नोएडा। बहुचर्चित आरुषि हत्याकांड का मेडिको लीगल रजिस्टर जिला अस्पताल से गायब हो गया है। यह खुलासा मामले की तफ्तीश कर रही सीबीआई टीम द्वारा शनिवार को अस्पताल में मारे गए छापेमारी के दौरान हुआ।सीबीआई को संदेह है कि आरुषि की मेडिको लीगल रिपोर्ट से छेड़छाड़ की गई है। छापेमारी के दौरान रजिस्ट्रर न मिलने से सीबीआई का शक और गहरा गया है। अगर आरुषि की मेडिकल रिपोर्ट में सचमुच छेड़छाड़ की गई होगी तो इस हत्याकांड में एक बार फिर नया मोड़ आ जाएगा।छापेमारी के लिए सीबीआई की चार सदस्यीय टीम ने जिला अस्पताल के पैथोलॉजिस्ट की अलमारी तोड़कर मेडिको-लीगल रजिस्टर तलाशने का प्रयास किया, लेकिन अलमारी से 2008 का रजिस्टर नदारद मिला। इससे सीबीआई अधिकारियों को शक और गहरा हो गया है। सूत्रों के अनुसार सीबीआई को नोएडा पुलिस से जो मेडिको लीगल रिपोर्ट मिली है, उसमें बहुत ज्यादा ओवर राइटिंग [काट-पीट कर सुधार] की गई है। यही सीबीआई की शक की मुख्य वजह है। लिहाजा वह मेडिको-लीगल रजिस्टर देखकर अपना शक दूर करना चाह रही थी।सूत्रों के अनुसार सीबीआई टीम सुबह 10:30 बजे ही अस्पताल पहुंच गई थी। सुबह ओपीडी चालू होने के कारण मेडिको लीगल संबंधी रिपोर्ट की छानबीन चार बजे के बाद की गई। इस संबंध में सीबीआई की टीम ने सीएमएस एससी सिंघल से आरुषि के मेडिको लीगल रिपोर्ट के बारे में पूछताछ की। इसके बाद जिला अस्पताल की पैथोलोजिस्ट की आलमारी की छानबीन की गई। आलमारी से वर्ष 2008 का वह रजिस्टर गायब मिला, जिसमें आरुषि की मेडिको लीगल रिपोर्ट दर्ज है।
दरअसल इस रिपोर्ट के जरिए सीबीआई यह जानने का प्रयास कर रही है कि उस रात आरुषि के साथ दुष्कर्म का प्रयास हुआ था या नहीं। सीबीआई को यह शक हत्या के बाद पुलिस द्वारा ली गई उसके शव की फोटो देखकर हुआ। इसका पता आरुषि की मेडिको लीगल रिपोर्ट से ही चल सकता है।सीबीआई को यह भी शक है कि जिला अस्पताल की पैथोलॉजिस्ट, आरुषि हत्याकांड के समय छुट्टी पर गई हुई थीं। ऐसे में हत्याकांड के बाद आरुषि से संबंधित स्लाइड जांच के दौरान अस्पताल कैसे पहुंची। सीबीआई की चार सदस्यीय टीम के साथ छापेमारी में सिटी मजिस्ट्रेट, सीएमएस व तीन डॉक्टर भी थे।
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