बाद में एनबीटी से बातचीत में देवड़ा ने कहा कि उन्होंने न तो पेट्रॉल और डीजल की कीमतें कम करने का वादा किया है और न गारंटी दी है कि कीमतें घट जाएंगी। फिलहाल दाम घटाने को लेकर न तो कोई प्रस्ताव है और न ही सरकार इस पर विचार कर रही है। ओपेक तेल कटौती को लेकर जो फैसला करेगा, उसे देखा जाएगा। तेल कीमत पर निगाह रखी जाएगी। उसके बाद ही कीमतें घटाने के मुद्दे पर विचार होगा।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि बेशक देवड़ा ने कीमतों में कटौती की बात कही है, मगर ऐसा करना उनके लिए आसान नहीं होगा। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, आरबीआई के गवर्नर सुब्बा राव और तेल कंपनियां इसके पक्ष में नहीं है। क्रेडिट पॉलिसी की तिमाही समीक्षा को लेकर चिदंबरम ने सुब्बा राव से गुरुवार को बातचीत की।
कितनी जरूरत
भारत की तेल जरूरत 15 करोड़, 61 लाख टन सालाना। इसमें घरेलू प्रडक्शन का हिस्सा लगभग 3 करोड़, 41 लाख टन है।
कहां से आता है:-सन 2007-08 में 11 करोड़, 88 लाख टन क्रूड ऑइल आयात किया गया। भारत किसी एक देश से और किसी एक तरह का क्रूड नहीं खरीदता। इसकी एवरेज कॉस्ट निकाली जाती है, जिसमें ट्रांसपोर्ट की लागत भी शामिल होती है। फिलहाल यह 60-61 डॉलर के आसपास है।
कीमतें कैसे घटें:-भारत में पेट्रॉलियम प्रडक्ट्स रियायती दरों पर बेचे जा रहे हैं, जिसका घाटा मार्किटिंग कंपनियां और सरकार उठाती हैं। पहले सरकार का मानना था कि जब क्रूड की औसत लागत 63 डॉलर प्रति बैरल हो जाएगी, तो नुकसान बराबर हो जाएगा। लेकिन रुपये की कीमत गिरने से यह गणित गड़बड़ा गया। अब यह लागत 60 डॉलर है और सरकार कीमतें घटाने की स्थिति में है। आज ओपेक की बैठक होगी। इसमें अगर प्रॉडक्शन घटाने का फैसला लिया गया, तो तेल की कीमतें चढ़ जाएंगी और भारत का गणित फिर से गड़बड़ा जाएगा।
2 comments:
rashan kee keemate ghata sakte ho kya
आपका स्वागत है. साथ ही आप मेरे ब्लोग्स पर सादर आमंत्रित हैं. धन्यवाद
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