Monday, June 8, 2009

पांच की मौत

फरीदाबाद : 24 घंटों में हुए अलग-अलग हादसों में पांच लोगों की मौत हो गई। इनमें तीन सड़क दुर्घटना के शिकार हो गए, जिनमें दो दोस्त थे, एक की सीढि़यों से फिसल कर मौत हो गई, जबकि एक ने फांसी लगाकर जान दे दी।जानकारी के अनुसार मेवला महाराजपुर निवासी संजीव (22) व राजेश (23) का गांव में ही किराना व मेडिकल स्टोर का काम है। दोनों दोस्त सेक्टर-31 में रोजाना सुबह जिम में एक्सरसाइज करने जाते थे। सोमवार सुबह भी करीब साढ़े पांच बजे दोनों जिम जाने के लिए निकले थे। दोनों मोटर साइकिल पर सवार थे। जब वे मेवला मोड़ पार कर सेक्टर-31 की तरफ जाने लगे तो एक तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने उनकी मोटर साइकिल में टक्कर मार दी। दुर्घटना इतनी जबरदस्त थी कि दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद ट्रैक्टर चालक मौके से फरार हो गया। सूचना मिलने पर पुलिस ने दोनों को बादशाह खान अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने दोनों के शवों का पोस्टमार्टम करवाकर उनके परिजनों को सौंप दिया है।दूसरी घटना में गाजीपुर, डबुआ निवासी रमेश दिल्ली में राज मिस्त्री का काम करता था। उसका एक दोस्त पल्ला निवासी बबलू भी दिल्ली में प्लंबर का काम करता है। रविवार रात को दोनों काम निपटा कर दिल्ली से लौट रहे थे। दोनों मोटर साइकिल पर सवार थे। जब दोनों बाईपास रोड पर पहुंचे तो सेक्टर-37 के पास पहुंचे तो एक तेज रफ्तार टाटा-407 ने उनकी मोटर साइकिल में टक्कर मार दी, जिससे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। दोनों को गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डाक्टरों ने रमेश को मृत घोषित कर दिया। बबलू का अस्पताल में उपचार चल रहा है। एक अन्य मामले में खेड़ी कलां निवासी मकसूद कारपेंटर का काम करता था। वह सेक्टर-89 में निर्माणाधीन भवन में काम कर रहा था। सोमवार को वह भवन की चौथी मंजिल से तीसरी मंजिल पर लकड़ियां उतार रहा था, इसी दौरान उसका पैर फिसल गया और नीचे आ गिरा, जिससे उसकी मौत हो गई।चौथे मामले में मूलरूप से टप्पल, अलीगढ़ निवासी राकेश यहां एसजीएम नगर में अपनी बहन के पास रहता था और कार मेकैनिक का काम करता था। रविवार रात को काम से लौटने के बाद वह खाना खाकर सोया। सुबह जब वह काफी देर तक नहीं उठा तो घर के अन्य सदस्यों से उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया, मगर अंदर से कोई जवाब नहीं मिला। इस पर उन्होंने कमरे का दरवाजा तोड़ा तो देखा कि वह पंखे से फंदा लगाकर झूल रहा था। घटना की खबर पुलिस को दी गई। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शव को नीचे उतारा और उसे कब्जे में ले लिया।

भूख से बिलखते बच्चों के लिए दौड़ का आयोजन

गुड़गांव : बाल भूख के खिलाफ चल रहे विश्व व्यापी अभियान के तहत गुड़गांव में भी संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्यान्न कार्यक्रम के तहत भूख से बिलखते बच्चों के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसका आयोजन डीएसएम इंडिया की ओर से किया गया। सेक्टर 29 के हुडा जिमखाना क्लब में सुबह हुए कार्यक्रम में डीएसएम इंडिया कंपनी के प्रेसीडेंट राजीव चौपड़ा ने कहा कि आज भी बहुत से बच्चे ऐसे हैं जो एक जून की रोटी के लिए तड़पते हैं। हम सभी का दायित्व है कि बाल भूख के खिलाफ मिलजुल कर अभियान चलाए ताकि यह समस्या हटाई जा सके। तत्पश्चात एक दौड़ का भी आयोजन किया गया। करीब दो किलोमीटर की दौड़ में बाल भूख के खिलाफ सैकड़ों लोगों ने दौड़ लगाई। कारपोरेट सेक्टर से जुड़ी कई हस्तियों से लेकर बच्चे महिलाएं भी दौड़ में शामिल हुई।

चौकी पर शराब पी रहे चार कांस्टेबल निलंबित

चौकी पर शराब पीते चार कांस्टेबलों को एसएसपी ने निलंबित कर दिया। उन्हें सीओ द्वितीय ने शराब पीते चौकी 12-22 से पकड़ा था। जिसमें से तीन पुलिस क्षेत्राधिकारी ग्रेटर नोएडा व पुलिस क्षेत्राधिकारी तृतीय के यहां तैनात थे। जबकि एक चौकी 12-22 पर तैनात है, इसी के बुलावे पर बाकि तीनों कांस्टेबल चौकी आए थे। सीओ ने सभी का मेडिकल कराके एसएसपी को रिपोर्ट भेज दी थी। जिसके आधार पर एसएसपी ने कार्रवाई की।सीओ द्वितीय शैलेंद्र लाल रविवार की रात गश्त पर थे। इसी दौरान रात करीब 11 बजे वे 12-22 चौकी पर पहुंचे। यहां शराब की महफिल सजी मिली। जिसमें सीओ ग्रेटर नोएडा द्वितीय के हेड पेशी विजय कुमार, सीओ तृतीय के हेड पेशी अजय कुमार, सीओ ग्रेटर नोएडा द्वितीय के मुंशी विनोद कुमार व चौकी 12-22 पर तैनात कांस्टेबल दुर्वेश कुमार शामिल थे। बाकि तीनों दुर्वेश के बुलाने पर चौकी आए थे। सीओ को देखते ही सभी कांस्टेबल भागने लगे। उन्होंने चारों को पकड़ कर जिला अस्पताल में मेडिकल कराया। जिसके बाद ड्यूटी में लापरवाही बरतने की रिपोर्ट एसएसपी को भेजी गई। इसके बाद एसएसपी ने चारों कांस्टेबलों को ड्यूटी पर लापरवाही दिखाने व चौकी पर शराब पीने के आरोप में निलंबित कर दिया। एसएसपी अशोक कुमार सिंह ने कहा है कि आगे से थानों व चौकी की गरिमा को भंग करने वाले पुलिस कर्मियों को बर्खास्त भी किया जा सकता है।

Friday, June 5, 2009

वृद्धों के लिए बनेंगे 50 नए मनोरंजन केंद्र

नई दिल्ली : मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बृहस्पतिवार को कहा कि राजधानी में वृद्धों के लिए 50 नए मनोरंजन केंद्रों की स्थापना की जाएगी। साथ ही मनोरंजन केंद्र की संचालन राशि को 15 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपये किया जाएगा। शाली दीक्षित वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए गठित राज्य परिषद की तीसरी बैठक को संबोधित कर रही थीं।मुख्यमंत्री ने कहा कि राजधानी में ऐसे सैकड़ों वृद्ध दंपति एकाकी जीवन जी रहे हैं। जीवन के इस पड़ाव पर उनके बच्चों ने उन्हें अकेला छोड़ दिया है। कुछ वृद्ध की उम्र अधिक होने के कारण उनकी हालत बदतर हो गई है। दिल्ली सरकार पहले से ही करीब 50 मनोरंजन केंद्रों को दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में सफलतापूर्वक चला रही है। आगामी वर्षो में 50 और नए मनोरंजन केंद्रों की स्थापना करने की मंजूरी दी जा चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में रह रहे सभी वरिष्ठ नागरिकों को पहचान-पत्र जारी किए जाएंगे ताकि उन्हे सरकारी संस्थानों, स्टेशनों, अस्पतालों आदि में बेहतर सुविधा मिल सके। बैठक में समाज कल्याण विभाग की सचिव देवाश्री ने उनको बताया कि सामाजिक सुविधा संगम के माध्यम से गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले वृद्धों की पहचान की जा रही है। इसलिए फिलहाल समाज कल्याण विभाग वृद्धों को वरिष्ठ नागरिक पहचान-पत्र जारी नहीं कर रहा है। बैठक में मौजूद परिषद के सदस्यों ने मांग की कि वृद्धों को वरिष्ठ नागरिक पहचान-पत्र जारी करने का कार्य नहीं रुकना चाहिए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि दिल्ली में रह रहे सभी वृद्धों को वरिष्ठ नागरिक पहचान पत्र जारी करने के कार्य को नहीं रुकना चाहिए।बैठक में वरिष्ठ नागरिकों के लिए गठित राज्य परिषद की एक वर्ष की कार्य योजना को मंजूरी भी दी गई। वरिष्ठ नागरिकों के लिए चलाए जा रहे मनोरंजन केंद्रों व ओल्ड ऐज होम्स की स्थिति की भी समीक्षा की गई। बैठक में दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त केवल सिंह ने बताया कि हर बीट कांस्टेबल अपने क्षेत्र में अकेले रह रहे बुजुर्ग दंपति की देखरेख करते हैं ताकि वे वारदात के शिकार न हों। पुलिस के पास रजिस्ट्रेशन कराने वाले बुजुर्गो के साथ वारदात की शिकायत नहीं मिली है।

Thursday, June 4, 2009

देवरे पर ले जाकर पत्नी की निर्मम हत्या

उदयपुर। चरित्र सन्देह को लेकर बुधवार प्रात: तीन बच्चों के पिता ने सुखेर स्थित एक देवरे ले जाकर अपनी पत्नी की तलवार से निर्मम हत्या कर दी। वारदात के बाद अभियुक्त ने स्वयं थाने जाकर समर्पण कर दिया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक शहीद भगतसिंह नगर निवासी सुरेश कुमार (२५) पुत्र गंगाराम प्रजापत आज तड़के करीब ५.३० बजे अपनी पत्नी मांगी बाई (२२) को मोटर साईकल पर सुखेर हाईवे रोड पर भैरूजी के देवरे नारियल चढ़ाने के बहाने ले गया था। जहां उसने पत्नी को बैठा दिया तथा वहां पहले से छिपाकर रखी तलवार निकाल कर पत्नी के सिर व गर्दन पर वार कर दिये। इस अप्रत्याशित हमले से मांगी बाई गिर पड़ी और उसके खून की धारा बह निकली इसके बाद भी युवक ने तलवार से वार करना जारी रखा। पैर व पीठ पर हमले के बाद उसने उसका काम तमाम कर डाला। यही नहीं उसने मांगी बाई के हाथों के दोनों पंजे भी काट डाले। इस निर्मम हत्या के बाद अभियुक्त ने सीधे सुखेर थाने पहुंच आत्मसमर्पण कर दिया। जब उसने अपनी पत्नी की हत्या करने की बात कही तो स्वयं पुलिस भी भौचक्की रह गई।
थानाधिकारी सुमेर सिंह मय जाब्ता अभियुक्त के साथ घटनास्थल पहुंचे जहां मांगी बाई की क्षत विक्षत लाश पड़ी थी। थानाधिकारी सुमेरसिंह ने तुरंत घटना की सूचना उच्चाधिकारियों को दी। जिस पर डिप्टी (पश्चिम) गोपालंिसंह राठौड़ भी घटनास्थल पहुंचे तथा मौका मुआयना किया। पुलिस ने लाश को मुर्दाघर रखवाया। सूचना पर मृतका के ननिहाल पक्ष के लोग भी मुर्दाघर पहुंच गये थे। पुलिस ने मेडिकल बोर्ड से मृतका का पोस्टमार्टम करा लाश परिजनों को सुपुर्द की।
चरित्र सन्देह पर की हत्या
उदयपुर। पुलिस पूछताछ में अभियुक्त सुरेश कुमार ने चरित्र सन्देह को लेकर पत्नी की हत्या करने की बात कहीं। इधर मृतका के ममेरे भाई पन्नालाल निवासी ब्रह्मपोल ने चरित्र सन्देह की बात को नकारते हुये कहा कि अभियुक्त सुरेेश उसकी बहन के साथ आये दिन मारपीट करता व दहेज प्रताडऩा देता था। वह उसे घर से भी कहीं जाने नहीं देता था। इसकी शिकायत मांगी बाई कई बार पीहर पक्ष से भी कर चुकी थी। मृतका क े२ पुत्री व छ:माह का पुत्र हैं।
एक बार असफल रहा : पुलिस पूछताछ में अभियुक्त सुरेश ने बताया कि एक दो दिन पूर्व भी वह हत्या के इरादे से पत्नी को नारियल चढ़ाने का झांसा देकर भुवाणा में ही एक अन्य देवरे पर ले गया था। लेकिन वहां विद्युतकर्मियों क ेकार्य करने की वजह से वह वारदात को अंजाम नहीं दे पाया । सुखेर हाईवे रोड पर देवरा उसे उपयुक्त स्थान लगा। द्वारिका अग्रवाल

फाँसी का कठोर दंड

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू के कुछ ताजे फैसलों और टिप्पणियों पर संसद में गंभीरता से विचार की जरूरत है। विद्वान न्यायाधीश हाल के वर्षों में आर्थिक विकास के साथ बढ़ते भ्रष्टाचार, मासूम महिलाओं की नृशंस हत्या जैसे अपराधों के लिए मृत्युदंड को ही अंतिम अस्त्र बता रहे हैं। उनकी चिंता स्वाभाविक है। भ्रष्टाचार में लिप्त नेता, अफसर और अपराधी पहले तो न्याय की सुनवाई के नाम पर बरसों निकाल देते हैं।
इसके बाद प्रमाणित होने पर छोटी-मोटी सजा भुगत लेते हैं। इससे विभिन्न वर्गों में भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इसी तरह दहेज हत्या के मामलों में भी क्रूर अत्याचारी जमानत लेकर खुलेआम घूमते हैं और कभी-कभी तो पुनः नया शिकार खोज लेते हैं। एक मोटे गैर सरकारी अनुमान के अनुसार भारत में हर चार घंटे में दहेज हत्या की एक घटना प्रकाश में आने लगी है। न्यायमूर्ति काटजू ने हरियाणा में एक पति और उसके परिवार के सदस्यों द्वारा महिला को जलाकर मार दिए जाने संबंधी गंभीर प्रकरण में आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति ने कहा कि 'ऐसे लोग किसी रियायत के काबिल नहीं हैं। पत्नी को जलाकर मार देने वाले पतियों को फाँसी पर लटका देना चाहिए।' दहेज हत्या के मामले में कड़ी सजा के प्रस्तावों पर पिछले कुछ वर्षों से विचार-विमर्श चल रहा है। दो वर्ष पहले राष्ट्रीय विधि आयोग ने दहेज हत्या के मामलों में सजा के वर्तमान कानूनी प्रावधानों में संशोधन की सिफारिश की थी। इस समय सात साल की सजा का प्रावधान है। विधि आयोग ने दंड की अवधि दस साल करने की सिफारिश की थी। साथ ही यह भी कहा था कि बहुत ही असामान्य-अमानवीय मामलों में ही मृत्युदंड दिया जाना चाहिए। लेकिन अब तक कानूनों में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। मानव अधिकारों की रक्षा के लिए अभियान चलाने वाले तो हत्यारों और आतंकवादियों तक को फाँसी दिए जाने का विरोध करते हैं। नतीजा यह है कि दहेज हत्या या पति तथा परिजनों द्वारा सताए जाने पर महिलाओं की आत्महत्या की घटनाओं में निरंतर वृद्धि हो रही है। वास्तव में ये आत्महत्याएँ भी हत्या के रूप में ही मानी जानी चाहिए। लगभग 15 हजार दहेज हत्या के मामले हर साल सामने आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में न्यायालय से कठोरतम दंड, कानूनों में भी आवश्यक फेरबदल तथा सामाजिक जागरूकता के लिए व्यापक अभियान की आवश्यकता है। न्यायमूर्ति काटजू की टिप्पणी के बाद सरकार और संसद को यथाशीघ्र इस मुद्दे पर बड़ी क्रांतिकारी पहल करनी चाहिए।