Wednesday, March 4, 2009

क्रिकेट के भविष्य पर संकट

म्यूनिख ओलंपिक ग्राम में फलस्तीनी आतंकियों के हाथों 1972 में 11 इसराइली खिलाड़ियों की हत्या आधुनिक खेल इतिहास में हिंसा की सबसे जघन्य घटना है। लेकिन मंगलवार को लाहौर में श्रीलंकाई क्रिकेटरों पर हुआ हमला भी कम खौफनाक नहीं है। फिर चाहे इसमें हताहतों की संख्या कम है और किसी खिलाड़ी की मौत नहीं हुई है। इस हमले ने निकट भविष्य में किसी भी क्रिकेट टीम के पाक दौरे को असंभव बना दिया है।इससे खेल के भविष्य के लिए ही खतरा पैदा हो गया है। यदि कोई देश पाक जाने को राजी नहीं होगी तो इसकी संभावना भी नहीं होगी कि कोई देश पाकिस्तानी टीम की मेजबानी करेगा। टैस्ट क्रिकेट खेलने की हकदार टीमें सिर्फ दस हैं।इनमें से भी जिम्बाब्वे और बांग्लादेश की टीमें हाशिये पर पहुंच गई हैं। अब यदि पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया तो क्रिकेट की दुनिया नाटकीय रूप से सिकुड़ जाएगी।अप्रैल मध्य में होने वाले हाई प्रोफाइल इंडियन प्रीमियर लीग टूर्नामेंट पर भी इसका परोक्ष असर पड़ेगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आम चुनाव के साथ होने के कारण आईपीएल के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था मुहैया न करा सकने के संकेत दिए हैं।

टूर्नामेंट का कार्यक्रम नए सिरे से तय करना व्यवस्था के हिसाब से दु:स्वप्न ही होगा। स्टार खिलाड़ियों के अभाव से आयोजन का रंग भी फीका पड़ सकता है। कई ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी पहले ही जा चुके हैं और अब शारीरिक चोट या मानसिक आघात के कारण श्रीलंकाई खिलाड़ियों की उपलब्धता भी संदेह में है।सबसे गंभीर मामला 2011 के विश्व कप का है। इसे भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश संयुक्त रूप से आयोजित करने वाले थे। अब चूंकि क्रिकेट जगत के खिलाड़ी व सरकारें पाकिस्तान में मैचों के खिलाफ होंगे इसलिए विश्व कप के पूरे कार्यक्रम को फिर तय करना होगा।भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के लिए यह स्थिति इसलिए भी चीढ़ पैदा करने वाली होगी, क्योंकि खेल पर अपना दबदबा स्थापित करने के लिए यह पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के वोटों पर बहुत निर्भर हो गया था। लेकिन मौजूदा संदर्भ में हो सकता है कि इस मामले में बीसीसीआई के सामने कोई विकल्प न हो।कॉमन सेंस छोड़ भी दें तो जन भावना और खुफिया रिपोर्टे भारत सरकार को कोई रुख लेने पर मजबूर कर देंगे। जैसा पिछले साल दौरा रद्द करते समय हुआ था। पिछले कुछ समय से राजनीतिक पर्यवेक्षक पाकिस्तान को ऐसे अस्थिर देश के रूप में देख रहे हैं, जो आंतरिक बिखराव का इंतजार कर रहा है। वहां क्रिकेट दौरे जैसे लोकप्रिय आयोजन में हमले का खतरा हमेशा से था।अब यह बहस का विषय है कि क्या यह हमला मूलरूप से भारतीय टीम पर किया जाने वाला था, जो पाकिस्तान दौरे पर जाने वाली थी। हालांकि उस स्थिति में सुरक्षा व्यवस्था बिलकुल ही अलग होती। यह विडंबना ही है कि 14 माह में पाकिस्तान जाने वाली पहली टीम बनकर श्रीलंका ने पाकिस्तानी क्रिकेट की मदद करने की कोशिश की और उसे ही निशाना बना दिया गया। हालांकि इससे मौजूदा आतंकवाद के तर्कहीन चरित्र का ही खुलासा होता है, जिसमें निदरेष लोगों को निशाना बनाया जाता है, जैसा मुंबई में पिछले साल नवंबर में हुआ था।

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