Friday, December 11, 2009
कैसे बना उत्तरांचल राज्य
भारतीय गणतंत्र में टिहरी राज्य का विलय अगस्त 1949 में हुआ और टिहरी को तत्कालीन संयुक्तप्रांत का एक जिला घोषित किया गया। भारत व चीन युद्व की पृष्ठ भूमि में सीमान्त क्षेत्रों के विकास की दृष्टि से सन 1960 में तीन सीमान्त जिले उत्तरकाशी, चमोली व पिथौरागढ़ का गठन किया गया। एक नए राज्य के रुप में उत्तरप्रदेश के पुनर्गठन के फलस्वरुप उत्तरांचल की स्थापना 9 नवम्बर 2000 को की गई। सन 1969 तक देहरादून को छोडकर उत्तराखण्ड के सभी जिले कुमाऊं कमिश्नरी के अधीन थे। सन 1969 में गढवाल कमिश्नरी की स्थापना की गई जिसका मुख्यालय पौडी बनाया गया। सन 1975 में देहरादून जिले को जो मेरठ कमिश्नरी में शामिल था, गढवाल मण्डल में शामिल करने के उपरान्त गढवाल मण्डल में जिलों की संख्या पॉच हो गई थी जबकि कुमाऊं मण्डल में नैनीताल, अल्मोडा, पिथौरागढ, तीन जिले शामिल थे। सन 1994 में उधमसिह नगर और सन 1997 में रूद्रप्रयाग, चम्पावत व बागेश्वर जिलों का गठन होने पर उत्तराखण्ड राज्य गठन से पूर्व गढवाल और कुमाऊ मण्डलों में क्रमश छः जिले शामिल थे। उत्तराखण्ड राज्य में हरिद्वार जनपद के सम्मिलित किये जाने पर राज्य के गठन उपरान्त गढवाल मंडल में सात और कुमाऊं मण्डल में छः जिले शामिल हैं। दिनांक 01 जनवरी 2007 से राज्य का नाम उत्तरांचल से बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया है। राज्य का स्थापना दिवस 9 नवम्बर को मनाया जाता है। उत्तराखंड की सीमाऐं उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से मिलती हैं तथा पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसके पडो़सी हैं। देहरादून उत्तराखंड की अंतरिम राजधानी होने के साथ इस क्षेत्र में सबसे बड़ा नगर है। गैरसैन नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बनी हुई है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है।
Monday, October 19, 2009
डायन बता कर पांच महिलाओं को निर्वस्त्र किया
पीएफ घोटाले के आरोपी की मौत, जांच के आदेश
गाजियाबाद/लखनऊ। उत्तरप्रदेश में करोड़ों रुपए के पीएफ घोटाला मामले के मुख्य आरोपी आशुतोष अस्थाना की शनिवार को गाजियाबाद के दासना जेल में संदिग्ध स्थिति में मौत हो गई। राज्य सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। उधर, मृतक के परिजनों ने किसी साजिश की आशंका जताई है।
राज्य के जेल विभाग ने डीआईजी (जेल) की अगुवाई में जांच के आदेश दिए हैं। गाजियाबाद जिला प्रशासन भी मामले की अलग से न्यायिक जांच करा रहा है। करीब 20 करोड़ रुपए के पीएफ घोटाले का मुख्य आरोपी 43 वर्षीय आशुतोष जनवरी 2008 से जेल में था। शनिवार को उसे बैरेक पांच-बी में अचेत पाया गया। यह बैरेक निठारी कांड के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली की बैरेक से लगा हुआ है। जेल अधिकारियों के मुताबिक आशुतोष की मौत दिल के दौरे से हुई है। उसे अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
परिवार वालों को संदेह: उधर, परिजनों ने आरोप लगाया है कि जेल के अंदर ही जहर दिए जाने से आशुतोष की मौत हुई है। उनके अनुसार हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण आशुतोष की जान को शुरू से खतरा था, लेकिन जिला पुलिस ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। आशुतोष ने पिछले वर्ष सितंबर में सीबीआई कोर्ट में दिए बयान में एक सुप्रीम कोर्ट के जज तथा हाईकोर्ट व डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के कुछ जजों को मामले में जुड़ा बताया था।
जांच से चलेगा पता: गाजियाबाद पुलिस प्रशासन के मुताबिक मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट जल्द ही मिलने की संभावना है। आशुतोष की मौत अगर जहर देने से हुई है तो विसरा की जांसे इसका पता चल जाएगा। मृतक के विसरा को जल्द ही परीक्षण के लिए भेजा जाएगा।
Friday, July 10, 2009
गुजरात: जहरीली शराब से अब तक 125 मरे
दरअसल, जहरीली शराब पीने की वजह से मौतों का सिलसिला सोमवार से आरंभ हुआ था। अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार मध्य रात्रि तक 105 लोग अपनी जान गवां चुके थे।अधिकारियों ने बताया कि सिविल अस्पताल, एल।जी. अस्पताल, शारदाबेन अस्पताल और वी.एस. अस्पताल में भर्ती 149 मरीजों की हालत अभी तक नाजुक बनी हुई है।
गुजरात: जहरीली शराब से अब तक 24 की मौत;-सिविल अस्पताल में एक इंटर्न चिकित्सक ने बताया, “गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) मरीजों से भरा हुआ है और 60 से अधिक मरीज विभिन्न वार्डों में हैं”।उधर, गुजरात सरकार ने शराब के 1,200 अवैध ठिकानों को बंद करा दिया है और 800 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। राज्य गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार हुए लोगों में ज्यादातर शहरों, कस्बों और गांवों में शराब के अवैध कारोबार से जुड़े हैं।
Monday, June 8, 2009
पांच की मौत
फरीदाबाद : 24 घंटों में हुए अलग-अलग हादसों में पांच लोगों की मौत हो गई। इनमें तीन सड़क दुर्घटना के शिकार हो गए, जिनमें दो दोस्त थे, एक की सीढि़यों से फिसल कर मौत हो गई, जबकि एक ने फांसी लगाकर जान दे दी।जानकारी के अनुसार मेवला महाराजपुर निवासी संजीव (22) व राजेश (23) का गांव में ही किराना व मेडिकल स्टोर का काम है। दोनों दोस्त सेक्टर-31 में रोजाना सुबह जिम में एक्सरसाइज करने जाते थे। सोमवार सुबह भी करीब साढ़े पांच बजे दोनों जिम जाने के लिए निकले थे। दोनों मोटर साइकिल पर सवार थे। जब वे मेवला मोड़ पार कर सेक्टर-31 की तरफ जाने लगे तो एक तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने उनकी मोटर साइकिल में टक्कर मार दी। दुर्घटना इतनी जबरदस्त थी कि दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद ट्रैक्टर चालक मौके से फरार हो गया। सूचना मिलने पर पुलिस ने दोनों को बादशाह खान अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने दोनों के शवों का पोस्टमार्टम करवाकर उनके परिजनों को सौंप दिया है।दूसरी घटना में गाजीपुर, डबुआ निवासी रमेश दिल्ली में राज मिस्त्री का काम करता था। उसका एक दोस्त पल्ला निवासी बबलू भी दिल्ली में प्लंबर का काम करता है। रविवार रात को दोनों काम निपटा कर दिल्ली से लौट रहे थे। दोनों मोटर साइकिल पर सवार थे। जब दोनों बाईपास रोड पर पहुंचे तो सेक्टर-37 के पास पहुंचे तो एक तेज रफ्तार टाटा-407 ने उनकी मोटर साइकिल में टक्कर मार दी, जिससे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। दोनों को गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डाक्टरों ने रमेश को मृत घोषित कर दिया। बबलू का अस्पताल में उपचार चल रहा है। एक अन्य मामले में खेड़ी कलां निवासी मकसूद कारपेंटर का काम करता था। वह सेक्टर-89 में निर्माणाधीन भवन में काम कर रहा था। सोमवार को वह भवन की चौथी मंजिल से तीसरी मंजिल पर लकड़ियां उतार रहा था, इसी दौरान उसका पैर फिसल गया और नीचे आ गिरा, जिससे उसकी मौत हो गई।चौथे मामले में मूलरूप से टप्पल, अलीगढ़ निवासी राकेश यहां एसजीएम नगर में अपनी बहन के पास रहता था और कार मेकैनिक का काम करता था। रविवार रात को काम से लौटने के बाद वह खाना खाकर सोया। सुबह जब वह काफी देर तक नहीं उठा तो घर के अन्य सदस्यों से उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया, मगर अंदर से कोई जवाब नहीं मिला। इस पर उन्होंने कमरे का दरवाजा तोड़ा तो देखा कि वह पंखे से फंदा लगाकर झूल रहा था। घटना की खबर पुलिस को दी गई। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शव को नीचे उतारा और उसे कब्जे में ले लिया।
भूख से बिलखते बच्चों के लिए दौड़ का आयोजन
चौकी पर शराब पी रहे चार कांस्टेबल निलंबित
Friday, June 5, 2009
वृद्धों के लिए बनेंगे 50 नए मनोरंजन केंद्र
नई दिल्ली : मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बृहस्पतिवार को कहा कि राजधानी में वृद्धों के लिए 50 नए मनोरंजन केंद्रों की स्थापना की जाएगी। साथ ही मनोरंजन केंद्र की संचालन राशि को 15 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपये किया जाएगा। शाली दीक्षित वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए गठित राज्य परिषद की तीसरी बैठक को संबोधित कर रही थीं।मुख्यमंत्री ने कहा कि राजधानी में ऐसे सैकड़ों वृद्ध दंपति एकाकी जीवन जी रहे हैं। जीवन के इस पड़ाव पर उनके बच्चों ने उन्हें अकेला छोड़ दिया है। कुछ वृद्ध की उम्र अधिक होने के कारण उनकी हालत बदतर हो गई है। दिल्ली सरकार पहले से ही करीब 50 मनोरंजन केंद्रों को दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में सफलतापूर्वक चला रही है। आगामी वर्षो में 50 और नए मनोरंजन केंद्रों की स्थापना करने की मंजूरी दी जा चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में रह रहे सभी वरिष्ठ नागरिकों को पहचान-पत्र जारी किए जाएंगे ताकि उन्हे सरकारी संस्थानों, स्टेशनों, अस्पतालों आदि में बेहतर सुविधा मिल सके। बैठक में समाज कल्याण विभाग की सचिव देवाश्री ने उनको बताया कि सामाजिक सुविधा संगम के माध्यम से गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले वृद्धों की पहचान की जा रही है। इसलिए फिलहाल समाज कल्याण विभाग वृद्धों को वरिष्ठ नागरिक पहचान-पत्र जारी नहीं कर रहा है। बैठक में मौजूद परिषद के सदस्यों ने मांग की कि वृद्धों को वरिष्ठ नागरिक पहचान-पत्र जारी करने का कार्य नहीं रुकना चाहिए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि दिल्ली में रह रहे सभी वृद्धों को वरिष्ठ नागरिक पहचान पत्र जारी करने के कार्य को नहीं रुकना चाहिए।बैठक में वरिष्ठ नागरिकों के लिए गठित राज्य परिषद की एक वर्ष की कार्य योजना को मंजूरी भी दी गई। वरिष्ठ नागरिकों के लिए चलाए जा रहे मनोरंजन केंद्रों व ओल्ड ऐज होम्स की स्थिति की भी समीक्षा की गई। बैठक में दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त केवल सिंह ने बताया कि हर बीट कांस्टेबल अपने क्षेत्र में अकेले रह रहे बुजुर्ग दंपति की देखरेख करते हैं ताकि वे वारदात के शिकार न हों। पुलिस के पास रजिस्ट्रेशन कराने वाले बुजुर्गो के साथ वारदात की शिकायत नहीं मिली है।
Thursday, June 4, 2009
देवरे पर ले जाकर पत्नी की निर्मम हत्या
थानाधिकारी सुमेर सिंह मय जाब्ता अभियुक्त के साथ घटनास्थल पहुंचे जहां मांगी बाई की क्षत विक्षत लाश पड़ी थी। थानाधिकारी सुमेरसिंह ने तुरंत घटना की सूचना उच्चाधिकारियों को दी। जिस पर डिप्टी (पश्चिम) गोपालंिसंह राठौड़ भी घटनास्थल पहुंचे तथा मौका मुआयना किया। पुलिस ने लाश को मुर्दाघर रखवाया। सूचना पर मृतका के ननिहाल पक्ष के लोग भी मुर्दाघर पहुंच गये थे। पुलिस ने मेडिकल बोर्ड से मृतका का पोस्टमार्टम करा लाश परिजनों को सुपुर्द की।
चरित्र सन्देह पर की हत्या
उदयपुर। पुलिस पूछताछ में अभियुक्त सुरेश कुमार ने चरित्र सन्देह को लेकर पत्नी की हत्या करने की बात कहीं। इधर मृतका के ममेरे भाई पन्नालाल निवासी ब्रह्मपोल ने चरित्र सन्देह की बात को नकारते हुये कहा कि अभियुक्त सुरेेश उसकी बहन के साथ आये दिन मारपीट करता व दहेज प्रताडऩा देता था। वह उसे घर से भी कहीं जाने नहीं देता था। इसकी शिकायत मांगी बाई कई बार पीहर पक्ष से भी कर चुकी थी। मृतका क े२ पुत्री व छ:माह का पुत्र हैं।
एक बार असफल रहा : पुलिस पूछताछ में अभियुक्त सुरेश ने बताया कि एक दो दिन पूर्व भी वह हत्या के इरादे से पत्नी को नारियल चढ़ाने का झांसा देकर भुवाणा में ही एक अन्य देवरे पर ले गया था। लेकिन वहां विद्युतकर्मियों क ेकार्य करने की वजह से वह वारदात को अंजाम नहीं दे पाया । सुखेर हाईवे रोड पर देवरा उसे उपयुक्त स्थान लगा। द्वारिका अग्रवाल
फाँसी का कठोर दंड
इसके बाद प्रमाणित होने पर छोटी-मोटी सजा भुगत लेते हैं। इससे विभिन्न वर्गों में भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इसी तरह दहेज हत्या के मामलों में भी क्रूर अत्याचारी जमानत लेकर खुलेआम घूमते हैं और कभी-कभी तो पुनः नया शिकार खोज लेते हैं। एक मोटे गैर सरकारी अनुमान के अनुसार भारत में हर चार घंटे में दहेज हत्या की एक घटना प्रकाश में आने लगी है। न्यायमूर्ति काटजू ने हरियाणा में एक पति और उसके परिवार के सदस्यों द्वारा महिला को जलाकर मार दिए जाने संबंधी गंभीर प्रकरण में आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति ने कहा कि 'ऐसे लोग किसी रियायत के काबिल नहीं हैं। पत्नी को जलाकर मार देने वाले पतियों को फाँसी पर लटका देना चाहिए।' दहेज हत्या के मामले में कड़ी सजा के प्रस्तावों पर पिछले कुछ वर्षों से विचार-विमर्श चल रहा है। दो वर्ष पहले राष्ट्रीय विधि आयोग ने दहेज हत्या के मामलों में सजा के वर्तमान कानूनी प्रावधानों में संशोधन की सिफारिश की थी। इस समय सात साल की सजा का प्रावधान है। विधि आयोग ने दंड की अवधि दस साल करने की सिफारिश की थी। साथ ही यह भी कहा था कि बहुत ही असामान्य-अमानवीय मामलों में ही मृत्युदंड दिया जाना चाहिए। लेकिन अब तक कानूनों में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। मानव अधिकारों की रक्षा के लिए अभियान चलाने वाले तो हत्यारों और आतंकवादियों तक को फाँसी दिए जाने का विरोध करते हैं। नतीजा यह है कि दहेज हत्या या पति तथा परिजनों द्वारा सताए जाने पर महिलाओं की आत्महत्या की घटनाओं में निरंतर वृद्धि हो रही है। वास्तव में ये आत्महत्याएँ भी हत्या के रूप में ही मानी जानी चाहिए। लगभग 15 हजार दहेज हत्या के मामले हर साल सामने आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में न्यायालय से कठोरतम दंड, कानूनों में भी आवश्यक फेरबदल तथा सामाजिक जागरूकता के लिए व्यापक अभियान की आवश्यकता है। न्यायमूर्ति काटजू की टिप्पणी के बाद सरकार और संसद को यथाशीघ्र इस मुद्दे पर बड़ी क्रांतिकारी पहल करनी चाहिए।
Tuesday, May 12, 2009
पत्नी के खूनी की बीवी को गोली मारी
हसनपुर : पत्नी के हत्यारे से बदला लेने के लिए साथी की मदद से उसकी बीवी पर गोली चला दी। जख्मी महिला को जिला अस्पताल रेफर किया गया है। पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है। मामले की रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है।
रजबपुर थाना क्षेत्र के गांव नरैना कला निवासी अमरवती पत्नी रोहताश बेटी मोनिका के साथ सैदनगली थाना क्षेत्र के गांव पन्सूख मिलक में बहन के पास मिलने आई थी। यहां से वह वापस गांव लौट रही थी। आरोप है कि हसनगढ़-घनसूरपुर के बीच नरैना कला निवासी कोमल सिंह व ओमिन्दर सिंह ने महिला को जान से मारने की नीयत से गाली मार दी।इसके बाद आरोपी फरार हो गए। राहगीरों के सहयोग से घायल को सैदनगली थाने ले जाया गया। पुलिस ने महिला को अस्पताल में भर्ती कराया। बाद में नाजुक हालत को देखते हुए उसको जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू कर दी है। खबर लिखे जाने तक रिपोर्ट नहीं लिखी गई थी।इस मामले में घायल की बेटी ने बताया कि हमलावर की पत्नी की पिछले दिनों गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस मामले में उसके पिता इस समय जेल में हैं। उसी रंजिश में उसकी मां पर हमला किया गया है।उधर हसनपुर कोतवाली पुलिस ने बावनखेड़ी गांव में घर में घुस पिता-पुत्र पर गोली चलाने वाले साजिद पुत्र शाहिद खां को बंदी बनाकर जेल भेजा है। आरोपी से तमंचा भी बरामद होना दर्शाया है।
दुष्कर्म मामले में डाक्टर का बयान अंतिम नहीं
मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि दुष्कर्म मामले में डाक्टर का बयान अंतिम नहीं माना जा सकता और विरोधाभासी मेडिकल रिपोर्ट के बावजूद भी दुष्कर्म की पुष्टि की जा सकती है। इसके साथ ही कोर्ट ने अभियुक्त पर 50 हजार का जुर्माना लगाते हुए पांच साल की सश्रम कैद की सजा सुनाई। जुर्माने की रकम पीड़िता को दी जाएगी। कोर्ट ने यह फैसला 7 मई को दिया।1987 में हुए इस दुष्कर्म कांड के अभियुक्त सुरेश जाधव को सतारा की एक सत्र अदालत ने 1989 में बरी कर दिया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार जाधव ने कक्षा सात में पढ़ने वाली 11 वर्षीय किशोरी से दुष्कर्म किया था। जाधव को किशोरी के परिवार वाले अच्छी तरह जानते थे। घटना के दिन पीड़िता के बड़े भाई ने जाधव से अपनी साइकिल पर किशोरी को घर छोड़ने को कहा, लेकिन जाधव पीड़ित छात्रा को घर छोड़ने के बजाए अपने घर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। लेकिन सुनवाई अदालत ने पाया कि डाक्टर के सबूतों के अनुसार कौमार्य झिल्ली फटी नहीं थी और पीड़ित छात्रा के शरीर पर किसी प्रकार की चोट के निशान नहीं थे। इस आधार पर अदालत ने जाधव को बरी कर दिया जिसके बाद हाईकोर्ट में अपील दाखिल की गई।वर्ष 2007 में हाईकोर्ट की एक अन्य पीठ ने इस फैसले को पलटते हुए जाधव को दोषी करार दिया। जाधव ने इस फैसले को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी जिसने हाईकोर्ट को इस मामले में नए सिरे से सुनवाई करने का निर्देश दिया।
सात मई को दिए फैसले में मुख्य न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार तथा एससी धर्माधिकारी की खंडपीठ ने एक बार फिर निचली अदालत के फैसले को पलट दिया और जाधव को दोषी ठहराया।हाईकोर्ट ने कहा कि डाक्टर ने कहा है कि किशोरी की कौमार्य झिल्ली पर कोई चोट नहीं पहुंची है। लेकिन डाक्टर ने अन्य जगह पर स्वीकार किया है कि कौमार्य झिल्ली के फटे बिना भी यौन हमला हो सकता है। पीठ ने कहा कि डाक्टर के बयान पर जरूरत से अधिक विश्वास किया गया लेकिन 'दुष्कर्म साबित करने के लिए डाक्टर का बयान अंतिम परीक्षण नहीं है।'पीठ ने कहा कि बाकी सभी के बयान अपराध को साबित करते हैं.. अन्य गवाहों ने पीड़िता के मामले की पूरी तरह पुष्टि की है।' अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि एक छोटी बच्ची जाधव को फंसाने के लिए क्यों झूठी कहानी गढ़ेगी। हालांकि अपराध के घटने को काफी वक्त बीत जाने के कारण मामले में कुछ रियायत बरतते हुए अदालत ने आरोपी को अधिकतम सात साल के बजाय पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने जाधव पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने कहा कि यह राशि बतौर मुआवजा पीड़िता को दी जाएगी।
Tuesday, March 31, 2009
गोविंदा ने चुनाव न लड़ने की घोषणा
मुंबई में अपने घर पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि पार्टी के कुछ लोगों को मेरे साथ काम करने में दिक्कत है और उन्होंने समस्याएं खड़ी कीं थीं.उनका कहना था,'' मैंने सोनिया गांधी को बता दिया है कि मैं चुनाव लड़ने के बजाए चुनाव प्रचार करना पसंद करूंगा.''उन्होंने कहा कि विरोधियों ने मेरी छवि धूमिल करने की कोशिश की, इसके बावजूद सोनिया गांधी को मुझ पर भरोसा है.लोगों की पहुंच से दूर होने के आरोपों को ठुकराते हुए गोविंदा ने कहा,'' कुर्सी पर बैठने के बजाए आम जनता के लिए काम करने से मतलब होना चाहिए.''गोविंदा ने कहा कि उन्हें खलनायक के रूप में पेश किया गया जबकि सच्चाई कुछ और है.
Thursday, March 19, 2009
ढोल वाली माँ को सलाम
उसने नहीं बजाया था ढोल कभी अपने पिता के घर। अपने पिता की सबसे लाड़ली थी वह। पाँच भाई-बहनों में सबसे छोटी। लेकिन पति के घर कदम रखते ही उसका वास्ता पड़ा जीवन के भयावह यथार्थ से। कठिनतम परिस्थितियों से उसे दो-चार होना पड़ा। दो जून की रोटी जुटाने और परिवार की गाड़ी को सही दिशा में ले जाने की सोच उसने टाँगा ढोल अपने कंधे पर। समय गुजरने के साथ उसे बजाना भी आ गया। और फिर हुआ सफर शुरू जीवन के तमाम झंझावातों से जूझते हुए पति के साथ कदमताल करने का। आर्थिक अभाव, रूढ़ियों में जकड़ा परिवार, बात-बात पर क्रोध करने वाला पति और शादी के छः साल तक कोई संतान न होने के कारण ताने कसने वाला तथाकथित समाज। सबकुछ सहती गई वो। इस उम्मीद में कि कभी तो उसे औलाद का सुख मिलेगा और वह समय भी आया जब उसके घर बेटा हुआ। वह भी कई मन्नातों और पूजा-अर्चना के बाद।
समय गुजरने के साथ उसके घर-आँगन में एक-एक कर तीन बेटियों की किलकारियाँ भी गूँजी। ढेरों सपने बुनते हुए और लगातार मेहनत करते हुए वह अपने बच्चों को पढ़ाती रही। शादी-ब्याह, मन्नात, तीज-त्योहार पर ढोल बजाते हुए वह चलती रही अपनी राह। इस बात की संतुष्टि उसे सदैव रही कि अभावों एवं दुःख के बादलों के बीच भी उसके बेटे-बेटियाँ अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। कभी नमक-मिर्च के साथ अपना दिन काटती तो कभी मूसलधार बरसते पानी में खपरैल से बहती धारा के बीच एक कमरे में अपने बच्चों को समेटे वह ढोल वाली "माँ" तब बहुत खुश होती थी जब कोई उससे कहता कि "तुम्हारा बेटा पढ़ने में बहुत होशियार है।" अपने परिवार की समृद्धि और सुनहरे भविष्य की उम्मीदें अपने एकमात्र बेटे में ढूँढती थी वो। उसके बेटे ने भी दसवीं तक की शिक्षा लेने के बाद अपनी जिम्मेदारियों को समझा और अपना खर्चा खुद निकालकर परिवार को सहयोग करने लगा। जिम्मेदारी का अहसास तो उसे तभी हो गया था जब उसने होश संभाला था। त्याग की भावना भी उसमें अपनी माँ से ही आई। एक ठेठ देहाती गाँव के अत्यंत अल्पशिक्षित एवं सामाजिक रूप से पिछड़े परिवार के लिए निःसंदेह यह एक बड़ी बात थी कि वहाँ पढ़ाई के महत्व को समझा जाने लगा। इसके पीछे "ढोल वाली माँ" की दूरदृष्टि ही थी। वह आज एक ऐसे उच्च शिक्षित बेटे की माँ है, जिसके पास पद भी है और प्रतिष्ठा भी। उसकी तीनों बेटियाँ स्नातक स्तर तक शिक्षित हैं और अपनी घर-गृहस्थी तो संभाल ही रही हैं, साथ ही करियर भी। लेकिन ढोल वाली माँ अभी भी वैसी की वैसी ही है। अपने बच्चों के बार-बार मना करने के बावजूद यदा-कदा ढोल उसके कंधे पर दिख ही जाता है। जैसे ही वह कीमची मारती है उसकी थाप लोगों को एक संदेश दे जाती है- संदेश... अँधेरे से लड़ते रहने का...। बाधाओं को पार करके अनवरत चलते रहने का। जीवन में बिना कुछ किए जिन्हें सब कुछ मिल जाता है, वे उसका मोल नहीं जानते। पैतृक संपत्ति के बल पर ऊँचे ओहदे हासिल करने वाले क्या समझेंगे उस ढोल वाली माँ की सफलताओं को। उसकी उपलब्धियाँ किसी भी प्रबंधक अथवा अधिकारी से कमतर नहीं। वह ढोल वाली माँ आदर्श है कई माँओं की। ऐसी माँ को हजारों सलाम।
गरीबी के चलते बेचना पड़े गुर्दे
Monday, March 16, 2009
गृह मंत्री बनने की तैयारी में अमर सिंह
नई दिल्ली. अमर सिंह गृह मंत्री बनने की तैयारी में हैं, जी हां बिल्कुल ठीक सुना आपने, लेकिन रियल लाइफ में नहीं बल्कि रील लाइफ में। यह तो सभी जानते हैं कि अमर सिंह कई फिल्मी हस्तियों के करीबी रहे हैं जिसके चलते उन्होंने भी एक्टिंग तो सीख ही ली है।दरअसल अमर सिंह को देव आनंद की फिल्म चार्जशीट में गृह मंत्री की भूमिका निभाने का प्रस्ताव मिला और उन्होंने इसे स्वीकार भी कर लिया है। पत्रकारों से चर्चा करते हुए अमर सिंह ने इस बात की पुष्टि की और यह भी बताया कि इस फिल्म की शूटिंग दिल्ली स्थित उनके निवास पर ही होगी।उन्होंने कहा कि जब मेरे पास फिल्म में गृह मंत्री का किरदार निभाने का प्रस्ताव आया तो मैं ठुकरा नहीं सका क्योंकि ये प्रस्ताव देव आनंद की ओर से आया था, जिनका मैं बहुत सम्मान करता हूँ। हालाँकि उन्होंने फिल्म के बारे में कुछ और नहीं बताया। अमर सिंह पहले भी कई फिल्मों में झलक दिखा चुके हैं लेकिन लेकिन किसी किरदार में नहीं, अमर सिंह के रूप में ही।समाजवादी पार्टी के महासचिव अमर सिंह फिल्म इंडस्ट्री की हस्तियों से नजदीकियों के के कारण पहले ही चर्चित हैं। फिल्मी पार्टियों और समारोहों में उन्हें अक्सर देखा जाता रहा है। अमिताभ बच्चन से उनके रिश्ते तो जगजाहिर हैं।
पाक में 'क्रांति की शुरुआत'
रविवार सुबह से ही पाकिस्तान की राजनीति में उस समय और गरमी बढ़ गई, जब ये ख़बर आई कि नवाज़ शरीफ़ को नज़रबंद कर दिया गया है.हालाँकि पाकिस्तान की सरकार ने ऐसी किसी भी बात से इनकार किया है.बाद में नवाज़ शरीफ़ मीडिया के सामने आए और पत्रकारों को बताया कि सरकार ने उन्हें ग़ैर क़ानूनी रूप से इस्लामाबाद जाने से रोकने की कोशिश की है.नवाज़ शरीफ़ की कथित नज़रबंदी की ख़बर फैलते ही पार्टी समर्थक सड़कों पर आ गए और कई जगह पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई.
मांग:-पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के शासनकाल के दौरान बर्ख़ास्त जजों की बहाली की मांग को लेकर विरोध मार्च का आयोजन किया गया है.
इस्लामाबाद हमारी नियति है. हम इस्लामाबाद के लिए निकल पड़े हैं. आश्चर्यजनक रूप से लोगों का समर्थन मिल रहा है. पाकिस्तान के इतिहास का यह स्वर्ण काल है. ये क्रांति की दस्तक है नवाज़ शरीफ़ |
कार्यक्रम ये है कि देश के कई हिस्सों से इस्लामाबाद पहुँचकर प्रदर्शनकारी सोमवार को संसद भवन के बाहर धरना देंगे.लेकिन सरकार इसे रोकने की हरसंभव कोशिश कर रही है. कई जगह प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की गई है और कई नेताओं को गिरफ़्तार भी किया गया है.पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने नवाज़ शरीफ़ और उनके भाई शाहबाज़ शरीफ़ के किसी भी निर्वाचित पद पर काम करने से रोक लगा दी थी.उसके बाद नवाज़ शरीफ़ ने भी सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल लिया है और विरोध प्रदर्शन को समर्थन दे रहे हैं.लाहौर से इस्लामाबाद निकलते समय नवाज़ शरीफ़ ने कहा कि उन्हें इस्लामाबाद जाने से कोई नहीं रोक सकता.
'क्रांति की शुरुआत':-एक टीवी चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा, "इस्लामाबाद हमारी नियति है. हम इस्लामाबाद के लिए निकल पड़े हैं. आश्चर्यजनक रूप से लोगों का समर्थन मिल रहा है. पाकिस्तान के इतिहास का यह स्वर्ण काल है. ये क्रांति की शुरुआत है."
लाहौर में जम कर हिंसा हुई है |
अधिकारियों ने लाहौर से इस्लामाबाद जाने वाले सभी रास्तों को सील कर दिया है. लेकिन नवाज़ शरीफ़ की पार्टी के कार्यकर्ता अवरोधों को हटाने की कोशिश कर रहे हैं.लाहौर में कई जगह नवाज़ शरीफ़ समर्थकों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प हुई है.पुलिस ने उग्र भीड़ पर आँसू गैस के गोले छोड़े, तो लोगों ने पुलिस पर जम कर पथराव किया. कुछ लोगों को चोटें भी आई हैं.दूसरी ओर राजधानी इस्लामाबाद को भी छावनी में तब्दील कर दिया गया है. यहाँ आने-जाने वाले लोगों पर नज़र रखी जा रही है और बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है.
Thursday, March 5, 2009
मासूम के बलात्कारी को दस वर्ष की कैद
अमरोहा(ज्योतिबाफूलेनगर):मंडी धनौरा में मासूम के साथ बलात्कार करने के दोषी युवक को अदालत ने दस वर्ष के कठोर कारावास व बीस हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।काबिलेगौर है कि डिडौली कोतवाली क्षेत्र के गांव पतेई खालसा का रहने वाला कमल सिंह पु्रत्र मवासी सैनी वर्ष 2000 में मंडी धनौरा के महादेव मुहल्ला निवासी चंद्रपाल सिंह के मकान में किराए पर रह रहा था। 19 अप्रैल 2000 की शाम मकान मालिक की चार वर्षीय मासूम बेटी को अकेला पाकर किराएदार उसे कमरे में ले गया तथा बलात्कार किया। इस दौरान पीड़िता की मां आ गई। चीख पुकार सुनकर आरोपी भाग निकला। बालिका के पिता की नामजद रिपोर्ट पर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर अदालत के माध्यम से जेल भेज दिया। मौजूदा समय में भी आरोपी जेल में बंद है।उधर मामला विशेष सत्र न्यायाधीश सतेंद्र सिंह की अदालत में चलता रहा। सोमवार को न्यायाधीश श्री सिंह ने तमाम पहलुओं का अध्ययन किया तथा आरोप सही पाए। उन्होंने दोषी को दस वर्ष के कठोर कारावास व बीस हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। श्री सिंह ने आदेश दिया कि जुर्माने की आधी रकम पीडि़त पक्ष को दी जाए।
पुलिस अभिरक्षा से कैदी फरार
अमरोहा(ज्योतिबाफूलेनगर): मंडी धनौरा से अदालत में पेशी पर लाते समय एक मुल्जिम यहां अतरासी तिराहे पर चार सिपाहियों को चकमा देकर चलते टेम्पो से कूदकर फरार हो गया।थाना मंडी धनौरा पुलिस ने गजरौला के निवासी बंटी उर्फ विक्की को 12 बोर के तमंचे, यहीं के कुलदीप को चाकू, धनौरा थाना क्षेत्र के गांव लालरी निवासी भोपत , गांव वसी रुस्तमपुर निवासी लाल सिंह को अवैध शराब के साथ गिरफ्तार कर संबंधित धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया था। बुधवार को पुलिस टेम्पो से चारों सीजेएम की अदालत में पेशी पर लेकर आ रही थीे। सभी मुल्जिम अलग-अलग हथकड़ी में बंधे थे। इनका रस्सा एक ही था। अपराह्न दो बजे टेम्पो नगर कोतवाली क्षेत्र में बिजनौर मार्ग पर अतरासी तिराहे के नजदीक पहुंचा, तभी मुल्जिम विक्की ने हथकड़ी से हाथ निकालकर चलते टेम्पो से छलांग लगा दी व कल्याणपुर मार्ग की दिशा में भाग खड़ा हुआ। एक सिपाही चंद्रपाल ने पकड़ने को दौड़ लगा दी। काफी पीछा करने पर भी हाथ नहीं आया व टै्रफिक की भीड़ में ओझल गया।
Wednesday, March 4, 2009
घायल खिलाड़ी भी लौटे, न्यूजीलैंड ने रद्द किया दौरा
कोलंबो/वेलिंगटन. मंलवार को लाहौर में हुए हमले के बाद बुधवार तड़के श्रीलंका की टीम चार्टर्ड प्लेन से स्वदेश लौट आई। इस हमले के बाद न्यूजीलैंड की टीम ने भी पाकिस्तान का आगामी दौरा रद्द कर दिया है। नवंबर माह में न्यूजीलैंड को पाकिस्तान के दौरे पर जाना था, लेकिन मौजूदा घटना के बाद इसे रद्द कर दिया गया है।
न्यूजीलैंड के खिलाड़ी जैकब ओरम ने कहा कि इस हमले के बाद तो हमें भारत में होने वाले आईपीएल टूर्नामेंट के बारे में भी सोचना पड़ेगा। न्यूजीलैंड क्रिकेट के चीफ जस्टिन वॉन ने कहा है कि हमने अपना पाकिस्तान दौरा रद्द कर दिया है।उन्होंने रेडियो न्यूजीलैंड से कहा कि पाकिस्तान जाने का हमारा अब कोई इरादा नहीं है। न्यूजीलैंड क्रिकेट के अधिकारी अप्रैल या जून में पीसीबी के अधिकारियों से मिलकर इन मैचों को किसी तीसरे देश में आयोजित करवाने के मुद्दे पर विचार करेंगे।इधर बुधवार सुबह कोलंबो एयरपोर्ट पर जैसे ही श्रीलंकाई खिलाड़ी पहुंचे वहां माहौल काफी गमगीन हो गया।खिलाड़ियों के लेने उनके परिवारजनों के अलावा खेल मंत्री और कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। पत्नियों, बच्चों और परिवार वालों से मिलकर कई खिलाड़ी खुद को नहीं रोक पाए।
सभी भावुक नजर आए। समरवीरा खतरे से बाहर हैं लेकिन उनकी हालत गंभीर है इसलिए उन्हें स्ट्रेचर पर ही विशेष गाड़ी से बाहर लाया गया। एयरपोर्ट पर पहुंचे कप्तान माहेला जयवर्धने के चेहरे पर दहशत साफ देखी जा सकती थी।जयवर्धने ने कहा कि हम अभी तक नहीं समझ पा रहे हैं कि यह सब कैसे हुआ। सभी खिलाड़ी सही-सलामत घर लौट आए हैं, यही बहुत बड़ी बात है। इसमें ही हम सब खुश हैं। वहीं मामूली रूप से घायल मुथैया मुरलीधरन ने कहा कि यह कुछ काफी जल्दी और अचानक हुआ। ड्राइवर की होशियारी की वजह से ही आज हम जिंदा हैं।
श्रीलंका एयरपोर्ट पर अपने घायल साथियों के साथ पहुचंने के बाद जयवर्धने अपने परिवार को देखकर इतने भावुक हो गए कि उनकी आंख से आंसू तक निकल पड़े। जयवर्धने ने कहा कि हम मौत को बेहद करीब से देखे हैं और भगवान ने ही हमें बचाया। जिस तरह से हमारी बस पर फायरिंग हो रही थी, उस वक्त हमने सोचा कि आज हमारा आखिरी दिन है लेकिन ड्राइवर की सूझ-बूझ से हम सभी खिलाड़ी थोड़ी बहुत चोट के साथ पूरी तरह से सुरक्षित हैं।पाकिस्तान में आतंकियों की खोजबीन जारी है। गौरतलब है कि इस हमले में पांच पुलिसकर्मी भी मारे गए थे। पुलिस ने लाहौर में श्रीलंका की क्रिकेट टीम पर मंगलवार को हमला करने वाले बंदूकधारियों की तलाश तेज कर दी है। इस हमले में श्रीलंकाई टीम की सुरक्षा में तैनात छह पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। जबकि श्रीलंका के सात खिलाड़ी और सहायक कोच घायल हो गए थे।
क्रिकेट के भविष्य पर संकट
म्यूनिख ओलंपिक ग्राम में फलस्तीनी आतंकियों के हाथों 1972 में 11 इसराइली खिलाड़ियों की हत्या आधुनिक खेल इतिहास में हिंसा की सबसे जघन्य घटना है। लेकिन मंगलवार को लाहौर में श्रीलंकाई क्रिकेटरों पर हुआ हमला भी कम खौफनाक नहीं है। फिर चाहे इसमें हताहतों की संख्या कम है और किसी खिलाड़ी की मौत नहीं हुई है। इस हमले ने निकट भविष्य में किसी भी क्रिकेट टीम के पाक दौरे को असंभव बना दिया है।इससे खेल के भविष्य के लिए ही खतरा पैदा हो गया है। यदि कोई देश पाक जाने को राजी नहीं होगी तो इसकी संभावना भी नहीं होगी कि कोई देश पाकिस्तानी टीम की मेजबानी करेगा। टैस्ट क्रिकेट खेलने की हकदार टीमें सिर्फ दस हैं।इनमें से भी जिम्बाब्वे और बांग्लादेश की टीमें हाशिये पर पहुंच गई हैं। अब यदि पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया तो क्रिकेट की दुनिया नाटकीय रूप से सिकुड़ जाएगी।अप्रैल मध्य में होने वाले हाई प्रोफाइल इंडियन प्रीमियर लीग टूर्नामेंट पर भी इसका परोक्ष असर पड़ेगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आम चुनाव के साथ होने के कारण आईपीएल के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था मुहैया न करा सकने के संकेत दिए हैं।
टूर्नामेंट का कार्यक्रम नए सिरे से तय करना व्यवस्था के हिसाब से दु:स्वप्न ही होगा। स्टार खिलाड़ियों के अभाव से आयोजन का रंग भी फीका पड़ सकता है। कई ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी पहले ही जा चुके हैं और अब शारीरिक चोट या मानसिक आघात के कारण श्रीलंकाई खिलाड़ियों की उपलब्धता भी संदेह में है।सबसे गंभीर मामला 2011 के विश्व कप का है। इसे भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश संयुक्त रूप से आयोजित करने वाले थे। अब चूंकि क्रिकेट जगत के खिलाड़ी व सरकारें पाकिस्तान में मैचों के खिलाफ होंगे इसलिए विश्व कप के पूरे कार्यक्रम को फिर तय करना होगा।भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के लिए यह स्थिति इसलिए भी चीढ़ पैदा करने वाली होगी, क्योंकि खेल पर अपना दबदबा स्थापित करने के लिए यह पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के वोटों पर बहुत निर्भर हो गया था। लेकिन मौजूदा संदर्भ में हो सकता है कि इस मामले में बीसीसीआई के सामने कोई विकल्प न हो।कॉमन सेंस छोड़ भी दें तो जन भावना और खुफिया रिपोर्टे भारत सरकार को कोई रुख लेने पर मजबूर कर देंगे। जैसा पिछले साल दौरा रद्द करते समय हुआ था। पिछले कुछ समय से राजनीतिक पर्यवेक्षक पाकिस्तान को ऐसे अस्थिर देश के रूप में देख रहे हैं, जो आंतरिक बिखराव का इंतजार कर रहा है। वहां क्रिकेट दौरे जैसे लोकप्रिय आयोजन में हमले का खतरा हमेशा से था।अब यह बहस का विषय है कि क्या यह हमला मूलरूप से भारतीय टीम पर किया जाने वाला था, जो पाकिस्तान दौरे पर जाने वाली थी। हालांकि उस स्थिति में सुरक्षा व्यवस्था बिलकुल ही अलग होती। यह विडंबना ही है कि 14 माह में पाकिस्तान जाने वाली पहली टीम बनकर श्रीलंका ने पाकिस्तानी क्रिकेट की मदद करने की कोशिश की और उसे ही निशाना बना दिया गया। हालांकि इससे मौजूदा आतंकवाद के तर्कहीन चरित्र का ही खुलासा होता है, जिसमें निदरेष लोगों को निशाना बनाया जाता है, जैसा मुंबई में पिछले साल नवंबर में हुआ था।
Friday, February 27, 2009
झारखंड: बस दुर्घटना में 20 की मौत
मां के पोर्नोग्राफी को लेकर छिड़ा युद्ध
Thursday, January 1, 2009
सैन्य प्रतिष्ठान फिर आतंकियों के निशाने पर
मक्का मस्जिद बमकांड के 17 आरोपी बरी
हैदराबाद। वर्ष 2007 में हुए मक्का मस्जिद बमकांड मामले के 17 आरोपियों को यहां की एक अदालत ने सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया है।अपर मेट्रोपालिटन सत्र न्यायाधीश [सप्तम] ने बुधवार को यह फैसला दिया। उन्होंने माना कि अभियुक्तों के खिलाफ पर्याप्त सुबूत नहीं हैं।इसके पूर्व अदालत ने इसी मामले में महाराष्ट्र के जालना के निवासी शोएब जागीरदार समेत चार अन्य लोगों को भी दोषमुक्त करार दिया था। पुलिस ने मक्का मस्जिद बमकांड मामले में 21 लोगों के खिलाफ राजद्रोह तथा विस्फोटक तत्वों को लाने तथा ले जाने का आरोप पत्र दाखिल किया था।गौरतलब है कि मई 2007 में यहां की ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में हुए भीषण बम विस्फोट में नौ लोग मारे गए थे तथा अनेक अन्य घायल हो गए थे।