस्कुराते रहते थे। जवाहर लाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित की बेटी चंद्रलेखा ने लिखा है कि गांधी जी देश भर में भ्रमण करते थे और अपने आटोग्राफ को बड़ी चतुराई से सर्वाधिक बोली लगाने वाले को ही बेचते थे। इस तरह अपने हस्ताक्षर नीलाम कर वह कांग्रेस पार्टी का कोष भरते थे।मेहता ने अपनी किताब में बचपन की अनगिनत घटनाओं और अनुभवों का जिक्र किया है। इनमें जन्मदिन, परिवार, छुट्टियां, चुनाव, कांग्रेस का अधिवेशन और अपने प्रियजनों से मिलने के लिए जेल के बाहर इंतजार करने आदि का जिक्र है। इसके अलावा उन्होंने पंडित नेहरू, महात्मा गांधी, मौलाना आजाद और सरोजनी नायडू के साथ बिताए अपने अनुभवों का विस्तार से वर्णन किया है।

Saturday, September 13, 2008

दिलेरी दिखाई दिल्लीवालों ने

सीरियल बम ब्लास्ट से थर्राई दिल्ली में लोगों ने जमकर दिलेरी दिखाई। बम विस्फोट होते ही कनॉट प्लेस में युवा दुकानदारों ने स्थिति संभालने में पुलिस का साथ दिया। घायलों को एंबुलेंस तक पहुँचाने के लिए लोगों ने सरकारी कर्मियों की मदद की।हालाँकि भीड़ के कारण एंबुलेंस व पुलिस वाहनों को निकलने में दिक्कत हो रही थी, लेकिन काफी लोगों ने इन वाहनों के लिए खुद जगह बनाई। कुछ देर बाद ही कनॉट प्लेस पहुंचने वाले यातायात को दूसरी तरफ घुमा दिया गया। इन सबके बीच कवरेज के लिए दौड़ रही कुछ इलेक्ट्रॉनिक चैनलों की ओवी वैन के कारण जरूर कई बार मुश्किलें पैदा हुईं।
करोल बाग के सबसे भीड़ वाले इलाके गफ्फार मार्केट में शाम के वक्त अचानक एक सीएनजी ऑटो में विस्फोट हुआ। पहले खबर फैली कि तकनीकी गड़बड़ के कारण विस्फोट हुआ। अचानक वहाँ चीख-पुकार मच गई। गफ्फार मार्केट में लोग छुट्टी का दिन होने के कारण खरीदारी करने आए थे।उधर, शनिवार होने के कारण कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में कई लोग परिवार सहित घूमने आए थे। यहाँ एक के बाद दो विस्फोट हो गए। पास के ही हनुमान मंदिर में भी काफी भीड़ थी। जैसे ही लोगों को पुलिस की गाड़ी और एंबुलेंस का सायरन सुनाई दिया तो कुछ देर के लिए किसी के समझ में कुछ नहीं आया। जैसे ही उन्हें बम विस्फोट की सूचना मिली वे सभी मदद के लिए दौड़ पड़े।दूसरी ओर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के लिए जमा भीड़ में भी जब यह खबर पहुँची तो वहाँ से भी लोगों ने मदद की नीयत से ट्रैफिक डायवर्जन में पुलिस का हाथ बँटाया। उधर, कनॉट प्लेस के सर्कल से होकर जाने वाले लोगों ने खुद एंबुलेंस आदि को निकलने के जगह दी। वहाँ ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारी यातायात को नियंत्रित करने में जुटे हुए थे।सेंट्रल पार्क में जमा भीड़ को बम विस्फोट के बाद आराम से बाहर निकाल लिया गया। बम ब्लास्ट की घटना के बाद ही हालांकि अफरातफरी मचने लगी, लेकिन लोगों ने घायलों की मदद के लिए आए पुलिसकर्मियों व स्थानीय निवासियों के साथ मिलकर उन्हें अस्पताल पहुँचाया।
दिल्ली चलती रही अपनी चाल : तमाम चैनलों पर विस्फोट की खबरों के चलने से भले ही सनसनी फैल रही हो, लेकिन दहशत फैलाने के आतंकवादियों के मंसूबों पर दिल्लीवालों ने जरूर पानी फेर दिया। लाल बत्ती पर रुके यातायात के दौरान लोग एक-दूसरे से विस्फोटों के बारे में बताते तो जरूर, लेकिन इसे लोग सामान्य रूप में लेते रहे।
करोल बाग व कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में विस्फोट स्थल से कुछ ही दूरी पर स्थित पार्किंग से लोगों ने आराम से अपने वाहनों को लिया और घर की ओर चल दिए। कनाट प्लेस की ओर आने वाले रास्तों से जब यातायात को मोड़ा जा रहा था तो कहीं कोई भगदड़ जैसी स्थिति नहीं थी। यातायात घुमाव की स्थिति से रोज दो-चार होने वाले दिल्ली के लोगों ने इसे भी सामान्य रूप में लिया। हाँ, यह अलग बात है कि बम विस्फोट का पता लगते ही हर कोई यह बोलता देखा गया कि वह भी अभी-अभी वहाँ था। असल में वे लोग तो भाग्यशाली रहे जो विस्फोट से पहले सेंट्रल पार्क या अन्य स्थानों से चले गए थे, लेकिन कुछ लोगों के यह शाम बहुत मनहूस रही।

दिल्ली धमाकों के बाद देशभर में अलर्ट

बम धमाके
दिल्ली धमाकों में भीड़ भाड़ वाले इलाक़ों को निशाना बनाया गया

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजधानी दिल्ली में सिलसिलेवार धमाकों के बाद राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सतर्क रहने और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने की हिदायत दी है.साथ ही दिल्ली में अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य प्रशासन को भी सतर्क कर दिया गया है.धमाकों के बाद एक उच्चस्तरीय बैठक हुई जिसमें स्थिति की समीक्षा की गई.

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने धमाकों की कड़ी निंदा की है. गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने धमाकों की निंदा करते हुए दोषियों को कड़ी सज़ा देने की बात कही.उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे तत्वों से मजबूती से निपटेगी और सुरक्षा एजेंसियां जल्द इन घटनाओं के तह में जाएगी और दोषियों को सज़ा दी जाएगी.


शनिवार को भीड़ भरे बाजारों में धमाके ये दर्शाते हैं कि हमला करनेवालों की मंशा अधिकतम लोगों को हताहत करने की थी
शिवराज पाटिल, गृह मंत्री

गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने कहा कि शनिवार को भीड़ भरे बाजारों में धमाके ये दर्शाते हैं कि हमला करनेवालों की मंशा अधिकतम लोगों को हताहत करने की थी.उनका कहना था कि राष्ट्र विरोधी तत्व शांति में बाधा पहुँचाने और देश के विभिन्न भागों में लोगों के बीच दहशत फ़ैलाने की कोशिश कर रहे हैं.इधर सिलसिलेवार धमाकों में मरनेवालों के परिवार को दिल्ली सरकार पाँच लाख और घायल हुए लोगों को 50 हजार रुपए का मुआवज़ा देगी.दूसरी ओर केंद्र सरकार ने मृतकों के परिजनों को तीन लाख रुपए का मुआवज़ा देने की घोषणा की है.दिल्ली सरकार ने ऐलान किया है कि घायलों का मुफ़्त इलाज किया जाएगा.

बम धमाकेगौरतलब है कि शनिवार को दिल्ली में एक के बाद एक पाँच सिलसिलेवार बम धमाकों में कम से कम 20 लोग मारे गए थे और 90 से ज़्यादा घायल हुए हैं.


अस्पताल में 69 लोगों को लाया गया जिनमें से आट मृत लाए गए और एक की बाद में मौत हो गई. अब भी 35 लोग गंभीर रूप से घायल हैं जिनमें से 10 की हालत चिंताजनक है
डॉक्टर एसके शर्मा, लोहिया अस्पताल

ये धमाके कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क और बाराखंभा रोड, गफ़्फ़ार मार्केट और ग्रेटर कैलाश-1 में हुए.इसके अलावा तीन स्थानों- सेंट्रल पार्क, रीगल सिनेमा और इंडिया गेट पर बम निष्क्रिय किए गए.दिल्ली में भारतीय समयानुसार लगभग साढ़े छह बजे सबसे पहले करोल बाग- ग़फ़्फ़ार मार्केट इलाक़े में धमाके की ख़बर आई. इसके बाद ग्रेटर कैलाश-1, कनॉट प्लेस के बाराखंभा रोड और सेंट्रल पार्क इलाक़ों में धमाके हुए.दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत ने बीबीसी को बताया, "ग़फ़्फ़ार मार्केट ग्रेटर कैलाश, कनॉट प्लेस की बाराखंभा रोड और सेंट्रल पार्क इलाक़ों में धमाके हुए हैं. इनमें से दो जगह पर सीएनजी गैस सिलिंडर के धमाके हुए."दिल्ली राममनोहर लोहिया अस्पताल के आपात विभाग के प्रमुख डॉक्टर एसके शर्मा ने बताया, " अस्पताल में 69 लोगों को लाया गया जिनमें से आठ मृत लाए गए और एक की बाद में मौत हो गई. अस्पताल लाए गए 35 लोग गंभीर रूप से घायल हैं जिनमें से 10 की हालत चिंताजनक है."ग्रेटर कैलाश-1 में प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उन्हें दो धमाके सुने. पहले धमाके के बाद ही लोगों में अफ़रातफ़री मच गई और बाज़ार में भगदड़ मच गई. कई लोगों के शरीर में वाहनों और दुकानों के टूटे हुए शीशे लगे लेकिन किसी को गंभीर चोट नहीं आई.लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में आठ घायल लोगों को ले जाया गया जिनमें से से दो हालत गंभीर है.इन धमाकों के ठीक पहले कुछ समाचार चैनलों को एक ईमेल मिला.वरिष्ठ पुलिस अधिकारी करनैल सिंह ने बताया, " इंडियन मुजाहिदीन नाम के एक संगठन ने ईमेल के ज़रिए इन हमलों की ज़िम्मेदार ली है लेकिन इसकी जाँच और पुष्टि होनी बाक़ी है."उधर गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने कहा कि इस समय किसी भी संगठन का नाम लेना बहुत मुश्किल है लेकिन हम इन कारनामों को अंजाम देने वाले लोगों को ख़ोज निकालेंगे.अहमदाबाद धमाकों के ठीक पहले भी इसी तरह के ईमेल में इस संगठन ने धमाकों की ज़िम्मेदारी ली थी.

हाल में हुए प्रमुख चरमपंथी हमले इस प्रकार हैं:

  • 29 अक्तूबर 2005 - दिल्ली में तीन जग़हों पर हुए बम धमाकों में 62 लोग मारे गए और अनेक लोग घायल हुए.
  • 7 मार्च 2006 - उत्तर प्रदेश के वाराणसी में रेलवे स्टेशन और संकटमोचन मंदिर में हुए बम धमाकों में 20 लोग मारे गए और दर्जनों लोग घायल हुए.
  • 11 जुलाई 2006 - मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए बम धमाकों में 170 लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हुए.
  • 8 सितंबर 2006 - महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के मालेगाँव शहर में एक मस्जिद के पास हुए तीन बम धमाकों में 37 लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए.
  • 18 फ़रवरी 2007 - दिल्ली से अटारी जा रही समझौता एक्सप्रेस में हुए दो धमाकों में 66 लोग जलकर मारे गए जिसमें से अधिकतर पाकिस्तानी थे.
  • 18 मई 2007 - हैदराबाद की मक्का मस्जिद में नमाज़ के दौरान हुए धमाके में 11 लोग मारे गए और दर्जनों लोग घायल हुए.
  • 25 अगस्त 2007 - हैदराबाद में हुए बम विस्फोट में 42 लोग मारे गए और लगभग सौ लोग घायल हुए.
  • 11 अक्तूबर 2007 - राजस्थान में अजमेर स्थित ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में हुए धमाके में दो लोग मारे गए और 14 लोग घायल हुए.
  • 23 नवंबर 2007 - उत्तर प्रदेश में लखनऊ, फ़ैज़ाबाद और वाराणसी की कचहरियों में हुए बम धमाकों में 13 लोग मारे गए और 75 घायल हुए.
  • 1 जनवरी 2008 - उत्तर प्रदेश के रामपुर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के शिविर पर हुए चरमपंथी हमले में सात सुरक्षाकर्मियों समेत आठ लोग मारे गए और छह लोग घायल हुए.

सीरियल धमाकों से थर्रा उठी दिल्ली

शनिवार शाम दिल्ली 45 मिनट में पांच सीरियल धमाकों से थर्रा उठी। करोलबाग के गफ्फार मार्किट, कनॉट प्लेस के गोपालदास भवन और ग्रेटर कैलाश पार्ट-1 के एम ब्लॉक मार्किट में धमाकों की ख़बर है। पहला धमाका करोलबाग मार्किट में शाम करीब 6: 15 पर हुए। कनॉट प्लेस में एक, करोलबाग के गफ्फार मार्किट में एक और ग्रेटर कैलाश पार्ट-1 में दो ब्लास्ट हुए। दिल्ली पुलिस के मुताबिक इन धमाकों में 15 लोगों की मौत हो गई है और करीब 60 लोग ज़ख्मी हैं। 45 मिनट में पांच धमाकों से राजधानी थर्रा उठी। गृहमंत्रालय इस पूरे मामले पर कड़ी नज़र रखे हुए हैं। एनसीआर और मुंबई को हाइ अलर्ट पर रखा गया है। शुरुआती जानकारी के मुताबिक इंडियन मुजाहिदीन ने एक मीडिया हाउस को ई-मेल भेज इन धमाकों की जिम्मेदारी ली है।

Tuesday, September 9, 2008

आरोप पत्र दाखिल नहीं करेगी सीबीआई

बहुचर्चित आरुषि हत्याकांड
आरुषि हत्याकांड:राजकुमार की जमानत याचिका खारिज
नई दिल्ली,। नोएडा के बहुचर्चित आरुषि हत्याकांड में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई)ने मंगलवार को कहा कि वह इस मामले में आरोप पत्र दाखिल नहीं करेगा और इसके तीनों आरोपियों की जमानत का भी विरोध नहीं करेगा। सीबीआई को इस मामले में पहली गिरफ्तारी के बाद 90 दिन की समयसीमा पूरी होने से पहले 10 सितम्बर तक आरोप पत्र दखिल करना था। सीबीआई ने इस मामले में सबसे पहले 23 मई को आरुषि के पिता डॉक्टर राजेश तलवार को गिरफ्तार किया था।
सीबीआई की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को ही आरुषि एवं उसके नौकर हेमराज की हत्या के आरोपी राजकुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी।
बचाव पक्ष के वकील की दलील थी कि सीबीआई के पास राजकुमार के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। परंतु सीबीआई के वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि जांच अभी जारी है तथा राजकुमार के फरार होने की भी संभावना है।उल्लेखनीय है कि नोएडा के जलवायु विहार में गत 16 मई को आरुषि तलवार की हत्या कर दी गई थी। पहले हत्या का शक घर के नौकर हेमराज पर गया था लेकिन हेमराज का शव भी बरामद होने से मामला पेचीदा हो गया था। इस मामले में सबसे पहले आरुषि के पिता राजेश तलवार की गिरफ्तारी हुई लेकिन बाद में उनको जमानत मिल गई। इसके बाद सीबीआई ने नार्को परीक्षण के आधार पर राजेश के कंपाउंडर कृष्णा, और दो अन्य नौकरों राजकुमार तथा विजय मंडल को गिरफ्तार किया था।विजय मंडल को चार सितम्बर को जमानत मिल गई थी जबकि कृष्णा की जमानत याचिका पर 19 सितंबर को सुनवाई होगी। गाजियाबाद,नोएडा के बहुचर्चित आरुषि हत्याकांड में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने मंगलवार को आरोपी राजकुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी।सीबीआई की विशेष मजिस्ट्रेट सपना मिश्रा द्वारा जमानत याचिका खारिज किए जाने से पहले बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि सीबीआई के पास राजकुमार के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। परंतु सीबीआई के वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि जांच अभी जारी है तथा राजकुमार के फरार होने की भी संभावना है। उल्लेखनीय है कि नोएडा के जलवायु विहार में गत 16 मई को आरुषि तलवार की हत्या कर दी गई थी। पहले हत्या का शक घर के नौकर हेमराज पर गया था लेकिन हेमराज का शव भी बरामद होने से मामला पेचीदा हो गया था।इस मामले में सबसे पहले आरुषि के पिता राजेश तलवार की गिरफ्तारी हुई लेकिन बाद में उनको जमानत मिल गई। इसके बाद सीबीआई ने नारको परीक्षण के आधार पर राजेश के कंपाउंडर कृष्णा, और दो अन्य नौकरों राजकुमार तथा विजय मंडल को गिरफ्तार किया था।

Sunday, September 7, 2008

हथियारबंद संघर्ष में बच्चों का इस्तेमाल

जगदलपुर। अमेरिका स्थित मानवाधिकार संगठन ह्यूंमन राइट्स वाच ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में खुलासा किया है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में सरकार और माओवादी दोनों ही बच्चों का हथियारबंद संघर्ष में इस्तेमाल कर रहे हैं।कुल 58 पृष्ठों की इस रिपोर्ट में केंद्र सरकार का उद्देश्य छत्तीसगढ़ सरकार के अधिकारियों और जनजागरण अभियान सलवा जुडूम के तहत बनाए गए शिविरों में रहने वाले 160 लोगों के बयान हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 29 राज्यों में से आधे राज्यों में माओवादी हिंसा फैल चुकी है। पिछले 20 वर्ष से जारी इस हिंसा में लगभग छह हजार लोग मारे जा चुके हैं। खतरनाक ड्यूटी बच्चे और छत्तीसगढ़ का संघर्ष शीर्षक की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को हथियारबंद संघर्ष में शामिल करने से उनके घायल होने और मारे जाने का खतरा रहता है जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों का खुला उल्लंघन भी है। मानवाधिकार संगठन की ओर से बच्चों की वकालत करने वाले जो बेकर ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि छत्तीसगढ़ में बच्चों को सशस्त्र संघर्ष में झोंक कर सरकार और नक्सलियों द्वारा बच्चों का इस तरह शोषण करना शर्मनाक है। विज्ञप्ति के अनुसार नक्सली अपने दलों में 16 साल से कम उम्र के बच्चों की भर्ती करते हैं। सरकार समर्थित नक्सल विरोधी अभियान सलवा जुडूम में भी बच्चों का उपयोग हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग के समक्ष भी यह स्वीकार किया है कि कम उम्र के बच्चों को एसपीओ के पद पर [विशेष पुलिस अधिकारी] भर्ती किया गया था, क्योंकि उनके पास उम्र का कोई प्रमाणपत्र नहीं था।गौरतलब है कि वर्ष 2005 में दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले में 3500 एसपीओ की भर्ती की गई थी, जिनमें कम उम्र के बच्चों की संख्या अधिक थी। पुलिस ने बाद में यह गलती स्वीकार करते हुए 150 बच्चों को एसपीओ के पद से हटा दिया था। दूसरी ओर केंद्रीय गृह मंत्रालय की इस वर्ष की रिपोर्ट में सलवा जुडूम अभियान में बच्चों को शामिल किए जाने का खंडन किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नक्सलियों ने बच्चों को जबरन अपने दल में शामिल करने की कोशिश की और उनके इनकार करने पर नक्सलियों ने बच्चों के परिजनों को प्रताडि़त किया या उनकी हत्या कर दी।

बाबा राम रहीम पर दुष्कर्म का आरोप तय

अंबाला शहर [सं]। डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम की मुसीबतें अब बढ़ गई हैं। शनिवार को अंबाला सीबीआई कोर्ट के विशेष जज एके वर्मा ने भादंसं की धारा 376 और 506 के तहत साध्वियों के यौन शोषण और जान से मारने की धमकी के मामले में डेरामुखी के खिलाफ आरोप तय कर दिया।कड़ी सुरक्षा के बाद पुलिस लाइन स्थित अस्थाई कोर्ट में सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर डेरामुखी पहुंचे। जहां कोर्ट में उन्हें यौन शोषण के आरोपों को पढ़कर सुनाया गया, वहीं रंजीत हत्याकांड में आरोपों पर बहस शुरू हुई। बचाव पक्ष के वकील डा. सूर्यप्रकाश ने अपनी दलीलें रखीं। फिलहाल अब सीबीआई चार अक्टूबर को बचाव पक्ष के सवालों का जवाब देगी।वर्ष 2002 में गुमनाम पत्र के जरिए डेरा में साध्वियों से यौन शोषण मामले का खुलासा हुआ था। गुमनाम पत्र बांटने व छापने के आरोपों में कुरुक्षेत्र के रंजीत और सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या कर दी गई थी। इन दोनों हत्याओं में डेरामुखी को 120 बी का आरोपी बनाया गया। हरियाणा पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट होकर रंजीत के पिता जोगेंद्र सिंह ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की याचिका दायर की थी। वर्ष 2004 में हाईकोर्ट के निर्देशों पर शुरू हुई सीबीआई जांच में गुमनाम पत्र के जरिए साध्वियों से यौन शोषण मामले का खुलासा हुआ था। सीबीआई के समक्ष डेरे की दो साध्वियों ने डेरामुखी पर दुष्कर्म का आरोप लगाया तो सीबीआई ने सौ से अधिक साध्वियों के 161 के तहत बयान दर्ज करने के साथ डेरामुखी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया।सीबीआई ने तीनों मामलों में 31 जुलाई 2007 को सीबीआई के तत्कालीन स्पेशल मजिस्ट्रेट आरएन भारती के निवास पर चार्जशीट पेश की थी। जिसके बाद से ही मामले में आरोपों पर बहस शुरू हुई थी और 26 जुलाई को सीबीआई के विशेष जज एके वर्मा ने डेरामुखी पर आरोप तय करने के आदेश दिए थे। लेकिन पिछली दो पेशियों में डेरामुखी के पेश न होने के कारण आरोप निर्धारण की प्रक्रिया आज पूरी की गई। उधर, रंजीत हत्याकांड में आरोपों पर बहस शुरू हुई, जिसमें बचाव पक्ष ने कई दलीलें दी। जहां अब सीबीआई चार अक्टूबर को दलीलों का जवाब देगी।सीबीआई के लोक अभियोजक एचपीएस वर्मा ने बताया कि आरसी नंबर पांच में आईपीसी की धारा 376 व 506 के तहत डेरामुखी पर आरोप तय हो गए है। जहां अब ट्रायल के बाद गवाहों के बयान होंगे। बचाव पक्ष के वकील डा. सूर्य प्रकाश ने सीबीआई पर गवाहों को धमकाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसकी दोबारा से जांच होनी चाहिए।

दुष्कर्मी-हत्यारे शिक्षक की फांसी पर मुहर

नई दिल्ली: यह महज एक संयोग है। शिक्षक दिवस पर शुक्रवार को लाखों शिक्षकों को उनके अनुकरणीय कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। वहीं एक शिक्षक को उसके घृणित कुकर्माें के लिए फांसी की सजा सुनाई गई है। शुक्रवार को सुप्रीमकोर्ट ने नौ साल की बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या करने वाले एक शिक्षक की फांसी की सजा पर अपनी मुहर लगा दी है। इसके पहले सत्र अदालत व हाईकोर्ट ने भी पुणे के शिवाजी उर्फ दादया शंकर को फांसी की सजा सुनाई थी।न्यायमूर्ति अरिजीत पसायत व न्यायमूर्ति एम के शर्मा की पीठ ने शिवाजी की याचिका खारिज कर दी। पीठ ने कहा कि सत्र अदालत व हाईकोर्ट का फैसला सही है। उसमें दखल देने का कोई आधार नहीं है। यह मामला विरले मामलों की श्रेणी में आता है। अभियुक्त को फांसी की ही सजा सुनाई जा सकती है।घटना जनवरी 2002 पुणे की है। मकर संक्रांति का दिन था। अभियुक्त नौ साल की बच्ची को जलाने की लकड़ी देने का लालच देकर पहाड़ी पर ले गया। वहां दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी। अभियुक्त शिक्षक शादीशुदा और तीन बच्चों का पिता है। यह मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों का था। अभियुक्त को अंतिम बार बच्ची के साथ देखा गया था। उसके बाद बच्ची मरी पायी गई।सुप्रीमकोर्ट ने सजा को सही ठहराते हुए कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर भी फांसी की सजा सुनाई जा सकती है, यदि घटना की क्रमबद्धता सिद्ध हो जाए और गवाहों के बयान विश्वसनीय हों। इस मामले में ऐसा ही है।फैसले में कहा गया है कि सजा अपराध के अनुपात और उसके समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रख कर दी जानी चाहिए। सजा पर विचार करते समय अपराध के तरीके, कारण और उसमें प्रयुक्त हथियार तथा परिस्थितियों का ध्यान रखा जाना चाहिए। उदाहरण के तौर पर दोनों पक्षों की ओर से चलने वाली पुरानी आपसी दुश्मनी के मामले में मृत्युदंड नहीं दिया जा सकता है। लेकिन संगठित, सुनियोजित अपराध तथा बड़े पैमाने पर निर्दोषों की हत्या के मामले में ऐसे अपराधों को रोकने के लिए मृत्यु दंड दिया जा सकता है। पीठ ने कहा कि अभियुक्त के साथ बेमतलब की सहानुभूति रख कर अपर्याप्त सजा दिया जाना न्यायिक प्रणाली के लिए ज्यादा घातक है। इससे लोगों का कानून की निपुणता पर विश्वास कम होगा और समाज ज्यादा समय तक इसे नहीं सह सकता। इसलिए प्रत्येक अदालत का कर्तव्य है कि वह सजा देते समय अपराध की प्रकृति और तरीके को ध्यान में रखे। अपराध का समाज पर पड़ने वाले असर को ध्यान में रखे बगैर सजा देना बहुत से मामलों में बेकार की प्रक्रिया सिद्ध होता है।महिलाओं, बच्चों के प्रति अपराध, डकैती तथा नैतिकता आदि के खिलाफ होने वाले अपराधों में जनहित को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसे मामलों में उदाहरणात्मक दंड दिया जाना चाहिए।

Saturday, September 6, 2008

बाढ़ पीड़ितों के लिए तीन ट्रक बिस्कुट भेजे

नोएडा/ग्रेटर नोएडा सं : उत्तरी बिहार में आई विनाशकारी बाढ़ में फंसे लोगों को राहत पहुंचाने के लिए सूर्या फूड एंड एग्रो लिमिटेड की तरफ से शनिवार को एक ट्रक बिस्कुट भेजे गए। इससे पहले कंपनी का दो ट्रक बिस्कुट बृहस्पतिवार को पटना पहुंच गया, जो राजद सुप्रीमो लालू यादव द्वारा चलाए जा रहे राहत शिविर के तत्वावधान में बाढ़ पीड़ितों के बीच बांटा गया। कंपनी के चेयरमैन बीपी अग्रवाल ने कहा कि अभी दो ट्रक बिस्कुट और भेजे जाने हैं। जिसका खेप एक दो दिनों में तैयार कर ली जाएगी। जिसे पतंजलि योग शिविर द्वारा सहरसा में चलाए जा रहे राहत शिविर में वितरित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा जरूरत पड़ने पर अन्य राहत सामग्री भी भेजी जाएगी। बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए पूर्णिया जिले में नोएडा केमिस्ट एसोसिएशन ने मोर्चा संभाल लिया है। एसोसिएशन अध्यक्ष अनूप खन्ना के नेतृत्व में गई टीम शनिवार को पूरा दिन पूर्णिया जिले के बनमनकी गांव में राहत कार्य में जुटी रही।अनूप खन्ना ने बताया कि लोग बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। घरों के पानी में पूरी तरह से डूब जाने पर लोगों ने सड़कों पर डेरा डाल दिया है। शनिवार को पूरा दिन उन्होंने ऐसे कई क्षेत्रों का सेना की मदद से दौरा किया व राहत सामग्री बांटने के लिए क्षेत्र चिन्हित किए। बनमनकी में राहत सामग्री रखने के लिए गोदाम का प्रबंध पूर्णिया केमिस्ट एसोसिएशन ने कर दिया है। रविवार व सोमवार को टीम बेसहारा हुए लोगों को कपड़े, जीवन रक्षक दवाएं व रोजाना उपयोग की वस्तुएं बांटेगी।

सदमे से नहीं उबर पा रहे आरुषि के मां-बाप

नोएडा। अपनी बेटी आरुषि व नौकर यम प्रसाद की हत्या के आरोप में कारावास झेल चुके डॉ. राजेश तलवार और उनकी पत्नी डॉ. नुपुर तलवार अब भी सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं। उन्हें समाज में अब भी अपमान का घूंट पीना पड़ रहा है। यही कारण है कि डॉ. तलवार दंपती अब भी सार्वजनिक आयोजनों व कार्यक्रम में जाने से परहेज कर रहे हैं। हालांकि दोनों ने नोएडा व दिल्ली स्थित क्लीनिकों में बैठना शुरू कर दिया हो, लेकिन फोर्टिस अस्पताल में उनकी वापसी नहीं हो सकी। हत्याकांड से जुड़ी भयावह यादों को भुलाने का प्रयास कर रहे डॉ.तलवार अब भी अपने घर लौटने की हिम्मत नहीं जुटा सके हैं।अपनी बेटी के कत्ल के इल्जाम में करीब 50 दिन की जेल काटने के बाद जमानत पर रिहा हुए डॉ. राजेश तलवार लगातार अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन यादें उनका पीछा नहीं छोड़ रही हैं। बहरहाल इनसे निपटने के लिए डॉ. राजेश व उनकी पत्नी डॉ. नूपुर ने खुद को काम में व्यस्त कर दिया है। दोनों ने दोबारा क्लीनिक खोल दिया है।नोएडा के सेक्टर-27 स्थित पा‌र्श्वनाथ प्लाजा में डॉ. राजेश तलवार सप्ताह में चार दिन सुबह ढाई घंटे का समय देते हैं। इस क्लीनिक पर डॉ. नूपुर तलवार सप्ताह में एक दिन शाम को दो घंटे के लिए आती हैं। इसके अलावा दिल्ली के हौज खास स्थिति क्लीनिक पर भी डॉ. राजेश तलवार व डॉ.नूपुर नियमित समय देने लगे हैं।अतीत की उन भयावह यादों का भुलाने का प्रयास कर रहे पति-पत्नी अब भी सेक्टर 25 एल 32 स्थित अपने घर में नहीं रहते। वहां पर बेटी की मौत का गम भुलाना उनके लिए आसान नहीं होगा। यह वहीं घर है जहां 16 मई को आरुषि व नौकर यम प्रसाद का कत्ल हुआ। इसके बाद नोएडा पुलिस ने 23 मई को डॉ. राजेश तलवार को कत्ल के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के 50 दिन बाद सीबीआई ने उन्हें लगभग क्लीन चिट दे दी थी। सीबीआई के पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं थे, जिसे देखते हुए कोर्ट ने 11 जुलाई को डॉ.राजेश तलवार को जमानत मिल गई। उसके बाद से ही डॉ. राजेश तलवार अपनी पत्नी डॉ. नूपुर के साथ सेक्टर 25 में ही उसके मायके में रह रहे हैं।डॉ. तलवार दंपती के करीबी बताते हैं कि अब वह किसी से बहुत ज्यादा मिलना पसंद नहीं करते। ऐसा करते हुए वह कुछ हिचकते हैं क्योंकि अक्सर लोग पुरानी बातें करने लगते हैं, जिसके लिए वह बिल्कुल तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि कुछ खास दोस्तों रिश्तेदारों को छोड़ उन्होंने किसी और के यहां आना-जाना भी छोड़ दिया है।

पीएलए में कैद करोड़ों की राशि पर सरकारी ताला

मुरादाबाद : सभी विभागों के पर्सनल लेजर एकाउंट (पीएलए) में पड़ी करोड़ों रुपए की धनराशि शासन ने फ्रीज कर दी है। राज्य सरकार के वित्त विभाग की विशेष अनुमति पर ही 15 सितंबर तक ये धनराशि खर्च हो सकेगी। पीएलए में मौजूद केंद्र सरकार की धनराशि के अंश पर यह रोक प्रभावी नहीं है। तमाम विभागों के पीएलए में कैद करोड़ो की राशि पर सरकारी ताले से विभागों में हड़कंप है।लेटलतीफ सरकारी विभाग वित्त वर्ष के अंत में धनराशि लैप्स होने से बचाने के लिए पीएलए में डाल देते हैं। इससे शासन की योजनाएं विलंबित होती हैं। सरकार ने अब सरकारी राशि को काम में लगाने की बजाय पीएलए में कैद करने के चोर रास्ते को बंद कर विकास कार्यो में तेजी लाने की कोशिश की है। सरकारी विभागों को अब वित्तीय वर्ष के लिए मिला धन उसी साल खर्च करना होगा। ऐसा न करने पर अब धनराशि लैप्स हो जाएगी। प्रमुख सचिव वित्त अनूप मिश्रा द्वारा शासनादेश जारी करके 31 मार्च 07 को पीएलए में पड़ी राज्य सरकार की समूची धनराशि फ्रीज करा दी गई है। इस धनराशि के निकालने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए कहा गया है कि 15 सितंबर तक पीएलए में पड़ी धनराशि की मानीटरिंग की जाएगी। इस दौरान पीएलए में पड़ी धनराशि वित्त विभाग के आदेश पर ही निकाली जा सकेगी। संबंधित विभाग को इसके लिए अपने प्रशासनिक विभाग का सहारा लेना होगा।शासनादेश में यह भी साफ हिदायत है कि अब वित्त वर्ष की समाप्ति पर राज्य सरकार की धनराशि पीएलए में नहीं डाली जाएगी, न ही कोई पैसा बैंक में दिया जाएगा। अग्रिम आहरण के लिए भी नया नियम बनाया गया है। अब दो महीने के खर्चे के बराबर ही पैसा निकाला जा सकेगा। एकमुश्त एलाटमेंट भी कोई विभाग नहीं करेगा। एलाटमेंट चरणों में किया जाएगा। 12 वें वित्त आयोग से मुक्त होने वाले पैसे को इस धनराशि से मुक्त रखा गया है। खास बात यह है कि केंद्रांश के तहत मिलने वाली धनराशि को भी इस आदेश से मुक्त रखा गया है।इस शासनादेश के बाद तमाम विभागों में हड़कंप मचा है। सूत्रों के मुताबिक जिले के सरकारी विभागों का करीब पांच करोड़ रुपया पीएलए में है।

Friday, September 5, 2008

अब एटीएम से करें बीएसएनएल को भुगतान

नई दिल्ली। बीएसएनएल टेलीफोन का इस्तेमाल करने वाले लोग अब अपने बिलों का भुगतान पंजाब नेशनल बैंक के एटीएम से कर सकते हैं।बीएसएनएल के पोस्ट-पेड मोबाइल ग्राहक अपने बिल का भुगतान देशभर में पीएनबी के किसी भी एटीएम से कर सकते हैं। जहां तक लैंड लाइन ग्राहकों का सवाल है वर्तमान में उक्त सुविधा 19 प्रमुख शहरों में उपलब्ध है।बीएसएनएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक कुलदीप गोयल ने सेवा की शुरुआत करते हुए कहा कि हम जल्द ही लैंडलाइन ग्राहकों के लिए उक्त सेवा पूरे देश में उपलब्ध कराएंगे। बीएसएनएल को एटीएम के जरिए बिल के भुगतान का विचार उस वक्त आया जब कुछ दिनों पहले पीएनबी कंपनी के मुख्यालय में एक एमटीएम मशीन स्थापित कर रहा था। वर्तमान में बीएसएनएल के ग्राहकों के पास बिल के भुगतान के विभिन्न विकल्प मौजूद हैं चाहे वह डाकघर बैंक या इंटरनेट हों या फिर इट्ज कार्ड या क्रेडिट एवं डेबिट कार्ड हो।पीएनबी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के.सी. चक्रवर्ती ने कहा कि यह पीएनबी और बीएसएनएल दोनों के लिए ही एक मील का पत्थर है जिन्होंने महज पंद्रह दिनों के अंदर अवधारणा को मूर्त रूप प्रदान किया। बीएसएनएल के लिए उक्त सेवा नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। उल्लेखनीय है कि बीएसएनएल से हर महीने करीब 35 करोड़ टेलीफोन बिल निकलते हैं और कंपनी को उम्मीद है कि नई सेवा से ग्राहकों को बिल के भुगतान में सहूलियत होगी।

अभी साथ काम नहीं करेंगे

मुंबई.फिल्म ‘बचना-ए-हसीनो’ की सफलता के बाद कई बड़े निर्माताओं ने रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण को अपनी फिल्मों में काम करने की पेशकश की है, लेकिन दोनों ने फिलहाल एकसाथ काम करने से इनकार कर दिया है।इनका कहना है कि वे एक-दूसरे के साथ रहकर बेहद खुश हैं और अपने रिश्ते के बारे में लोगों को बताने के लिए उन्हें एकसाथ काम करने की जरूरत नहीं है। एक इंटरव्यू में दीपिका ने बताया, ‘हम दोनों ने अपने रिश्ते के बारे में पहले ही किसी से कुछ न छिपाने का फैसला किया था। इसलिए अब हमें कुछ भी साबित करने की जरूरत नहीं है। इसलिए हम अभी साथ फिल्में नहीं कर रहे हैं।’ इन दोनों को हाल ही में डेविड धवन, राजकुमार संतोषी और अनीस बज्मी ने अपनी फिल्मों में काम करने की पेशकश की थी।

शाहिद-करीना की फ्लॉप जोड़ी से लिया सबक:सूत्रों की मानें तो इन दोनों ने शाहिद-करीना के ब्रेकअप से पहले रिलीज हुई फिल्मों से सबक लेते हुए साथ काम न करने का फैसला किया है। मालूम हो कि शाहिद-करीना के ब्रेकअप से पहले रिलीज हुई फिल्मों ‘36 चाइना टाउन’, ‘फिदा’ और ‘चुप चुप के’ ने बॉक्स ऑफिस पर पानी भी नहीं मांगा था लेकिन ब्रेकअप के बाद ‘जब वी मैट’ को अपार सफलता मिली थी।रणबीर-दीपिका को भी यही डर है कि अगर उनकी फिल्मों को दर्शकों ने पसंद नहीं किया तो क्या होगा। जहां तक ‘बचना-ए-हसीनो’ की सफलता की बात है, तो इसकी सफलता सिर्फ इन दोनों पर निर्भर नहीं है। इसके लिए बिपाशा बसु और मिनिषा लांबा भी जिम्मेदार हैं।

दो साल तक दोनों के साथ दिखने की उम्मीद नहीं:अभी तो रणबीर राजकुमार संतोषी की फिल्म ‘अजब प्रेम की गजब कहानी’ और दीपिका निखिल अडवानी की ‘चांदनी चौक टू चाइना’ की शूटिंग में व्यस्त हैं। जहां रणबीर अपनी अगली फिल्मों में कैटरीना कैफ और कोंकणा सेन शर्मा के साथ नजर आएंगे, वहीं दीपिका अक्षय कुमार के साथ दिखेंगी। हालांकि रणबीर के दोस्त विक्की सिंह की उन्हें दीपिका के साथ लेकर फिल्म बनाने की योजना है लेकिन इसके अभी दो साल तक बनने की कोई उम्मीद नहीं है।

गाली गलौज और पत्थरबाजी करके मनाते हैं नागपंचमी

वैसे तो नागपंचमी के दिन पूर्वांचल में अखाडे में कुश्ती लड़ने और बौध्दिक शास्त्रार्थ करने की परम्परा है लेकिन चंदौली जिले के विसूपुर और मंहुआरी गांव के लोग नागपंचमी को आपस में गाली गलौज और पत्थर बाजी करके मनाते हैं। खास बात यह है कि साल में एक दिन होने वाली गाली गलौज के बाद भी लोगों में आपसी भाईचारा बना हुआ है। इस अनोखी परम्परा के पीछे ऐसी मान्यता है कि जब जब इसे बन्द करने की कोशिश की गयी तब तब ये गांव दैवी आपदा की चपेट में आए, इसलिए गांव वाले नागपंचमी के दिन होने वाली इस गाली गलौज के त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। दो गांवों की सरहद पर हर साल आदमी और औरतों का जमावड़ा नागपंचमी के ही दिन लगता है जहां विसूपुर और महुंआरी गांव के लोग गांव की अच्छी पैदावार और दैवी आपदा से बचने के लिए आपस में गाली गलौज करते हैं तथा बुराई पर प्रहार करने के लिए पत्थर बाजी भी करते हैं। विसूपुर गांव के सबसे बुजुर्ग राजमणि त्रिपाठी इसकी प्राचीनता के बारे में बताते हुए कहते हैं कि नाग पंचमी पर होने वाली गाली गलौज की कहानी हमारे बाबा भी सुनाया करते थे। लगभग शाम तीन बजे से शुरू होने वाले इस गाली गलौज के प्रोग्राम में महिलाएं अपने अराध्य को जगाने के लिए कजरी और सोहर गाती हैं, और जब इष्ट देव प्रसन्न हो जाते हैं तब शुरू होता है एक दूसरे के ऊपर छीटा कशी का दौर। इस गांव की महिलाएं उस गांव की लड़की को अपने गांव के लड़के से ब्याहने की गाली देती हैं, तो दूसरे गांव की महिलाएं भी ऐसी ही गाली देकर उन्हें ललकारती हैं। महिलाओं की इस मीठी गाली का यह दौर लगभग एक घंटे तक चलता है। इधर पुरुष वर्ग भी अपने पूरे दमखम के साथ एक दूसरे पर पत्थर फेंकते हैं। इस गाली परम्परा का कारण पूछने पर इन्द्रावती काकी बताती हैं कि यदि इसे न मनाया जाय तो गांव में बीमारी फैलने लगती है, जबकि मंहुआरी की उषा देवी बताती हैं कि इस गाली गलौज से आपसी प्रेम तो बढ़ता ही है साथ ही हमारा गांव दैवी आपदा से भी बचा रहता है। पत्थरबाजी में एक बार एक आदमी के घायल हो जाने के कारण पुलिस के सहयोग से गांव के कुछ प्रगतिशील लोगों ने इसे बंद करवा दिया था लेकिन उसी साल सूरत में फैले प्लेग की वजह से इस गांव के कुछ लोगों की मौत हो गयी। बस प्लेग को दैवी आपदा मानकर फिर इस परम्परा को शुरू कर दिया गया। महुंआरी गांव के बब्बन सिंह बताते हैं कि जिस साल इसे बंद किया गया था, इत्तेफाक से उसी साल इस गांव के कुछ लोग प्लेग से मर गये।

Wednesday, September 3, 2008

उच्चतम न्यायालय का दागी पुलिसकर्मियों की बहाली से इंकार

नयी दिल्ली ! उच्चतम न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में पुलिसकर्मियों को स्पष्ट संकेत दिया है कि जिन लोगों पर समाज की सुरक्षा की जिम्मेदारी हैं यदि वे लूटपाट जैसे संगीन अपराधों में लिप्त पाये जाते हैं तो वे सेवा में नहीं बने रह सकते!
न्यायमूर्ति अरिजित पसायत की अध्यक्षता वाली पीठ ने तीन सिपाहियों को निलंबित करने के बिहार पुलिस विभाग के फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए यह व्यवस्था दी!इन तीनों को अक्तूबर 1991 में पटना उच्च न्यायालय के निकट से उस समय पकडा गया था जब ये लूट के माल के साथ फरार होने की कोशिश कर रहे थे! इन तीनों के खिलाफ लूटपाट का मामला दर्ज किया गया! लेकिन प्रमाण के अभाव में निचली अदालत ने इन्हें बरी कर दिया! इस आधार पर इन्होंने उन्हें निलंबित करने के फैसले को चुनौती दी!उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा नियमों में कहीं यह नहीं लिखा है कि आपराधिक मामला दर्ज होने के बाद किसी तरह की विभागीय कार्यवाही नहीं होगी ! विभागीय कार्यवाही और मुकदमे की सुनवाई दोनों अलग अलग चीज हैं और बरी किया जाना विभागीय कार्यवाही के आधार पर की गई कार्रवाई को निरस्त करने का आधार नहीं है!

पुलिस आधुनिकीकरण आयोग पर अब भी है संदेह

राज्यों ने केंद्र को भेजे 800 सुझाव
जोगेन्द्र सोलंकी

नई दिल्ली, देश के 28 राज्यों के अलावा केन्द्र शासित सात राज्यों के पुलिस प्रमुखों ने पुलिस आधुनिकीकरण के लिए गृह मंत्रालय को आठ सौ सुझाव भेजे हैं। सूत्रों का कहना है कि इसमें करीब पचास प्रतिशत सुझाव का प्रारूप काफी मिलता-जुलता है। इसके अलावा जमीनी स्तर पर इन सुझावों का आकलन करने के लिए नेशनल पुलिस कमीशन की कार्यकारी सीमिति ने गृह सचिव की अध्यक्षता में छह बिन्दुओं को माइक्रो मिशन के तहत समाहित किया गया है। मगर इन सुझावों को केन्द्रीय गृह मंत्रालय अमली जामा पहना पाएगा इस पर पुलिस अधिकारियों के एक बड़े तबके को संदेह है।
सूत्रों का कहना है कि पुलिस आयोग स्थानीय निकाय व प्रशासन को सशक्त कर रहा है। मिशन ने समाज के कमजोर तबकों के हित के लिए एक रोड मेप बनाया है। मिशन ने देश और देश के बाहर आतंकवाद, संगठित अपराध के मुकाबले के लिए संसाधनों के उपयोग के लिए एक विस्तृत दृष्टिकोण अपनाया है। मिशन में विज्ञान, उद्योग, मीडिया और अकादमी क्षेत्र के लोग प्रशासिनक एवं नीति निर्धारक विशेषज्ञों की राज्य व केन्द्र में उपस्थिति मिशन को पूरी मजबूती से सामने लाएगा। इसके अलावा पुलिस को प्रशिक्षित करने के लिए कुछ नए प्रशिक्षण स्कूल खोले जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि पुलिस आधुनिकीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बड़ी संख्या में माइक्रो मिशन बनाने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन एक नीति बनाने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों से आने वाले तमाम माइक्रो मिशन को एकीकृत करके एक छत के नीचे लाना होगा। उधर, कई आला अधिकारी पुलिस आधुनिकीकरण के लिए बनाए आयोग की कार्यशैली से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि राज्य पुलिस से प्राप्त सुझावों की परख जमीनी स्तर पर नहीं होती है। यही वजह होती है कि पुलिस आधुनिकीकरण के दिए गए सभी सुझाव केवल दावे बनकर रह जाते हैं। नार्थ ब्लाक के आलीशान कमरों में लिए गए फैसलों के बाद मिलने वाला करोड़ों रुपए का बजट ठीक तरीके से खर्च नहीं हो पाता है। पूर्व आईपीएस अधिकारी रामलिंगम का कहना है कि उनके समय भी केन्द्रीय गृह मंत्रालय को कई तरह के सुझाव दिए गए थे, लेकिन उन पर आज तक अमल नहीं हो सका है। जबकि उन्हें पुलिस सेवा को छोड़े एक दशक से ज्यादा हो चुका है।
दूसरी ओर, बिहार पुलिस से रिटायर अधिकारी अरिहंत प्रसाद बताते हैं कि प्रधानमंत्री की पहल पर संघीय जांच एजेंसी के गठन की मांग उठी थी, लेकिन वह भी मात्र मांग बनकर रह गई है। एक भी राज्य सरकार इस एजेंसी के गठन को लेकर गंभीर नहीं हुई। राज्यों को लगता है इसके बनने से उनकी पुलिस पर केन्द्र सरकार की लगाम कस जाएगी।

बार ग‌र्ल्स संग धड़े गए 22 कस्टम अफसर

पुणे। बार बालाओं के साथ मस्ती करने गए कस्टम और एक्साइज विभाग के करीब दो दर्जन अधिकारी मंगलवार को पुलिस की गिरफ्त में आ गए। पुलिस ने 11 बार बालाओं सहित कुल 40 लोगों को गिरफ्तार किया।ये गिरफ्तारियां महाराष्ट्र के मशहूर हिल स्टेशन खंडाला के एक रिजार्ट से हुई। इस रिजार्ट पर रेव पार्टी चल रही थी। इसी बीच पुलिस ने छापा मार दिया। कस्टम व सेंट्रल एक्साइज विभाग के जिन 22 अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया, उनमें सात अधीक्षक स्तर के हैं। ये सभी पार्टी में भाग लेने के लिए मुंबई से खंडाला आए थे। पार्टी के तीन आयोजकों और सभी लोगों को मुंबई से गाड़ी चला कर लाने वाले ड्राइवरों को भी गिरफ्तार किया गया है।पुणे के पुलिस अधीक्षक [ग्रामीण] रविंद्र कदम ने बताया कि हमें सूचना मिली कि खंडाला के एक रिजार्ट में रेव पार्टी चल रही है। जब पुलिस ने छापा मारा तो वहां कानफोड़ू आवाज में गाने बज रहे थे और जाम से जाम टकराए जा रहे थे। कई लोग तो आपत्तिजनक स्थिति में थे। मौके से ब्लू फिल्मों की सीडी और भारी मात्रा में शराब भी बरामद की गई।

क्या होती है रेव पार्टी:सामान्य अर्थो में रेव पार्टी का मतलब होता है डांस पार्टी। पूरी रात चलने वाली इन पार्टियों में तेज इलेक्ट्रानिक म्यूजिक, डीजे और लेजर लाइट शो का बोलबाला होता है। धीरे-धीरे इन पार्टियों में ड्रग्स और अश्लील हरकतें भी शामिल हो गई। अब तो रेव पार्टी का पर्याय ही शराब, मादक पदार्थ और अश्लीलता है।

बाइकर्स गैंग के दो लूटेरे गिरफ्तार

नोएडा। उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्ध नगर जिले के नोएडा में पुलिस ने सोमवार को तड़के बाइकर्स गैंग के दो कुख्यात अंतरराज्जीय गैंग के लुटेरों को गिरफ्तार किया।नगर पुलिस अधीक्षक अशोक त्रिपाठी ने बताया कि सुबह 6 बजे गश्त पर निकले थाना सेक्टर 58 के थानाध्यक्ष रामसेन सिंह ने मामूरा गांव के पास से मोटर साइकिल पर सवार दिनेश कुमार उर्फ डीके उर्फ मनोज मलिक निवासी स्याना बुलंदशहर व अनिल उर्फ टीटी निवासी विजय नगर गाजियाबाद को गिरफ्तार किया। उन्होंने बताया कि पकडे़ गए बदमाशों को जब पुलिस ने तलाशी ली तो इनके पास से 315 बोर के दो देशी तमंचे 6 कारतूस मिले। उन्होंने बताया कि बदमाशों की निशानदेही पर पुलिस ने गत 21 जुलाई को सेक्टर 67 के पास से बैंक कर्मी मोनिका से लूटी गई सोने की चार चूडियां, हीरे की अंगूठी समेत भारी मात्रा में जेवरात इनके पास से बरामद की है।त्रिपाठी ने बताया कि पकड़े गए बदमाशों ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि आटो में सवार होकर जाने वाली महिलाओं का पीछा कर ये लोग सुनसान जगह पर आटो को ओवर टेक करके तमंचा के बल पर गहने रुपये व कीमती सामान लूट लेते थे। इसके अलाव ये लोग राह चलते लोगों से भी हथियार के बल पर लूटपाट करते थे। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में उन्होंने हाल में दो दर्जन से ज्यादा लूट की वारदात को अंजाम देना स्वीकार किया है। उन्होंने बताया कि इन लोगों ने दिल्ली, गुडगांव, नोएडा व गाजियाबाद में कई सनसनीखेज वारदातों को अंजाम देना स्वीकार किया है।

270 करोड़ की हेरोइन समेत तीन गिरफ्तार

अमृतसर [वरिष्ठ संवाददाता]। बुधवार को डीआरआई टीम ने पंजाब में अब तक की सबसे अधिक मात्रा 54 किलोग्राम हेरोइन के साथ तीन अंतरराष्ट्रीय तस्करों को गिरफ्तार किया है। पकड़ी गई हेरोइन की कीमत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करीब 2 अरब 70 करोड़ है।जानकारी के अनुसार डीआरआई ने पुख्ता सूचना पर अमृतसर के भगतांवाला के पास से यह खेप बरामद की है। डीआरआई ने तीन अंतरराष्ट्रीय तस्करों को भी गिरफ्तार किया है जिनमें माना मलिया [खेमकरण] के जसबीर सिंह, वां तारा सिंह [नजदीक खेमकरण] महिंदर सिंह व काबुल सिंह हैं। तीनों से पूछताछ चल रही है। डीआरआई का यह आपरेशन काफी सटीक था। पहले से ही पुख्ता सूचना के आधार पर डीआरआई ने अपना जाल फैला रखा था। योजना के तहत विभाग ने तीनों तस्करों को 54 किलोग्राम हेरोइन के साथ गिरफ्तार करने में सफलता पाई।खास बात यह है कि अब तक पंजाब में पकड़ी गई यह सबसे बड़ी हेरोइन की खेप है। इसके पहले डीआरआई ने ही 2006 में 40 किलोग्राम हेरोइन पकड़ी थी। यह हेरोइन की खेप एक ट्रक में छुपा कर दिल्ली के तरफ ले जाई जा रही थी। जिसे डीआरआई ने लुधियाना व फगवाड़ा के बीच पकड़ी थी। ट्रक राजस्थान का था जबकि ट्रक ड्राइवर खेमकरण के समीप गांव का रहने वाला था। 2006 में ही डीआरआई ने कोरियर में विदेश जाने वाले सामान में हेरोइन की खेप पकड़ी थी, दो कोरियर वालों के साथ सांठ-गांठ करने वालों की इस मामले में गिरफ्तारी भी हुई थी।इसी तरह डीआरआई ने 2007 में जालंधर के एक नेता को करीब 22 किलोग्राम हेरोइन के साथ उस समय गिरफ्तार किया था जब वह अपनी कार में हेरोइन की खेप बड़े ही शातिराना ढंग से कपड़ों की पैकिंग में छिपाकर अंतरराष्ट्रीय राजासांसी हवाई अड्डे पर किसी महिला को डिलिवरी देने ले जा रहा था। यह हेरोइन की खेप कनाडा जानी थी।इस बारे में डीआरआई के ज्वाइंट कमिश्नर धीरज रस्तोगी से रात करीब नौ बजे बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले में अभी तक जांच चल रही है। 54 किलोग्राम हेरोइन पकड़ी गई है, बाकी जानकारी बाद में दी जाएगी, इन्वेस्टीगेशन चल रही है।

सिमी पर श्वेत पत्र जारी करे केंद्र

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले आतंकवाद के मुद्दे पर संप्रग सरकार को घेरते हुए भाजपा ने बुधवार को केंद्र से सिमी पर श्वेतपत्र जारी करने, अफजल गुरु को अविलंब फांसी देने और फिर से पोटा कानून बनाने की मांग की।पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार एलके आडवाणी और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां भाजपा मुख्यालय में आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह मांग की। इस अवसर पर दोनों नेताओं ने यहां जारी संयुक्त बयान में आरोप लगाया कि मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी की चार साल से अधिक की सरकार हर मोर्चे पर पूरी तरह विफल रही है और कुछ समय बाद जनता को उसके कार्यकाल पर अपनी राय देने का अवसर मिलेगा। दोनों नेताओं ने कहा कि मनमोहन-सोनिया की सरकार की सबसे बड़ी विफलता आतंकवाद से निपटने में रही और इस मामले से जिस तरह उसने निपटा है उसने आतंकवाद को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहन दिया है। आडवाणी ने कहा कि संप्रग के इस आचरण के चलते पहले सीमा पार से चलने वाला आतंकवाद अब देश की धरती पर भी जड़ें जमा चुका है।दोनों नेताओं ने सरकार से तीन प्रमुख मांग की आतंकवाद के प्रति लोगों को सचेत करने के लिए सिमी पर श्वेतपत्र जारी किया जाए और उसमें वे सभी सामग्री उपलब्ध कराई जाए जो सरकार के पास हैं। आतंकवाद से निपटने के लिए पोटा और अन्य संबंधित कानून फिर से बनाए जाएं। संसद पर हमले के षड्यंत्रकारी अफजल गुरु को फांसी की सजा पर तुरंत तामील हो।मोदी ने इस बात पर रोष प्रकट किया कि गुजरात विधानसभा द्वारा दो बार पारित किए गए गुजरात संगठित अपराध कानून [गुजकोक] पर केंद्र लंबे समय से कुंडली मारे बैठी है। गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि अफसोस की बात यह है कि चुनी हुई विधानसभा द्वारा दो बार पारित कानून को केंद्र सरकार दबा के बैठी है। उसने इस बारे में एक जवाबी चिठ्ठी तक नहीं दी, सुझाव तो छोड़ो.. टाइम किलिंग कर रही है। मोदी ने कहा कि देश में आतंकवाद का एक नया तबका पैदा हो रहा है और यह बाहर से प्रायोजित आतंकवाद का तबका है, जिसे लागू करने वाले देश में हैं और यह बहुत बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है। उन्होंने कहा कि वोट बैंक की राजनीति आतंकवाद को प्रोत्साहन देने वाली सबसे बड़ी शक्ति बन गई है। उन्होंने दावा किया कि सिमी का नाम बदलकर इंडियन मुजाहिदीन इसलिए किया गया, ताकि उसमें 30 साल की समयसीमा की बंदिश न रहे।आडवाणी ने कहा कि सरकार यह स्वीकार करे कि सिमी और इस तरह के दूसरे संगठन राष्ट्र सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं और सरकार उन पर अंकुश लगाने तथा उनका विरोध करने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को निर्दोष लोगों की सुरक्षा करने में अपनी विफलता और अयोग्यता के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।

सिमी के चार लोग गिरफ्तार

जयपुर बम धमाकों की जांच कर रहे राजस्थान पुलिस के विशेष अनुसंधान दल [एसआईटी] ने प्रतिबंधित संगठन सिमी के चार और लोगों को गिरफ्तार किया है।अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ए.के. जैन ने यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रतिबंधित संगठन सिमी की गतिविधियों में सहयोग करने वाले आरोपियों कोटा निवासी मुनव्वर हुसैन, अतीक, नदीम अख्तर और बारां निवासी मोहम्मद इलियास को सोमवार को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि चारों अभियुक्तों को जयपुर की एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया। अदालत ने चारों अभियुक्तों को 11 दिन के रिमांड पर एसआईटी को सौंप दिया।

Tuesday, September 2, 2008

बैंकाक में आपातकाल, कमान सेना के हाथ

बैंकाक। थाईलैंड के प्रधानमंत्री ने सोमवार रात सरकार विरोधी और समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हुए हिंसक संघर्ष के बाद राजधानी बैंकाक में मंगलवार को आपातकाल घोषित कर दिया।सेना प्रमुख को कानून एवं व्यवस्था की कमान सौंप दी गई है। राजधानी में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाली मीडिया रिपोर्टो पर भी पाबंदी लगाई गई है। थाईलैंड रेडियो पर प्रधानमंत्री शामक सुंदरावेज की तरफ से की गई घोषणा को पढ़कर सुनाया गया। इस घोषणा में कहा गया है कि इन सभी समस्याओं का जल्द समाधान करने की जरूरत है इसलिए प्रधानमंत्री ने राजधानी बैंकाक में आपातकाल लागू कर दिया है।इस बीच, सिंगापुर तथा दक्षिण कोरिया की सरकारों ने अपने यहां के नागरिकों से थाईलैंड की यात्रा नहीं करने की सलाह दी है। सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने अपने देश के नागरिकों को जारी संदेश में कहा कि देश के नागरिकों के लिए अगर बहुत जरूरी नहीं हो तो वे थाईलैंड की यात्रा का कार्यक्रम आगे बढ़ा लें। दूसरी ओर दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने भी ऐसा ही संदेश जारी करके कहा है कि देश के जो लोग थाईलैंड की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं उनके लिए सलाह है कि वे वहां हालात ठीक होने तक इंतजार करें।गौरतलब है कि थाईलैंड में पिछले कई दिनों से सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे है। गवर्नमेंट हाउस के निकट सरकार विरोधी और समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई तथा 34 अन्य घायल हुए है। इस दौरान दो लोग गोली लगने से जख्मी हुए। पुलिस और सैनिकों की मुस्तैदी की वजह से हालांकि यह संघर्ष ज्यादा देर तक नहीं चल सका मगर इसकी आंच से घबराई सरकार को आपातकाल लागू करने का सख्त कदम उठाना पड़ा। सरकार विरोधी प्रदर्शन कर रही पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी का आरोप है कि सुंदरावेज अपनी पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा को भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्त कराने की कोशिश कर रहे ह

मच्छर प्रजनन पाए जाने पर चालान

राजधानी में डेंगू के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए दिल्ली सरकार ने मच्छर प्रजनन पाए जाने पर तुरंत चालान काटने के निर्देश दिए है। दिल्ली के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री योगानंद शास्त्री ने दिल्ली सचिवालय में एक उच्च स्तरीय बैठक में राजधानी में जल और कीटाणु जनित रोगों की स्थिति की समीक्षा की। बैठक में दिल्ली नगर निगम, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद, दिल्ली जल बोर्ड और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।बैठक के बाद डॉ. शास्त्री ने बताया कि स्वास्थ्य अधिकारियों को मकानों और सरकारी भवनों पर मच्छर की उत्पत्ति पाए जाने की स्थिति में सीधे चालान काटने के निर्देश दिए गए है। उन्होंने अधिकारियों को सार्वजनिक स्थानों पर पानी इकट्ठा होने की स्थिति पर खास ध्यान देने की हिदायत दी है। डॉ. शास्‍त्री ने कहा कि अभी तक डेंगू के 60 मामले राजधानी में प्रकाश में आए है। डेंगू की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों को कीटनाशक धुँआ और दवा छिड़काव के काम में तेजी लाने का निर्देश देने के साथ-साथ प्रभावित क्षेत्रों में अधिक संख्या में कर्मचारियों को तैनात करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में प्लेटलेट की कोई कमी नहीं है और सरकार इसकी सुचार उपलब्धता बनाए रखने पर निरंतर निगाह रखे हुए है।इसके अलावा हैजा प्रभावित क्षेत्रों में लगातार निरीक्षण करने के लिए भी अधिकारियों से कहा गया है। डॉ. शास्‍त्री ने बताया कि हैजे के इस माह 139 मामले दर्ज किए गए है। प्रभावित क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था करने के साथ-साथ क्लोरिन की गोलियों के वितरण की उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए है। प्रभावित क्षेत्रों का दौरा दिल्ली जल बोर्ड तथा दिल्ली नगर निगम की संयुक्त टीमें करेंगी। डॉ. शास्त्री ने बताया कि नजफगढ, पश्चिमी जोन और करोल बाग के अधिकारियों को विशेष सतर्कता बरतने को कहा गया है। इन क्षेत्रों में सफाई तथा कीटनाशक धुँए की उचित व्यवस्था करने की निगम के अधिकारियों को हिदायत दी गई है। उन्होंने निगम के अधिकारियों को खुले स्थान पर बिकने वाले गन्ने के रस तथा कटे फलों की बिक्री पर रोक लगाने की दिशा में कडे़ कदम उठाने को कहा है। इस महीने मलेरिया के 22 मामले दर्ज हुए है।