Sunday, August 31, 2008

एनकांउटर विशेषज्ञ प्रदीप शर्मा बर्खास्त

मुंबई पुलिस आयुक्त ने शनिवार शाम अंडरवर्ल्ड के साँठगाँठ के आरोपों में शहर के एनकाउंटर (वरिष्ठ पुलिस) विशेषज्ञ प्रदीप शर्मा को बर्खास्त कर दिया।
पुलिस सूत्रों ने बताया पुलिस आयुक्त ने धारा 311 के तहत प्रदीप शर्मा के बर्खास्तगी के आदेश दिए। शर्मा ने लगभग 100 से ज्यादा मुठभेड़ में हिस्सा लिया है। उन्होंने 112 अपराधियों को ढेर करने का दावा किया है। इनमें दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन समूह समेत कई जाने-माने अंडरवर्ल्ड सरगनाओं के गैंग शामिल हैं। शर्मा पर अंडरवर्ल्ड के साथ साठगाँठ और आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप भी लगते रहे हैं।







गोलियां जो बदल देंगी जिंदगी

चिकित्सा के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन हो रही खोजों ने नई संभावनाओं को जन्म दिया है। वैज्ञानिकों की कोशिश अब ऐसी बीमारियों पर जीत हासिल करने की है जो अब तक असाध्य मानी जा रही थीं। इसके अलावा रोजमर्रा की जिंदगी में आने वाले परेशानियों को हल करने के लिए भी इंसान विज्ञान की ओर देख रहा है। इस दिशा में हुए प्रारंभिक प्रयोगों ने ये संभावनाएं जगाई हैं कि भविष्य में व्यक्ति महज एक छोटी सी गोली खाकर अपनी परेशानियों से निजात पा सकता है।ये गोलियां वाकई जादू की पिटारा साबित हो सकती हैं। मेडिकल साइंस अब ऐसी गोलियों को विकसित करने के करीब पहुंच गया है जो जिंदगी को बदल डालेंगी। इनमें से कुछ गोलियां ऐसी हैं जो आज के दौर में जानलेवा बन चुकी बीमारियों के खिलाफ इंसान का ‘कवच’ बनेंगी। उम्र पर एक हद तक जीत हासिल करने वाली गोली के अलावा याददाश्त को तेज करने और जिम की घंटों की मशक्कत से निजात पाकर शरीर को स्लिम बनाने वाली गोलियां भी भविष्य में बड़ा धमाका करेंगी। आइए नजर डालते हैं कुछ ऐसी खास गोलियों पर, जो इंसान की जिंदगी के खुशियों के रंग को और गहरा कर सकती हैं..

कैंसर रूपी मौत से पूर्व बचाव:कैंसर के खिलाफ जंग ने अब नया मोड़ ले लिया है। वैज्ञानिकों ने अपना ध्यान अब कैंसर से जीवन को बचाने के बजाय इससे बचाव के लिए शरीर को पहले से ही तैयार करने पर केंद्रित किया है। यह वैक्सीन शरीर को कैंसर से लड़ने के लिए तैयार करेगा। यह शरीर के नैसर्गिक इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा तंत्र) को इतना मजबूत बना देगा कि कैंसर सेल्स इस पर हावी नहीं हो सकेंगी और शरीर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचा रहेगा। शोधकर्ताओ ने इस दिशा में मजबूती से कदम बढ़ाते हुए मेलेनोमा युक्त वैक्सीन का कामयाब परीक्षण भी किया है। अभी कैंसर से लड़ने वाले इम्यून सेल्स विकसित किए जाने पर काम चल रहा है। एक शोधकर्ता के अनुसार अब तक के परिणाम उत्साहवर्धक रहे हैं और वह दिन दूर नहीं है जब आप एक ‘जादुई’ गोली लेकर ही खुद को कैंसर से दूर रख पाएंगे।

पुरुष खुद करेंगे बर्थ कंट्रोल:सेक्स की इच्छा जाग्रत करने वाली छोटी सी गोली वियाग्रा सुपरहिट साबित हुई है। इसने कई निराश जिंदगियों में जोश भरने का काम किया है। फार्मास्यूटिकल वल्र्ड अब ऐसी गोली विकसित करने जा रहा है जिसे खाकर पुरुष बर्थ को कंट्रोल कर सकेगा। हार्मोस आधारित यह गोली वीर्य के उत्पादन को प्रभावित करने के साथ ही इसको स्खलित होने से भी रोकेगी। वैसे तकनीकी और सामाजिक कारणों के चलते इस शोध को उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

वर्जिश का काम करेगी गोली:जिम में जाकर समय-पैसा खर्च करने की भविष्य में शायद आपको जरूरत न पड़े। जिम की वर्जिश जैसा असर देकर शरीर को स्लिम-ट्रिम बनाने वाली इस गोली पर काम किया जा रहा है। कैलीफोर्निया में चूहों पर किए गए परीक्षण के परिणाम आशा से भरे रहे हैं। गोली के प्रभाव से न केवल इन चूहों ने फैट बर्न किया है बल्कि मूवमेंट में भी तेजी आई है। खास बात यह कि इस गोली की मदद से आप सिक्स पैक एब्स भी बना सकते हैं।

भुलक्कड़ों के लिए उपयोगी:आपाधापी भरे युग में छोटी-छोटी बातों को भूलना आम है। कई बार आप कार की चाबियों को कहीं रखकर भूल जाते हैं तो कभी चश्मा आंखों पर होने के बावजूद तलाशते घूमते हैं। वैज्ञानिक अब ऐसी गोली विकसित करने में जुटे हैं जो किसी भी बात को भूलने के लिए जिम्मेदार न्यूरोट्रांसमीटर को चुस्त-दुरुस्त रखेगी। अल्जाइमर्स और मानसिक रूप से अशक्त लोगों के लिए यह गोली खास उपयोगी होगी।

नशे से निजात दिलाएगी गोली:न्यूरोसाइंस के क्षेत्र में हुए विकास के अनुसार नशे और ड्रग्स की आदत व्यक्तिगत कमजोरी के बजाय बीमारी का रूप लेती जा रही है। ऐसे में नशे की लत का पैथोलॉजी की तरह उपचार करने के उपाय तलाशे जा रहे हैं। इस दिशा में कुछ कामयाबी भी मिली है। उम्मीद है कि जल्द ही ऐसी गोली का विकास हो सकेगा जो नशे की अति को नियंत्रित करेगी। वैज्ञानिकों ने अपना ध्यान न्यूरोट्रांसमीटर डोपामाइन और इसे निषेध करने वाले तत्व पर केंद्रित किया है। वास्तव में डोपामाइन ही वह कैमिकल है जो नशे में आनंद की अनुभूति कराता है।

काबू में कीजिए उम्र: जवान बने रहने की चाहत महिला और पुरुष, दोनों में रहती है। चेहरे पर पड़ने वाले उम्र के असर को लोग अभी मेकअप से छुपाने की कोशिश करते हैं, लेकिन फ्लोरिडा में उम्र को जीतने की दिशा में प्रयोग किए जा रहे हैं। ऐसी गोली तैयार की जा रही है जो आपके चेहरे पर उम्र के बढ़ते प्रभाव को रोकने का काम करेगी। गोली यह काम उम्र बढ़ने के लिए जिम्मेदार जीन को कंट्रोल करके अंजाम देगी। वाइन में मौजूद कै मिकल ‘रिव्रिटोल’ से तैयार यह गोली डाइट की कैलोरीज को नियंत्रित करने का काम करती है। चूहों पर तो इसका कामयाब प्रयोग किया जा चुका है, मनुष्य पर इसका परीक्षण अभी बाकी है।

पायल के लिए फिल्म बनाएंगे राहुल

' बिग बॉस' में जेड गुडी तो कैंसर की वजह से पायल रोहतगी का साथ छोड़ कर चली गई। ऐसे में पायल अपने को बड़ा अकेला फील कर रही थी और गुडी के जल्द वापस लौटने की दुआ कर रही थी। खबर है कि अब उनका अकेलापन दूर हो गया है। उन्हें राहुल महाजन के रूप में नया साथी मिल गया है। आजकल वह राहुल के साथ डेटिंग कर रही हैं और दोनों के बीच काफी गहरी दोस्ती हो गई है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पायल के शो पर आने से पहले राहुल ने दूसरे लोगों से उनके आने के बारे में शर्त भी लगाई थी। पिछले दिनों अपनी वाइफ से तलाक लेने वाले राहुल आजकल अपने लिए नए पार्टनर की तलाश में थे। शायद पायल को देखकर उनकी तलाश पूरी हो गई है। अब राहुल दूसरे प्रड्यूसर बॉयफ्रेंड्स की तरह पायल के लिए एक प्रॉडक्शन हाउस खोलने का प्लान बना रहे हैं। इस प्रॉडक्शन हाउस में राहुल की पार्टनर राखी विजयन हैं। 'हम पांच' सीरियल में स्वीटी का रोल करने वाली राखी रवीना टंडन की सिस्टर-इन-लॉ हैं। यह प्रॉडक्शन हाउस पायल को अपनी फिल्मों में बतौर हीरोइन प्रमोट करने के लिए काम करेगा। वैसे, अगर राहुल पायल की पिछली फिल्मों से कोई आइडिया लेना चाहेंगे कि वह किस तरह के रोल करती हैं, तो उन्हें 2004 में आई फिल्म 'तौबा-तौबा' ही नजर आएगी। पायल के लीड रोल वाली इस सेमी पोर्न फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कलेक्शन की थी।अब राहुल खुद ही आइडिया लगा सकते हैं कि पायल को किस तरह की फिल्में सूट करती ह
योग भगा सकता है रोग: सुनील शेट्टी
फिल्मी दुनिया का सुनील शेट्टी एक जाना पहचाना नाम है। बतौर अभिनेता अपनी अभिनय का लोहा वह बहुत बार मनवा चुके हैं। शायद आपको हैरानी हो, लेकिन अध्यात्म की शक्ति में इस मसल्स मैन को भी पूरा विश्वास है। सुनील रोजाना करीब आधा घंटा अपने चित को शांत कर मन की गहराई में खो जाते हैं, जो ना केवल शेट्टी को रिलैक्स प्रदान करता है ब्लकि स्फूर्ति और नया जोश भी प्रदान करता है। सुनील मानते हैं की कोई ना कोई पावर जरूर इस धरती पर मौजूद है जिसके सहारे इस धरती पर बैलेंस बना हुआ है। अध्यात्म हमें अंदर से मजबूत करता है। तनाव भरी ज़िदगी में हल्कापन महसूस कराने में सहयोग प्रदान करता है।
सुनील मानते हैं कि अध्यात्म के तरीके भले ही अलग हों, लेकिन सबका जरिया ज़िदगी को एक बेहतर दिशा प्रदान करना है। आपने महसूस किया होगा कि जब भी हम कोई अहम फैसला लेने वाले होते हैं तो हम अपने दिल की जरूर सुनते हैं और दिल जो भी दिशा प्रदान करता है, अक्सर उसी का अनुसरण हमारे लिए भविष्य में बेहतर रहता है, ये क्या है? ये कहीं ना कहीं आपकी विल पावर या मन की शक्ति ही है जो कोई भी फैसला लेने में आपका सहयोग जरूर करती है, जिसे अध्यात्म के जरिए ही मजबूत किया जा सकता है। इसके लिए किसी तरह की प्रैक्टिस की जरूरत नहीं ब्लकि धीरे-धीरे आपका ध्यान उस ईश्वर की महिमा में लगने लगता है, जिसे दुनिया का रचियता भी माना जाता है।
अगर आप ईश्वर पर विश्वास करते हैं तो यकीनन आपका विश्वास अध्यात्म में भी बढ़ जाता है। आप जानते ही हैं कि फिल्म अभिनेता होने के साथ-साथ मैं एक बिज़नस मैन भी हूं, दोनों पेशा एक साथ चलाना काफी मुश्किल हो जाता है, इतनी थकान हो जाती है कि उसको शब्दों में कह पाना काफी मुश्किल है, लेकिन आधा घंटे का मेडिटेशन मुझमें इतनी स्फूर्ति पैदा कर देता है कि घटों की थकान चुटकी बजाते ही खत्म हो जाती है। योग गुरू बाबा रामदेव से भी शेट्टी काफी प्रभावित हैं। उनका मानना है कि लाखों श्रदांलुओं की संख्या रामदेव जी ने यूं ही नहीं पार कर ली है। कहीं ना कहीं उनके कपालभाती में कोई ना कोई ताकत जरूर है, जिसके चलते उन्हें देश ही नहीं विदेश में भी काफी पसंद किया जा रहा है। हां, वो बात अलग है कि कि शेट्टी खुद योग नहीं करते इसकी बजाय उन्हें जिम में पसीना बहाना ज्यादा अच्छा लगता है। अब सुनील ने अपना वजन काफी कम कर लिया है, जिसका श्रेय वो मेडिटेशन को ही देते हैं। ऐसा नहीं है सुनील अकेले ही मेडिटेशन करते हैं, इसमें उनका साथ उनकी बीवी बखूबी निभाती हैं।

मैं करीना को लेकर पजेसिव हूं : सैफ
अभी हाल ही में एक टूथपेस्ट कांटेस्ट में सैफ अली खान बतौर गेस्ट पहुंचे थे। वहां वह कांटेस्ट विनर से मिलने पहुंचे थे। वहां सैफ ने सभी का वेलकम बड़ी-सी हंसी के साथ किया। उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंशः
खबर है कि आपको भीगने से एलर्जी है और एक फिल्म की शूटिंग में बारिश के सीन शूट करते समय आप अनकंफर्टेबल फील कर रहे थे?
मुझे बारिश में भीगना बिल्कुल भी पसंद नहीं है। मैं भीगने पर खुद को अनकंफर्टेबल फील करता हूं, इसलिए मैं हमेशा कोशिश करता हूं कि बारिश से दूर ही रहूं।
आपने अपना 38 वां जन्मदिन कैसे सेलिब्रेट किया? क्या इस साल कोई प्लानिंग की है?
मैंने अपना जन्मदिन अपने परिवार और दोस्तों के साथ मनाया। इस पार्टी में सिर्फ मेरे करीबी लोग ही शामिल थे। इस साल मेरा मोटो है कि मैं अपनी सेहत, दौलत और बुद्धि को बढ़ाऊं।
आपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मुंबई में मुसलिम लोगों को घर मिलने में बहुत ही दिक्कत का सामना करना पड़ता है?
हां, मैंने यह टिप्पणी दी थी, मगर आज इस विषय पर बात करने का समय नहीं है। वैसे यह टिप्पणी किसने दी यह जानने से ज्यादा जरूरी है कि बात की सच्चाई को जानना। वैसे भी यह एक सेंसटिव इश्यू है, इसलिए इसे इग्नोर करना ही बेहतर होगा। यहां मैं टूथपेस्ट कांटेस्ट में आया हूं, तो आप उस बारे में ही सवाल करें।
कांटेस्ट विनर के साथ आपकी मिटिंग कैसी रही?
कांटेस्ट के जरिए फैन्स न केवल अपने पसंदीदा सेलिब्रिटी से मिल सकते हैं, बल्कि उन्हें वहां बात करने का मौका भी मिलता है। मुझे कांटेस्ट के विनर (विनर की तरफ देखते हुए) से मिलकर बहुत अच्छा लगा। हम दोनों ने कुछ समय तक बात भी की।
क्या आपको लगता है फैन्स से मिलने का सबसे बेहतर जरिया टॉक शो और गेम शो हैं, जैसा कि बाकी एक्टर कर रहे हैं?
आज एक्टर्स के पास फिल्म, स्टेज शो, सीरियल और गेम शो जैसे बहुत से मौके हैं और गेम शो वह टॉक शो भी उनमें से एक है। यह भी एक मजेदार काम है। मैं भी काफी लंबे समय से ऐसे शो में काम करने का इच्छुक हूं, मगर वह मेरे टेस्ट का होना चाहिए। हो सकता है कि मैं आपको किसी टॉक शो, गेम शो या रियलिटी शो को करते हुए दिख जाऊं। लेकिन फिलहाल अभी मेरे पास कोई भी अच्छा ऑफर नहीं आ रहा है, जिसे मैं करने की सोचूं।
आपने नया हेयर कट करवाया है?
मैंने अभी कोई नया हेयर कट नहीं करवाया है, बल्कि एक शूटिंग के लिए हल्के से बाल कटवाए हैं।
क्या सिल्वेस्टर स्टैलन स्टालवन ने आपको बाजू पर करीना का टैटू बनाने की सलाह दी?
आप से यह किसने कह दिया। उन्होंने मुझे ऐसा कुछ नहीं कहा था। दरअसल उन्होंने अपने शोल्डर पर अपनी पत्नी का बहुत ही खूबसूरत टैटू बनवाया हुआ है। यही वजह थी कि उन्होंने मुझे डार्क टैटू बनवाने की सलाह दी। इस विषय पर हमने काफी समय तक बात की। वह बहुत ही अच्छे इंसान है। उन्होंने ने केवल मुझे टैटू बनवाने की सलाह दी, बल्कि अपने टैटू आटिर्स्ट से मेरे लिए टाइम भी लिया।
आप करीना को लेकर बहुत ही पजेसिव हैं। क्या यह सही है?
हां यह सही है कि मैं करीना को लेकर बहुत ही पजेसिव हूं। मगर वैसे नहीं जैसा कि दिखाया जा रहा है। मैं खुद ऐसी अफवाहें सुनकर हैरान हो जाता हूं। लेकिन मैं नहीं समझता कि मुझे किसी को कोई सफाई देने की आवश्यकता है। क्या अब हम टूथपेस्ट और कांटेस्ट विनर के बारे में बात कार सकते हैं...

उप्र में कालीन उद्योग को लगेंगे नए पंख

उत्तर प्रदेश में कालीन उद्योग को तकनीकी रूप से उन्नत करने और मशीनों के नवीकरण के लिए केंद्र सरकार ने एक योजना तैयार की है।

विभाग ने शिल्पकारों द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले करीब 75,000 करघों को बदलने और उसकी जगह उन्नत करघे लगाने का फैसला किया है। इन नए करघों से न केवल उत्पादन क्षमता बढ़ेगी बल्कि काम का दबाव और शारीरिक थकान भी मिटेगी।इस नए करघे का आविष्कार भदोई स्थित भारतीय कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) ने किया गया है। करघा की कुल लागत 30,000 रुपये है, जिसमें शिल्पकारों को केवल 10,000 रुपये भुगतान करने होंगे और बाकी सरकार प्रबंधन करेगी। शिल्पकारों को नए करघों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।

Wednesday, August 27, 2008

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया रिहा

ढाकाः बांग्लादेश के हाई कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को इलाज कराने के लिए 4 महीने के लिए रिहा कर दिया। 63 वर्षीया खालिदा को पिछले साल सितंबर में भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। खालिदा के पुत्र और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी तारिक रहमान को भी इलाज के लिए चार महीने की जमानत दी गई है। न्यायिक अधिकारियों ने कहा- मेडिकल बोर्ड की सिफारिशों के बाद दोनों को मानवीय आधार पर रिहा किया गया है। यह रिहाई ऐसे मौके पर की गई है जब बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने खालिदा एवं उनके पुत्र की बिना शर्त रिहाई और उन पर लगाए गए सभी आरोपों को वापस लेने की मांग को लेकर प्रदर्शन तेज कर दिए थे। बांग्लादेश में जेल के उप प्रमुख शम्सुल हैदर सिद्दीकि ने कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी आयोग ने दोनों के खिलाफ एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज किए थे। इन आरोपों में जबरन वसूली से लेकर अपने राजनीतिक विरोधियों की हत्या तक शामिल है।
भिवंडी में दो बहनों से रेप
भिवंडी : बंजारपट्टीनाका के पास म्हाडा कॉलोनी में रहने वाली दो सगी बहनों के साथ घर में घुसकर जबरन दुष्कर्म करने वाले दो कुकर्मियों को निजामपुर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इस घटना को लेकर पूरे शहर में सनसनी फैली हुई है। निजामपुर पुलिस स्टेशन अंतर्गत म्हाडा कालोनी में 18 वर्ष 25 वर्ष उम्र की दो सगी बहनें अपनी मां के साथ रहती हैं। दोनों बहनें घर का दरवाजा बंद करके घर में कुछ काम कर रही थी। उस समय उनकी मां घर पर नहीं थी। उसी समय फातिमा नगर स्थित मुबारक होटल के पास रहने वाला आतिश अहमद अंसारी (21) एवं निजामपुर स्थित चांदतारा मस्जिद के पास रहने वाला सद्दाम अब्दुल वाहिद दलवी (18) आए और दरवाजा खटाखटाकर जबरन घर में घुस गए। दोनों ने बहनों को अकेला देख उनके साथ जबरन दुष्कर्म किया और फरार हो गए। निजामपुर पुलिस ने बलात्कार करने का मामला दर्ज करके दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
किसानों ने फिर बंद कराया ऑथॉरिटी का काम
ग्रेटर नोएडाः भले ही घोडी-बछेड़ा के किसानों और प्रदेश सरकार के बीच समझौता हो गया हो, लेकिन चिनगारी अभी भी सुलग रही है। बुधवार को यहां के किसानों ने ऑथॉरिटी के विकास कार्य फिर से ठप करा दिए।
किसानों का कहना है कि बढ़ी हुई दर पर मुआवजा मिलने से पहले वे काम नहीं चलने देंगे। ये काम एक दिन पहले ही चालू कराया गया था। वहीं डाढ़ा गांव के किसानों ने अप्रैल 2005 से मुआवजे की नई दर को लागू करने की मांग को लेकर काम बंद करा दिया है।
चालू वित्तीय वर्ष में लागू मुआवजा दर 850 रुपये प्रति वर्ग मीटर को अप्रैल 2006 से लागू करने की मांग कर यहां के किसानों ने 13 अगस्त को ग्रेटर नोएडा ऑथॉरिटी पर उग्र प्रदर्शन किया था। उस समय छह किसान पुलिस की गोली से मारे गए थे। 20 अगस्त को सरकार व किसानों के बीच समझौता हो गया। इसके बावजूद घोड़ी-बछेड़ा गांव के किसानों ने ग्रेटर नोएडा के ओमीक्रॉन-1 सेक्टर में ऑथॉरिटी का फिर से काम बंद करा दिया है। इससे एक बार फिर टकराव के आसार बन गए हैं। किसानों ने मांग की है कि समझौते के अनुसार उन्हें पहले मुआवजा दिया जाए। इसके बाद ही वे काम शुरू होने देंगे। इससे ऑथॉरिटी अफसरों में हडकंप मचा है। किसानों और प्रशासनिक व अथॉरिटी अफसरों के बीच कई बार मीटिंग हो चुकी है लेकिन कोई सहमति नहीं बन पा रही है। वहीं डाढ़ा गांव के किसानों ने भी ऑथॉरिटी की हाउसिंग स्कीम के मकानों का काम बंद करा दिया है। यहां के किसान साल 2005 से मुआवजे की नई दर लागू करने की मांग कर रहे हैं।
मुआवजे से पड़ा ढाई हजार करोड का भार:लगातार मुआवजा बढने से ऑथॉरिटी पर ढाई हजार करोड रुपये का भार पड़ा है। करीब नौ सौ करोड़ रुपये के भार से ऑथॉरिटी दबी है। विकास कार्यों को चलाने व किसानों को मुआवजा बांटने के लिए ऑथॉरिटी को फिर से बैंकों की तरफ कर्ज के लिए ताकना होगा। ऑथॉरिटी के एक वरिष्ठ अफसर का कहना है मायावती सरकार में किसानों को रिकॉर्ड मुआवजा बांटा गया है। इस सरकार में ऑथॉरिटी पर ढाई हजार करोड़ रुपये का भार सिर्फ मुआवजे से पड़ा है। वहीं किसानों के आंदोलन ने ऑथॉरिटी की कमर तोड़ दी है। ऑथॉरिटी के विकास कार्य एक साल पीछे हो गए हैं। निवेशकों ने रुचि दिखानी बंद कर दी है। कई निवेशक जमीन बेचने की तैयारी में हैं। घोड़ी-बछेड़ा, डाढ़ा, सैनी-सुनपुरा, एमनाबाद आदि एरिया में ऑथॉरिटी के विकास कार्य एक साल से प्रभावित हैं।

फ्रिसल ने बेटी के साथ 3,000 बार किया रेप!

अपनी बेटी को 24 सालों तक सेक्स के लिए बंधक बनाकर रखने वाले शख्स जोसफ फ्रिसल को 3 हजार रेप करने के आरो का सामना करना होगा। उसने इस दौरान पैदा हुए छह में से तीन बच्चों को भी कैद में रखा था। सूत्रों के मुताबिक फ्रिसल (74) ने अपनी बेटी एलिजाबेथ के साथ 24 सालों के दौरान सप्ताह में दो से तीन बार शारीरिक संबंध स्थापित करने की बात कबूल की है। उसने अपनी बेटी को ऑस्ट्रिया स्थित अपने घर के तहखाने में कैद कर रखा था। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अक्टूबर तक आधिकारिक आरोप पत्र तैयार कर लिए जाएंगे। फ्रिसल के मुकदमे की सुनवाई गुप्त रहेगी और कार्यवाही में जनता का प्रवेश प्रतिबंधित रखा जाएगा।
कबाइली क्षेत्र में 45 आतंकवादी मारे गए
इस्लामाबाद : पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के तालिबान के दमन का अभियान दूसरे दिन भी जारी रहा और देश के अशांत कबाइली क्षेत्र में सेना के साथ हुई विभिन्न झड़पों में कम से कम 45 आतंकवादी मारे गए।
स्थानीय मीडिया से प्राप्त रिपोर्ट्स के अनुसार बंदूक और शक्तिशाली हथियारों से लैस हेलिकॉप्टरों की मदद से सेना ने पश्चिमोत्तर प्रांत के युद्ध
प्रभावित बाजौर एजेंसी में आतंकवादियों के ठिकाने पर हमला कर 26 आतंकवादियों को मार गिराया।

अब शहरों की भूख मिटाएंगे 30 मंजिला खेत

बढ़ती आबादी और खाने की कमी से निबटने के लिए वैज्ञानिकों ने 30 मंजिला खेतों का एक सपना देखा है। यह अनोखा सपना है कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पब्लिक हेल्थ के प्रफेसर डिक्सन डेस्पोमियर का। इनके इरादे सफल हुए तो वह दिन दूर नहीं जब कंक्रीट के जंगल बने चुके महानगरों के बीचों-बीच आसमान छूते हरे-भरे 'खेत' होंगे।
वह इसे 'वर्टिकल फार्म' कहते हैं। इसका विचार उन्हें 1999 में तब आया जब वह मेडिकल इकॉलजी के अपने ग्रेजुएट स्टूडेंट्स के साथ वातावरण और स्वास्थ्य के मुद्दे पर काम कर रहे थे। उनके इस प्लान ने अमेरिका और यूरोप के कई आर्किटेक्टों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इनमें से ही हैं मैनहैटन बरो के प्रेजिडेंट स्कॉट स्ट्रिंगर।
जब जून में स्ट्रिंगर ने इसके बारे में सुना तो उनके दिमाग में फौरन एक ऐसे न्यू यॉर्क की तस्वीर उभर आई जिसके आसमान पर एक 'फूड फॉर्म' लहलहा रहा होगा। वह मजाक में कहते हैं कि वास्तव में हमारे पास खाली जमीन की कमी है, लेकिन मैनहैटन में आसमान की कोई कमी नहीं। फिलहाल उनका दफ्तर इस बात पर विचार कर रहा है कि एक वर्टिकल फार्म बनाने में क्या-क्या मुसीबतें सामने आएंगी। इसके बाद इसे कुछ महीनों के बाद मेयर के ऑफिस में पास होने के लिए भेजा जाएगा। लेकिन उन्हें इसके सफल होने की पूरी उम्मीद है। वह कहते हैं मुझे लगता है कि हम इसे पूरा कर पाएंगे। हमें इसके लिए फंड भी मुहैया हो जाएगा।
डेस्पोमियर ने अंदाजा लगाया है कि इस वर्टिकल फार्म के मॉडल पर ही 86 करोड़ रुपये से एक अरब रुपये तक का खर्च आएगा। इस हिसाब से पूरे 30 मंजिल ऊंचे खेत के बनाने में खरबों का खर्च आएगा। लेकिन इससे करीब 50,000 लोगों की भूख मिटेगी। वह कहते हैं मुझे लोग थोड़ा सनकी समझते हैं। क्योंकि यह क्रेजी आइडिया है।
डेस्पोमियर अपने इसी तरह के क्रांतिकारी विचार भाषणों और वेब साइट की सहायता से लोगों के बीच फैलाते रहते हैं। वह कहते हैं कि उनके विचार को नासा के हाइड्रोपोनिक वेजीटेबल रिसर्च से भी मजबूती मिली है। हाइड्रोपोनिक तकनीक में मिट्टी का इस्तेमाल किए बिना सिर्फ पोषक तत्वों के घोल में पौधों को उगाया जाता है। इस अद्भुत तरीके में सूरज, हवा और बेकार पानी की सहायता से अनाज की समस्या का समाधान हो जाएगा। लेकिन जरूरी नहीं है सभी इस विचार से खुश हों। यूनिवर्सिटी ऑफ विंसकोंसिन में अर्बन एंड रीजनल प्लॉनिंग के प्रफेसर जेरी कॉफमैन का कहना है 30 मंजिला खेत बनाने की क्या जरूरत है? यह काम 6 मंजिलों में भी तो पूरा हो सकता है। मुझे लगता है कि बात को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है।

सौंदर्य प्रतियोगिता रद्द

नन
प्रतियोगिता सिर्फ़ तस्वीरों के आधार पर हो जाएगी
दुनिया में पहली बार ननों के लिए सौंदर्य प्रतियोगिता का आयोजन कर रहे इटली के पादरी ने इसे रद्द कर दिया है. उनका कहना है उन्हें ग़लत समझा गया.पादरी एंटोनियों रंगी का कहना है कि वे कभी नहीं चाहते थे कि ननों का कैटवॉक करवाया जाए और वे चाहते थे कि इस प्रतियोगिता से ननों के उम्रदराज़ और सख़्त होने की छवि टूटे.वे 'मिस सिस्टर इटली' प्रतियोगिता इंटरनेट पर अपने ब्लॉग पर करना चाहते थे.फ़ादर रंगी का कहना है कि स्थानीय धार्मिक नेताओं की नाराज़गी के बाद उन्होंने इस प्रतियोगिता को रद्द करने का फ़ैसला किया है.

सफ़ाई,समाचार एजेंसी रॉयटर्स से उन्होंने कहा, "मेरे वरिष्ठ लोग मुझसे ख़ुश नहीं थे. स्थानीय बिशप ख़ुश नहीं थे. लेकिन उन लोगों ने भी मुझे समझा नहीं."


इसे शारीरिक सौंदर्य के रुप में देखा गया. यह कोई नहीं कह रहा कि ननें ख़ूबसूरत नहीं होतीं, लेकिन मैं सौंदर्य को परिपूर्णता के साथ देख रहा था
फ़ादर रंगी

उन्होंने कहा, "इसे शारीरिक सौंदर्य के रुप में देखा गया. यह कोई नहीं कह रहा कि ननें ख़ूबसूरत नहीं होतीं, लेकिन मैं सौंदर्य को परिपूर्णता के साथ देख रहा था."फ़ादर रंगी का कहना है कि वे स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे ननों के अच्छे कार्यों को दिखाना चाहते थे जिससे कि इस कार्य के प्रति रुचि बढ़े.उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा है, "हमें ननों की दुनिया की ओर ज़्यादा ध्यान देना होगा क्योंकि उन्हें समाज से वैसी तारीफ़ नहीं मिलती जिसकी वे हक़दार हैं."इस सौंदर्य प्रतियोगिता को रद्द करने से पहले उन्होंने इटली के एक अख़बार से कहा था, "सौंदर्य तो ईश्वर से मिला उपहार है और नन तो आम महिलाओं से ऊपर होती हैं."उन्होंने ननों से कहा था कि वे अपनी फ़ोटो उन्हें भेज दें और इसके बाद इंटरनेट का उपयोग करने वाले लोग विजेता का फ़ैसला करेंगे.फ़ादर रंगी ने स्पष्ट कर दिया था कि ननों को तैराकी की पोशाक में परेड करने को नहीं कहा जाएगा.उनका दावा था कि ऐसी सौंदर्यप्रतियोगिता आयोजित करने का सुझाव ख़ुद ननों की ओर से आया था.

डेढ़ हज़ार हिंदू मज़दूर श्रीनगर से लौटे

कश्मीर
कश्मीर में पिछले कई दिनों से हालात खराब चल रहे हैं
कश्मीर घाटी में काम कर रहे करीब 1500 ग़ैर-कश्मीरी हिंदू मज़दूर इलाक़ा छोड़ कर अपने घर लौट रहे हैं.इन लोगों का कहना है कि कश्मीरी मुस्लिमों की ओर से उन्हें धमकी दी जा रही थी कि या तो इलाक़ा छोड़कर चले जाएँ या फिर अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहें. वापस आने वालों में से ज़्यादातार बिहार और झारखंड से हैं.ये मज़दूर शनिवार रात श्रीनगर से बसों के ज़रिए जम्मू पहुँचे. जम्मू रेलवे स्टेशन से ये लोग अपने-अपने प्रदेश जा रहे हैं.जब मीडियाकर्मी रेलवे स्टेशन पर पहुँचे तो ये मज़दूर डरे हुए थे. बिहार के संतोष कुमार पेंटर के तौर पर श्रीनगर में दो साल से काम कर रहे थे और करीब डेढ़ सौ रुपए प्रति दिन कमा लेते थे.हाल के दिनों के बारे में संतोष ने बताया, "मैने ज़िंदगी में पहले ऐसा कभी नहीं देखा. भीड़ भारत विरोधी और पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगा रही थी, हमें जल्द जाने की धमकी दी गई."बिहार में सीतामढ़ी के रहने वाले वरींदर भी पेंटर हैं. अपनी कहानी उन्होंने कुछ यूँ सुनाई, "वे हमारे नाम पूछते थे, फिर कहते थे कि बिहारी हिंदूओं को पीटो. एक स्थानीय नागरिक ने मुझको दस हज़ार रुपए देने थे पर उसने साफ़ कह दिया कि तुम भारतीय यहाँ से चले जाओ, तुम्हें कोई पैसा नहीं मिलेगा."बिहार के ही रहने वाले राज किशोर ने कहा कि ये देखकर बहुत तकलीफ़ हुई कि स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल चौक पर पाकिस्तान समर्थक नारे लगाए गए और भारतीय झंडा जला दिया गया और पाकिस्तानी झंडा लगा दिया गया.जिन मज़दूरों से भी बात हुई सबने बताया कि भीड़ ने उस बस पर भी पत्थर फेंके जिसमें बैठकर वे जम्मू आ रहे थे.इन लोगों के मुताबिक बिहार, झारखंड और उड़ीसा से करीब 1500 मज़ूदर श्रीनगर और आस-पास के इलाक़ों से वापस आ चुके हैं.अलगाववादी नेता सयैद अली शाह गिलानी ने 29 जुलाई 2007 को कहा था कि बिहारी मज़ूदर कश्मीर से चले जाएँ. इसके बाद मज़दूरों पर चरमपंथी हमले हुए थे और कई लोग मारे गए थे.

चरमपंथियों ने चार को मारा, परिवार बंधक

भारतीय प्रशासित राज्य जम्मू-कश्मीर के जम्मू इलाक़ें में पुलिस का कहना है कि कुछ चरमपंथी घुस आए हैं और उन्होंने दो जगह फ़ायरिंग की है.इस फ़ायरिंग में चार लोगों की मौत हो गई है जिसमें सेना का एक जवान और तीन नागरिक शामिल हैं.इस फ़ायरिंग में कई अन्य गंभीर रुप से घायल हुए हैं.जम्मू के पुलिस महानिरीक्षक के राजेंद्र ने बीबीसी को बताया कि चरमपंथियों ने जम्मू के बाहरी इलाक़े चिन्नौर में एक घर में घुसकर एक परिवार को बंधक बना लिया है.पुलिस का कहना है कि इस घर के अंदर कुछ आठ लोग हैं जिनमें से दो चरमपंथी हैं.परिवार के छह सदस्यों में से चार बच्चे हैं. इन बच्चों में सबसे छोटी बच्ची की उम्र दो साल है. उनके अलावा एक पुरुष और महिला सदस्य घर पर हैं.पुलिस पहले मान रही थी कि परिवार के ये सदस्य घर में फँसे हुए हैं लेकिन अब उसका कहना है कि चरमपंथियों ने उन्हें बंधक बना रखा है.पुलिस ने कहा है कि सेना ने इस घर को घेर लिया है और चरमपंथियों के साथ मुठभेड़ चल रही है. हालांकि वहाँ इस समय गोलीबारी रुकी हुई है.अधिकारियों का कहना है कि एक चरमपंथी जो इस मकान की छत पर गया था वह सुरक्षाबलों की गोली से मारा गया है.सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ़) ने मंगलवार को कहा था कि कम से कम तीन चरमपंथी सीमापार से जम्मू के इलाक़े में घुसने में सफल हुए हैं.अधिकारी चरमपंथियों की गोलीबारी को लेकर इसलिए भी चिंतित थे कि अमरनाथ संघर्ष समिति ने बुधवार को एक बड़ी रैली का आयोजन किया था लेकिन इस मुठभेड़ के चलते उन्होंने अपनी रैली को रद्द कर दिया है.

गोलीबारी

पुलिस का कहना है कि चरमपंथी एक ऑटो में सवार होकर जम्मू शहर में निकले और उन्होंने सबसे पहले मिश्रीवाला नाके पर फ़ायरिंग की.इसमें सेना के दो जवान बुरी तरह घायल हुए. इसमें से एक जवान की बाद में मौत हो गई.इसके बाद इन चरमपंथियों ने बंदतालाब के इलाक़े में फ़ायरिंग की जिसमें दो नागरिक की मौत हो गई. बताया गया है कि उनकी गोली से ऑटो का ड्राइवर भी मारा गया है.पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जम्मू शहर के बाहरी इलाक़े चिन्नौर में सेना ने चरमपंथियों को घेर लिया है और वहाँ दोनों के बीच गोलीबारी चल रही है.अधिकारियों का कहना है कि चरमपंथी ख़ाकी वर्दी में हैं.

संघर्ष समिति की रैली रद्द


जम्मू में आंदोलन
जम्मू में पिछले दो महीनों से जनजीवन ठप्प सा पड़ा हुआ है

इस बीच अधिकारी इस बात से भी चिंता थी कि बुधवार को अमरनाथ यात्रा संघर्ष समिति ने एक बडी रैली का भी आयोजन किया था.लेकिन इस घटना के बाद संघर्ष समिति ने इस रैली को रद्द करने की घोषणा की है.समिति ने कहा है कि सुरक्षा बल इस मुठभेड़ में व्यस्त है और इसके बाद सुरक्षा एक बड़ी चिंता है और समिति सुरक्षा को लेकर एक और समस्या खड़ा नहीं करना चाहती इसलिए रैली रद्द की जा रही है.इस बीच सरकार के साथ चल रही बातचीत में संघर्ष समिति की शर्तों से रुकावट आ गई है.संघर्ष समिति ने जम्मू के आईजी और दो ज़िलों के एसएसपी को हटाने की शर्त रख दी है और सरकार ने अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है.इस बीच पूंछ में कर्फ़्यू जारी है और किश्तवाड़ में सिर्फ़ रात का कर्फ़्यू चल रहा है.जम्मू में अमरनाथ मंदिर बोर्ड को ज़मीन देने के मामले में पिछले दो महीने से भी अधिक समय से संघर्ष चल रहा है. इस संघर्ष में कई लोगों की जानें गई हैं.अमरनाथ संघर्ष समिति का कहना है कि सरकार को मंदिर बोर्ड को ज़मीन दे देना चाहिए लेकिन घाटी के लोग इसका विरोध कर रहे हैं और अलगाववादी संगठनों के नेतृत्व में वहाँ भी हिंसक आंदोलन हुए हैं.सरकार ने पहले तो अमरनाथ मंदिर बोर्ड को ज़मीन दे दी थी लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया गया.

Monday, August 25, 2008

वेश्याओं को बाँटे जाएँगे महिलाओं के कंडोम


कंडोम
एड्स नियंत्रण के लिए कंडोम को सबसे प्रभावी हथियार माना जाता ह
एड्स से निपटने के एक कार्यक्रम के तहत तमिलनाडु सरकार वेश्याओं या महिला यौनकर्मियों को 60 हज़ार कंडोम बाँएड्सटने जा रही है.ये कंडोम विशेष रुप से महिलाओं के लिए ही बनाए गए हैं.यह कार्यक्रम राज्य की एड्स नियंत्रण समिति और परिवार नियोजन ट्रस्ट मिलकर चला रहे हैं.चार महीने चलने वाले इस कार्यक्रम के तहत सात और राज्यों में भी इसी तरह की मुहिम चलाई जाएगी.इसके अंतर्गत देश भर में कोई 11 हज़ार ऐसी महिलाओं तक पहुँचने का अनुमान है जिनके एड्स ग्रसित होने की सबसे अधिक संभावना है.तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव कहते हैं, "यह तमिलनाडु की उन महिलाओं को एड्स से बचाने का बड़ा कार्यक्रम है जिनके इसके चपेट में आने की आशंका है."इस कार्यक्रम में हिंदुस्तान लेटेक्स फ़ैमिली प्लानिंग प्रमोशन ट्रस्ट सहयोग दे रहा है.राज्य एड्स नियंत्रण समिति की निदेशक सुप्रिया साहू का कहना है, "महिलाओं के लिए बनाए गए इन कंडोम से पहली बार महिलाओं को गर्भधारण का उनका अधिकार भी मिलेगा."

महिला कंडोम महिला कंडोम पॉलीयूरेथीन की एक पतली झिल्ली से बनी छोटी थैली की तरह होती है जिसे महिलाएँ योनी में लगा सकती हैं.इससे गर्भधारण और यौन रोगों दोनों से बचा जा सकता है.


महिलाओं को दिन प्रतिदिन के ख़तरों से बचाने के लिए महिला कंडोम सबसे प्रभावी उपाय है
लक्ष्मीबाई, सामाजिक कार्यकर्ता

उल्लेखनीय है कि राज्य में कुछ कंपनियों ने महिला कंडोम को बिक्री के लिए बाज़ार में पेश किया था लेकिन इसमें बहुत सफलता नहीं मिली.इसके पीछे एक बड़ा कारण इसका महंगा होना भी रहा क्योंकि कुछ कंडोमों की क़ीमत तो सौ रुपए तक भी है.जबकि पुरुषों का एक कंडोम एक रुपए में भी मिल जाता है.क़ीमत की इस समस्या से निपटने के लिए राज्य एड्स नियंत्रण समिति ने 60 हज़ार कंडोम एक लाख अस्सी हज़ार रुपए में ख़रीदे हैं.जबकि इसकी वास्तविक क़ीमत 50 रुपए प्रति नग है.राज्य में 50 हज़ार यौनकर्मियों के बीच काम करने वाली एक संस्था की प्रमुख लक्ष्मीबाई का कहना है कि महिलाओं को दिन प्रतिदिन के ख़तरों से बचाने के लिए महिला कंडोम सबसे प्रभावी उपाय है.

अब बजेगी रिंगटोन - 'कंडोम...कंडोम....'

कंडोम
बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ट्रस्ट ने रिंगटोन तैयार की है जो कंडोम के बारे में झिझक ख़त्म करे
यदि किसी शादी की पार्टी में आपका फ़ोन बजे और उसकी रिंगटोन हो - कंडोम...कंडोम...तो क्या आप शर्मा जाएँगे, लज्जित होंगे और घबरा जाएँगे? और आपके आसापास खड़े लोगों की क्या प्रतिक्रिया होगी?

यदि आप ये सोच रहे हैं कि लोग ऐसे रिंगटोन को अच्छा नहीं मानेंगे तो आप ग़लत हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि ज़्यादातर लोगों को इससे कोई आपत्ति नहीं बल्कि वे ऐसे रिंगटोन को स्मार्ट, जागरूक और ज़िम्मेदार बर्ताव की निशानी मानते हैं.बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ट्रस्ट ने ऐसी रिंगटोन तैयार की है जो एड्स के बारे में जागरूकता पैदा करने और कंडोम का इस्तेमाल बढ़ाने के लक्ष्य से तैयार किए गए उसके अभियान का हिस्सा है.

अगस्त में शुरु हुए इस रिंगटोन को दो ही दिन में लगभग बीस हज़ार लोगों ने डाउनलोड किया.इस विज्ञापन को बिल एंड मिलिंडा गेट्स फ़ाउंडेशन की आर्थिक मदद से बनाया गया है और इसे भारत का राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नैको) देश में कंडोम के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल करेगा.

'जो समझा वही सिकंदर'

इस विज्ञापन अभियान की मुख्य पंक्ति है - 'जो समझा वही सिकंदर.'


लोगों के लिए रिंगटोन व्यक्तिगत पसंद व्यक्त करने का माध्यम बनता जा रहा है. हमें लगा कि कंडोम इस्तेमाल करने वाले लोगों को समझदार दिखाने का ये सबसे बेहतर माध्यम है. इस रिंगटोन को इस्तेमाल करने से लोगों की कंडोम के बारे में झिझक भी ख़त्म होगी
राधारानी मित्रा, क्रिएटिव डायरेक्टर

बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ट्रस्ट की क्रिएटिव डायरेक्टर राधारानी मित्रा का कहना है - "लोगों के लिए रिंगटोन व्यक्तिगत पसंद व्यक्त करने का माध्यम बनता जा रहा है. हमें लगा कि कंडोम इस्तेमाल करने वाले लोगों को समझदार दिखाने का ये सबसे बेहतर माध्यम है. इस रिंगटोन को इस्तेमाल करने से लोगों की कंडोम के बारे में झिझक भी ख़त्म होगी."इस अभियान के तहत रिंगटोन को वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है, ऑनलाइन खेल खेले जा सकते हैं और विज्ञापन टीवी और रेडियो के ज़रिए देखा जा सकता है. रिंगटोन को भारत में 'सीओएनडओएम' लिखकर 56887 नंबर पर एसएमएस करके भी डाउनलोड किया जा सकता है.ग़ौरतलब है कि रिंगटोन विज्ञापन इस अभियान का तीसरा चरण है जिसके तहत इसे आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के लोगों तक पहुँचाया जा रहा है जहाँ एचआईवी संक्रमण की दर बहुत अधिक है.

Sunday, August 24, 2008

...अब होने लगी पतियों की जासूसी

ऑस्ट्रेलिया में महिलाएं अपने पार्टनर पर नज़र रखने के लिए लेटेस्ट हाईटेक इक्विपमंट्स का सहारा लेने लगी हैं। लेकिन भारतीय संदर्भ में सवाल यह है कि अगर पार्टनर धोखेबाज है, तो क्या ये गैजिट्स उसे शादी के बंधन में जकड़े रहने में सफल हो सकते हैं- पत्नी से बेवफाई करने वाले पति अब सावधान हो जाएं। हाल में सामने आई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि ऑस्ट्रेलिया में ज्यादातर पत्नियां अपने पतियों की गलत हरकतों की जासूसी करने के लिए दो तरह के हाईटेक गैजिट्स का इस्तेमाल कर रही हैं। इसमें से एक डिवाइस की मदद से मोबाइल से डिलीट किए गए टेक्स्ट मेसिज को रिकवर किया जा सकता है। पति की गद्दारी का सबूत जुटाने के लिए ऑस्ट्रेलियन लेडीज़ केमिकल टेस्ट किट का भी सहारा ले रही हैं। जब पुरुषों के लिए खतरनाक साबित होने वाले ये उपकरण बाजार में आ गए हैं, तो भारतीय पुरुषों में भी कुछ डर या बेचैनी होना स्वाभाविक है। लेकिन क्या इस इक्विमंट के डर से पतियों को दोबारा वफादार बनाया जा सकता है। इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने कुछ सिलेब्रिटीज़ से बातचीत की :
प्रॉब्लम और बढ़ेगी : अश्विन गिडवानी (थिएटर पर्सनैलिटी)
हमारी सोसायटी में शादी से जुड़ी तमाम दिक्कतें हैं। इन गैजिट्स के मार्किट में आने से परेशानियां और बढ़ेंगी। देखने में आया है कि शादी के बाद कुछ गुड लुकिंग और सक्सेसफुल लोगों की अक्सर अपोजिट सेक्स से फ्रेंडशिप हो जाती है, चाहे उसका स्तर कुछ भी हो। ऐसा नहीं है कि आजकल सभी महिलाएं अपने पतियों को दूध का धुला समझती हैं, लेकिन वह सबकुछ जानते हुए भी कुछ करने की स्थिति में नहीं होतीं। इन गैजिट्स के मार्किट में आने के बाद उनका शक यकीन में बदलेगा और पति-पत्नी के झगड़े और बढ़ेंगे। पुरुषों का ईगो उन्हें अपनी गलती रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद भी आसानी से मानने की इजाजत नहीं देगा। पत्नियां भी उनकी बेवफाई का सबूत सामने होने पर उनकी बात पर आसानी से भरोसा नहीं कर सकेंगी।
तलाक के बाद बच्चों का क्या : प्रीति जैन
मशहूर फिल्ममेकर मधुर भंडारकर पर यौन शोषण का सनसनीखेज आरोप लगा चुकी प्रीति जैन बॉलिवुड से कुछ ज्यादा ही नफरत करने लगी हैं, तभी तो वह कहती हैं, 'अगर ये गैजिट्स इंडियन मार्किट की शान बन गए तो बॉलिवुड में मैरिज़ सुरक्षित नहीं रहेगी। कुछ पुरुष खूबसूरत महिलाओं को देखते ही फिसल जाते हैं। वे अपनी आदतें चाहकर भी सुधार नहीं सकते। यह टेक्नॉलजी भारत में न ही आए, तो ज्यादा अच्छा है। अगर हसबैंड को कॉम्प्रोमाइजिंग सिचुएशन में वाइफ ने पकड़ लिया तो पुरुष तो अपनी गलती मानने से रहे। इससे तलाक के मामले और बढ़ेंगे और सबसे ज्यादा असर बच्चों के भविष्य पर पड़ेगा।'
भरोसे के बिना मैरिज़ बेमतलब : बाबा सहगल (सिंगर)
इन गैजिट्स का इस्तेमाल करने से कोई मकसद हल नहीं होगा। शादी पति-पत्नी के आपसी विश्वास पर टिकी होती है। अगर भरोसा ही खत्म हो गया, तो शादी को बोझ की तरह ढोने का कोई मतलब नहीं रह जाता। इसमें किसी तरह की जासूसी आपकी कोई मदद नहीं कर सकती। अगर आपका पार्टनर से भरोसा उठ गया है, तो उसे छोड़कर आज़ादी से अपनी जिंदगी जीना ही बेहतर होगा। केवल शादी को बचाए रखने के लिए एक-दूसरे के साथ रहना अक्लमंदी नहीं कही जाएगी।
शादी को बचाने में कोई मदद नहीं : उर्वशी शर्मा (ऐक्ट्रिस)
यह गैजिट्स टूटने के कगार पर पहुंच चुकी शादी को बचाने में कोई मदद नहीं कर सकते। अगर आपका पार्टनर आपको धोखा देकर अलग रास्ते पर चल पड़ा हो, तो उसके गलती मानने के बाद भी आपके दिमाग में शक तो रहेगा ही। आप हर समय तो अपने जीवनसाथी को अपनी नज़रों के दायरे में नहीं रख सकतीं। एक बार अलग रास्ते पर आगे बढ़ने के बाद वह बार-बार उसी रास्ते पर जाएगा और आपका भरोसा बार-बार तोड़ेगा।
इंडियन लेडीज़ स्मार्ट हैं : प्रह्लाद कक्कड़, (ऐडमैन)
इंडियन वाइव्स कभी इन गैजिट्स को यूज़ नहीं करेंगी, क्योंकि वे पश्चिमी देशों की महिलाओं की तुलना में ज्यादा स्मार्ट हैं। इंडियन स्टाइल की मैरिज़ में बेवफाई या धोखेबाजी कभी मुद्दा रहा ही नहीं है। पहले के जमाने में भी कुछ पुरुषों के कई-कई महिलाओं से संबंध रहते थे। तब भी पत्नियां इस बात को ज्यादा तूल नहीं देती थीं। भले ही महिलाएं आज शिक्षित हो गई हैं और बराबरी में उनका भरोसा पहले से ज्यादा बढ़ गया है, लेकिन वे पुरुषों को इतनी आजादी तो देती ही हैं। दरअसल, जब तक पति पत्नी को रुपये-पैसे और ऐशो-आराम की जिंदगी देता है, तब तक वह आमतौर पर कोई शिकायत नहीं करती। भारतीय महिलाओं को यह अच्छी तरह पता है कि बिना कोई शोर मचाए पति को किस हद तक ब्लैकमेल किया जा सकता है?

एसएमएस पहुंचाएगा 'उनके' दिल तक

अगर आप अपनी ड्रीम गर्ल तक अपने दिल की बात पहुंचाना चाहते हैं, तो फोन कॉल की बजाय टेक्स्ट मेसेज का सहारा लीजिए। एक सर्वे से पता चला है कि महिलाएं उन पुरुषों को दिल दे बैठती हैं, जो उन्हें मेसेज के जरिए अपने दिल की बात बताते हैं: हाल ही में किए गए एक सर्वे के मुताबिक, जो लोग मेसेज में विटी टेक्स्ट लिख सकते हैं, उन्हें खूबसूरत महिलाएं बहुत पसंद करती हैं। सिर्फ बुद्धिमानी से भरे हुए टेक्स्ट मेसेज में वह ताकत है, जो किसी भी पुरुष को अपनी ड्रीम गर्ल के नजदीक ले जा सकती है। जिन लोगों को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा है, उन्हें बता दें कि पोल में शामिल ज्यादातर महिलाओं ने माना कि उनका कोई पुरुष साथी उन्हें किस तरह के मेसेज भेज रहा है, उसके आधार पर वे उसके कैरेक्टर का आकलन करती हैं। दरअसल, महिलाएं अपने पुरुष साथियों की ओर से मेसेज रिसीव करने में ज्यादा कंफर्टेबल महसूस करती हैं। दस में से नौ लड़कियों ने खुले दिल से स्वीकार किया कि अगर कोई लड़का उनका नंबर लेता है, तो वे चाहती हैं कि वह उन्हें मेसेज करे क्योंकि फोन पर बात करने से ज्यादा मजा उन्हें मेसेज पढ़ने में आता है। अब तक आप मेसेज के महत्व को समझ चुके होंगे, लेकिन अगर आप यह सोच रहे हैं कि मेसेज के लिए कैसी भी भाषा का इस्तेमाल किया जा सकता है, तो आप गलत हो सकते हैं। दरअसल, महिलाएं स्पेलिंग और ग्रामर की गलतियों पर बहुत ज्यादा ध्यान देती हैं।
सर्वे में शामिल 41 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि मेसेज में ग्रामर या स्पेलिंग की गलतियां उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं। हालांकि अगर मेसेज में स्लैंग का इस्तेमाल किया जा रहा है, तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। करीब 61 प्रतिशत महिलाएं ऐसे पुरुष के साथ डेटिंग पर जाना चाहेंगी, जिसके मेसेज में एक सादगी से भरी शरारत छिपी हो।
सर्वे में भाग ले चुकी अमांडा कहती हैं, 'मेरे बॉयफ्रेंड ने एसएमएस के जरिए ही मेरा दिल जीता। वह फोन पर बातचीत करने की तुलना में टेक्स्ट मेसेज के माध्यम से अपने दिल की बात ज्यादा अच्छे तरीके से कह पाता है। वह अक्सर एसएमएस के माध्यम से मुझे हिंट दिया करता था। उसके इसी स्टाइल पर मैं फिदा हो गई।' एसएमएस करने के लिए आजकल जिस शॉट लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह भी महिलाओं को ज्यादा रास नहीं आती। पोल में शामिल 63 प्रतिशत महिलाओं ने इस तरह की भाषा को सिरे से नकार दिया। इस पोल को कराने वाली संस्था के प्रवक्ता विलियम ओस्ट्रॉम कहते हैं, 'सिंगल पुरुषों को अपने टेक्स्ट स्किल्स पर खास ध्यान देना चाहिए क्योंकि महिलाएं इन्हें बेहद महत्व देती हैं। दरअसल, मेसेजिंग के दौरान पुरुषों पर प्रेशर कम रहता है और वे अपने दिल की बात को ज्यादा विश्वास के साथ कह पाते हैं, जबकि फोन पर बातचीत के दौरान ऐसा संभव नहीं हो पाता।'

बारहवीं के बाद क्या?

बारहवीं की पढ़ाई बायॉलजी और फिजिकल साइंस विषयों के साथ कर रहा हूं। कृपया बताएं इसके बाद किस तरह के कोर्स उपयोगी हो सकते हैं?
रमिंदर पाल सिंह, मयूर विहार।
आपके लिए बायॉलजी आधारित कई तरह के मॉडर्न कोर्स महत्वपूर्ण हो सकते हैं। इनमें बायोटेक्नॉलजी, बायोइंफॉर्मेशन, बायोफिजिक्स, बायोकेमिस्ट्री, मेडिकल, आयुर्वेद, होम्योपैथी, नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्सिज का जिक्र किया जा सकता है। फिजिकल साइंस से संबंधित कोर्सिज में दाखिला लेने के लिए खेलों में प्रवीणता पर आधारित सर्टिफिकेट होना ज्यादातर संस्थानों में अनिवार्य शर्त है। विस्तृत सूचना के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में उपलब्ध इस तरह के कोर्स के बारे में पता कर सकते हैं।
कृपया बताएं कि एयर होस्टेस बनने के लिए किन गुणों का होना जरूरी है? इसके अलावा संस्थानों के पते भी बताएं। रागिनी, मयूर विहार।
एयर होस्टेस बनने के लिए युवतियों का आकर्षक और हंसमुख होना सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके अलावा, आत्मविश्वास से भरपूर, एक्स्ट्रोवर्ट, सहायता करने को तैयार और विपरीत परिस्थितियों में भी काम करने की क्षमताओं का होना भी जरूरी है। इस विधा की ट्रेनिंग से संबंधित ज्यादातर संस्थान निजी क्षेत्र में हैं, इसलिए बेहतर यही होगा कि आप खुद ही ऐसे संस्थानों के विज्ञापनों के जरिए पता हासिल कर वहां जाएं और उसके बाद निर्णय करें।
बीई (कंप्यूटर साइंस) कर चुका हूं। इस समय एक कॉल सेंटर में कार्यरत हूं। ज्यादा सफल होने के लिए क्या करना चाहिए? आशू गुप्ता, दिलशाद गार्डन।
बीई के बाद कॉल सेंटर की जॉब का औचित्य ज्यादा समझ में नहीं आता। बेहतर होगा कि आप अपनी बैकग्राउंड के आधार पर सही रोजगार की तलाश करें। कॉल सेंटर में रहना चाहते हैं, तो ज्यादा कुछ करने के मौके शायद आपको नहीं मिल सकेंगे।
ग्रैजुएशन में कम अंक आए हैं। क्या एमसीए किसी संस्थान से संभव है? विपिन अग्रवाल, मोतीनगर।
एमसीए की चयन परीक्षा में शामिल होने के लिए ग्रैजुएशन में कम से कम 50 प्रतिशत अंक होने की अनिवार्य शर्त रखी जाती है। रेगुलर कोर्स करने में अगर दिक्कत है, तो पत्राचार से भी एमसीए किया जा सकता है। इन संस्थानों में भरथियार यूनिवर्सिटी (कोयम्बटूर), भारतीदासन यूनिवर्सिटी(तिरुचिरापल्ली), काकतिया यूनिवर्सिटी (वारंगल), यूनिवर्सिटी ऑफ मदास (चेन्नै), मदुरै कामराज यूनिवर्सिटी (मदुरै) और मदर टेरेसा विमेंस यूनिवर्सिटी (चेन्नै) प्रमुख हैं।
ग्रैजुएशन में 42 प्रतिशत अंक हैं। क्या इनके आधार पर एलएलबी में दाखिला संभव है? क्या पत्राचार से एलएलबी करने के बाद वकालत की जा सकती है? सैय्यद आलम, पंजाबी बाग।
ग्रैजुएशन में 45 या 50 प्रतिशत अंक लाने वाले युवा ही एलएलबी में चयन परीक्षा के आधार पर दाखिला पाते हैं। इनसे कम अंक आने पर कम से कम प्रतिष्ठित सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों में दाखिला पाना तो संभव नहीं है। पत्राचार प्रणाली से लॉ का बैचलर ऑफ लॉ या बीजीएल कोर्स करने के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया में वकालत करने के लिए रजिस्ट्रेशन की इजाजत नहीं मिल पाती।
एमबीए एक निजी विश्वविद्यालय से कर रही हूं। इनका दावा है कि एमबीए की इंटरनैशनल डिग्री दी जाएगी। क्या इस आधार पर सरकारी सेवा में आना संभव है? नमिता, दिल्ली।
अगर आपका विश्वविद्यालय यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन द्वारा स्वीकृत नहीं है, तो जाहिर है इसकी डिग्रियां भी मान्यता प्राप्त नहीं होंगी। ऐसे में आप खुद सोच सकती हैं कि सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए इनकी कोई अहमियत नहीं होगी। इससे बेहतर होगा कि आप नियमित या पत्राचार से संचालित एमबीए या पीजीडीएम कोर्स मान्यता प्राप्त संस्थान से करें।

ग्रैजुएशन के बाद सीधे हो सकेगी पीएचडी!

नई दिल्ली : रिसर्च में छात्रों की कम होती रुचि को फिर से जगाने के लिए पीएचडी नियमों में बड़े स्तर पर बदलाव हो सकते हैं। सबसे खास यह होगा कि ग्रैजुएशन करने के बाद छात्र का पीएचडी में सीधे ऐडमिशन हो सकेगा। देश में शीघ्र स्थापित होने वाली 14 वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटीज की शैक्षणिक गतिविधियों के बारे में सुझाव देने के लिए सरकार द्वारा गठित कमिटी का मानना है कि अधिक से अधिक स्टूडंट्स पीएचडी करें, इसके लिए जरूरी है कि परंपरागत तरीकों में व्यापक बदलाव किए जाएं। मौजूदा समय में तीन साल ग्रेजुएशन करने के बाद छात्र दो साल की मास्टर डिग्री करता है, फिर दो साल की एम.फिल करता है और फिर कहीं जाकर पीएचडी में रजिस्ट्रेशन होता है। इससे बेहतर है कि जो पीएचडी करना चाहे, उसे ग्रैजुएशन के बाद सीधे ऐडमिशन मिल जाए। कमिटी यह भी चाहती है कि नई यूनिवर्सिटीज में अंडर ग्रैजुएट कोर्स 3 साल के बदले 4 साल का हो। हालांकि ये सब प्रस्ताव हैं और इन्हें सरकार की मंजूरी मिलने के बाद ही लागू किया जा सकेगा। कमिटी के अध्यक्ष यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर सुखदेव थोराट हैं। वे मानते हैं कि रिसर्च के प्रति छात्रों की रुचि में कमी आ रही है और नए नियम लागू होने से स्थिति में सुधार आ सकता है। गौरतलब है कि डीयू ने हाल ही में पीएचडी के नियमों में बदलाव किया है और एलएलबी के बाद सीधे पीएचडी में रजिस्ट्रेशन की सुविधा दे दी है।

प्रचंड को पलकों पर बिठाया चीन ने

पेइचिंग: चीन के शीर्ष नेतृत्व ने नेपाल के नए प्रधानमंत्री प्रचंड का जबर्दस्त स्वागत करते हुए नेपाल के विकास में हर संभव मदद देने की पेशकश की है। परंपरा से हटते हुए अपनी पहली विदेश यात्रा के तौर पर पेइचिंग पहुंचे नेपाली प्रधानमंत्री ने भी चीन को एक 'विश्वसनीय' दोस्त करार दिया। प्रचंड की चीन यात्रा इस लिहाज से अहमियत रखती है कि अब तक नेपाली नेता पद ग्रहण करने के बाद सबसे पहले भारत की यात्रा करते आए थे।
चीन के राष्ट्रपति हू चिन्थाओ और प्रधानमंत्री वन च्या पाव ने प्रचंड से अलग-अलग मुलाकातें कीं। बातचीत में उन्होंने दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग का वादा किया। हू ने कहा कि उनका देश अगले कुछ सालों में नेपाल के निजी क्षेत्र में भारी निवेश करेगा। उन्होंने पेइचिंग खेलों के समर्थन के लिए नेपाली सरकार को धन्यवाद दिया।
चीनी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री चुने जाने पर प्रचंड को बधाई देते हुए कहा कि शपथ दिलाए जाने के एक हफ्ते के भीतर पेइचिंग ओलिंपिक के समापन समारोह में हिस्सा लेने आए हैं। यह दिखाता है कि नेपाल चीन के साथ अपने संबंधों और चीनी जनता के साथ दोस्ती को कितना महत्व देता है।
प्रचंड ने हू को धन्यवाद देते हुए सफल पेइचिंग खेलों के लिए चीन की जनता को बधाई दी। उन्होंने कहा कि नेपाल अपने पड़ोसी की सफलता पर गर्व महसूस करता है। नेपाल चीन द्वारा उसकी संप्रभुता बनाए रखने के प्रयासों और एक चीन की नीति का सम्मान करता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि नेपाल में चीन विरोधी गतिविधियों को अनुमति नहीं दी जाएगी।
प्रचंड की यात्रा पर नेपाल में विवाद
काठमांडू :माओवादी नेता प्रचंड की प्रधानमंत्री के रूप में पहली विदेश यात्रा पर चीन जाने से नेपाल में विवाद खड़ा हो गया है। विरोधी दल नेपाली कांग्रेस ने भारत के 'पहले आए आमंत्रण' को अनदेखा करने पर सवाल उठाया है। पार्टी के महासचिव बिमलेंद निधि ने कहा ऐसे में जब देश में हजारों लोग बाढ़ से बेघर हो गए हैं, प्रधानमंत्री को चीन जाकर ओलिंपिक का समापन समारोह देखने की जगह बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए थी।

फिदायीन हमला, 20 मारे गए

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में फिदायीन हमलों का सिलसिला थम नहीं रहा है। पाकिस्तान के सरहदी इलाके स्वात घाटी में एक फिदायीन हमले में करीब 20 लोग मारे गए हैं। ख़बरों के मुताबिक एक फिदायीन हमलावर विस्फोटकों से लदी गाड़ी लेकर स्वात ज़िले के एक थाने में घुस गया, जिससे धमाका हुआ। स्वात ज़िले के मिंगोरा कस्बे से करीब दस किलोमीटर दूर चारबाग में शनिवार सुबह हुए इस आत्मघाती हमले से लोग दहशत में हैं। चारबाग थाने में पैरा मिलिट्री फोर्स के जवान भी तैनात थे। पाकिस्तान टीवी चैनल पीटीवी के मुताबिक इस धमाके में करीब 20 लोग मारे गए हैं। इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है और घायलों के नजदीक के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। तहरीक-ए-तालीबान पाकिस्तान के स्वात ज़िले के प्रवक्ता मुस्लिम खान ने धमाके की जिम्मेदारी ली है। शनिवार को हुआ आत्मघाती हमला मंगलवार से पाकिस्तान में तीसरा फिदायीन हमला है।
पश्चिमी देशों र रूस के बीच तनाव बढ़ा
फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सार्कोज़ी ने एक बार फिर रूस से अपील की है कि वह पश्चिमी जॉर्जिया से तुरंत अपने सैनिक हटा ले. सार्कोज़ी ने जॉर्जिया और रूस के बीच शस्त्रविराम समझौता करवाया था.

निकोला सार्कोज़ी ने रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव के साथ टेलिफोन पर बात की और शुक्रवार को रूसी सैनिकों की जॉर्जिया के गोरी शहर से वापसी का स्वागत किया लेकिन साथ ही सार्कोज़ी ने अपील की कि पश्चिमी शहरों, पोती और सेनाकी से भी रूसी हटा ली जाए. इससे पहले रूसी सेना ने कहा था कि वह जॉर्जियाई शहर पोती को अपने नियंत्रण में रखेगी जो एक महत्वपूर्ण बंदरगाह भी है.दिमित्री मेद्वेदेव के दफ्तर की ओर से बताया गया कि फ्रांस द्वारा प्रस्तावित छह सूत्रीय शस्त्रविराम समझौते की पांचवी शर्त पर दोनों नेताओं के बीच विस्तार से बात हुई जिसमें रूसी सैनिकों को युद्ध के पूर्व वाली जगहों पर लौट जाने की शर्त शामिल है. रूस का कहना है कि समझौते के अनुसार रूसी शांति सैनिक अस्पष्ट "अतिरिक्त सुरक्षा उपायों" के तहत कुछ जगहों पर तैनात रह सकते हैं.

समझौते की बारीकियां अस्पष्ट

विशेषज्ञों का कहना है कि फ्रांस द्वारा प्रस्तावित समझौता बहुत अस्पष्ट है क्योंकि रूस कह रहा है कि पोती में उसके सैनिकों की उपस्थिति से समझौते का उल्लंघन नहीं होता. लेकिन अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन का कहना है कि रूस की 2600 सैनिकों को दक्षिण ओसेतिया और जॉर्जिया के बीच के क्षेत्र में तैनात रखने की योजना समझौते के अनुकूल नहीं है.शनिवार को जॉर्जिया में सैकड़ों लोगों ने पोती शहर के बाहर रूसी तैनाती के विरोध में प्रदर्शन किया. युद्ध की शरुआत में गोरी शहर को छोड़ कर भागे लोग इस बीच वापस लौट रहे हैं. दो हफ्तों से जारी विवाद के बाद पहली बार गोरी से राजधानी त्बिलिसी जाने वाली सड़क खोली गई.

जॉर्जिया के लिए अमेरिकी मदद

इस बीच अमेरिकी सरकार के एक अधिकारी, मैथ्यू बीर्ज़ा ने कहा है कि रूस की कार्रवाई के कारण जॉर्जिया की नाटो में सदस्यता की प्रक्रिया तेज़ हो गई है और इसके लिए रूस खुद ज़िम्मेदार है. अमेरिका की तरफ से जॉर्जियाई लोगों के लिए राहत सामग्री से भरा एक जहाज़ भेजा गया है. अमेरिकी सेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि इसमें पीने का पानी, कंबल, दवाएं, और खाने की ज़ररी चीज़ें है.


Saturday, August 23, 2008

यहां रहता है महाबली सुशील कुमार

मुम्बई ओलंपिक इतिहास में बुधवार का दिन ऐतिहासिक रहा। पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा हो गया। भारत के दो सितारों ने वह करके दिखाया जो अब तक नहीं हुआ। 56 साल बाद भारत ने ओलंपिक में कुश्ती का तमगा जीता। वहीं इस बार ओलंपिक में भारत का मुक्का भी चमका। पहलवान सुशील कुमार और मुक्केबाज विजेंद्र कुमार ने देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया।
लेकिन क्या है इस पदक के पहले की हकीकत आइये आपको दिखाते हैं। भारतीय ओलंपिक इतिहास के ये तीन ऐतिहासिक लम्हे हैं जिन्होंने बीजिंग ओलंपिक को यादगार बना दिया है।
लेकिन इन पदकों के पीछे लंबी मेहनत और संघर्ष छिपा है। अभिनव जैसा हर कोई नहीं जिसके पिता करोड़पति हों, जिन्होंने पिछले दस सालों से अपने बेटे को हर वह सुविधा मुहैया कराई जिसकी उसे जरूरत थी। फिर चाहे घर में एक एयरकंडीशन शूटिंग रेंज ही क्यों न हो।
लेकिन सुशील कुमार के लिए ओलंपिक का कांस्य जीतने का सफर बेहद मुश्किल था। दिल्ली के छत्रपाल स्टेडियम के जिस कमरे में रहकर सुशील ने कुश्ती सीखी वहां एक कमरे में बीस लोग रहते थे। सुविधाओं के नाम पर उन्हें सिर्फ मिला महज एक ट्यूबलाइट और दो पंखे। खाना भी खुद के पैसों से ही खाना पड़ता है।
कुश्ती का प्रशिक्षण ले रहे पहलवानों के मुताबिक, “यहां पर बहुत परेशानी होती है, यह रहने के लिए सही जगह नहीं है। यहां पर कोई सुविधा नहीं है। पंद्रह-बीस बच्चे एक साथ रहते हैं, नहाने के लिए साबुन नहीं है। कमरे के पंखे भी ठीक से नहीं चलते।”
विजेंद्र कुमार ने भले ही सेमीफाइनल में जगह बना ली है और देश के लिए पदक पक्का कर दिया है। लेकिन इनकी कहानी भी जुदा नहीं।
खेल को लेकर सरकार का निरस रवैया कोई नया नहीं है, खिलाड़ियों को यहां सुविधाओं के नाम पर सिफर मिलता है। लेकिन इन मुश्किलों को इन्होंने कभी अपनी राह में रोड़ा नहीं बनने दिया। शुक्रवार को विजेंद्र रिंग में इस इरादे से उतरेंगे कि फाइनल में जगह बना सके।
वहीं अब भी अगर खेल मंत्रालय और खेल प्राधिकरण खिलाड़ियों की ट्रेनिंग और उनकी सुविधाओं के बारे में नहीं चेती तो जरूरी नहीं कि अगले ओलंपिक में फिर कोई अभिनव, सुशील और विजेंद्र देश के लिए पदक लाए।

एक गोद सूनी कर भरी गई दूसरी गोद

सिडनी। आस्ट्रेलिया में भारतीय बच्चों की तस्करी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत से 13 बच्चे चुराकर आस्ट्रेलिया लाए गए ताकि उन्हें यहां गोद दिया जा सके। आस्ट्रेलियाई सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है और इसकी जांच शुरू करा दी है।

मशहूर 'टाइम' पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गोद लेने संबंधी कामकाज से जुड़ी एक भारतीय एजेंसी ने इन बच्चों को चुराया। एजेंसी ने बच्चों को गोद देने के मकसद से उनके नाम बदले, माता-पिता की फर्जी तस्वीरें पेश कीं और अन्य फर्जी दस्तावेज तैयार किए।रिपोर्ट में मानवाधिकार मामलों के एक भारतीय वकील के हवाले से कहा गया है पिछले 10 से 15 सालों के दौरान आस्ट्रेलिया लाए गए करीब 400 बच्चों में से 30 तस्करी के मामले थे। आस्ट्रेलिया के अटार्नी जनरल राबर्ट मैक्लीलैंड ने भी बच्चे गोद लेने के दो मामलों में तस्करी की बात पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि इस खुलासे के बाद मामले की जांच शुरू कर दी गई है।मैक्लीलैंड के मुताबिक भारत में इस एजेंसी के संपर्क में आने से पहले भी बच्चों की तस्करी की बात सामने आती रही है। मैक्लीलैंड ने तो यहां तक कहा कि वह जानते हैं कि इनमें से एक बच्चा अभी कहां रह रहा है। हालांकि उन्होंने उसकी पहचान और जगह बताने से इनकार कर दिया।टाइम में दावा किया गया है कि चेन्नई की एक नौ वर्षीय लड़की को उस वक्त चुरा लिया गया जब उसकी मां बाजार गई थी। वर्ष 2000 में इस लड़की को क्वींसलैंड में रहने वाले एक परिवार ने गोद ले लिया था। क्वींसलैंड राज्य सरकार में बाल सुरक्षा मंत्री मार्गरेट कीच ने भी माना कि राज्य में गोद लिए गए कुछ बच्चे तस्करी के जरिए लाए गए हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार संघीय व अन्य जांच एजेंसियों के साथ मिलकर इस मामले की गहराई से छानबीन करेगी।

दावतों के साथ शुरू होगा कांग्रेस का चुनावी सफर

नई दिल्ली [ankur]। लोकसभा चुनाव की तैयारियों को तेज करने में जुटी कांग्रेस अब अगले चुनाव की थीम, मुख्य मुद्दों और रणनीति को अंतिम रूप देने में जुट गई है। पार्टी का मानना है कि सरकार चलाने की पारी पूरी हो चुकी है, अब बारी चुनावी तैयारी की है। इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस महीने के अंत में पार्टी कार्यसमिति की विस्तारित बैठक बुलाने का फैसला किया है। वहीं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पवित्र रमजान के दौरान 'दावत-ए-इफ्तार' का आयोजन किया है, जिसकी अपनी सियासी अहमियत है।सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री का यह इफ्तार उनकी प्रस्तावित अमेरिका यात्रा से ठीक पहले, 20 सितंबर को होगा। चुनाव से पहले मनमोहन सिंह का यह आखिरी इफ्तार होगा। इसमें राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर प्रभाव रखने वाले कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं को ही नहीं, बल्कि धार्मिक-सामाजिक क्षेत्रों के सक्रिय व चर्चित अल्पसंख्यक नेताओं को भी निमंत्रित करने की योजना है।गौरतलब है कि इस दावत के जरिये अल्पसंख्यक समुदाय के बीच व्यापक पहुंच बनाने के इरादे से पिछले साल पहली बार प्रधानमंत्री ने बड़े पैमाने पर इफ्तार पार्टी आयोजित की थी। इसमें न केवल राजधानी के चुनिंदा मुस्लिम चेहरों, बल्कि दक्षिण में केरल व आंध्र प्रदेश से लेकर पूरब में पश्चिम बंगाल तक के अल्पसंख्यक चेहरों को दावत दी गई थी। ऐसे में लोकसभा व चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और प्रधानमंत्री इस रोजा इफ्तार के जरिये 'उचित' सियासी संदेश देने का मौका नहीं चूकेंगे।उधर, सोनिया गांधी ने पार्टी की चिंतन बैठक बुलाने का इरादा टालने के बाद चुनावी चर्चा के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की विस्तारित बैठक बुलाने का फैसला किया है। सूत्रों के अनुसार यह बैठक इसलिए अहम होगी क्योंकि इसमें लोकसभा चुनाव के मुद्दों व रणनीति पर न केवल चर्चा होगी, बल्कि इनका स्वरूप भी तय हो जाएगा। वैसे तो पार्टी आलाकमान ने मुद्दों व रणनीति के साथ-साथ मुख्य चुनावी थीम का खाका लगभग तैयार कर लिया है। बैठक में इस खाके पर चर्चा होगी और सुझाव मांगे जाएंगे। सूत्रों के अनुसार इस बार भी पार्टी की मुख्य थीम 'आम आदमी' के इर्द-गिर्द ही केन्द्रित रहेगी, मगर महंगाई की मौजूदा आग को देखते हुए कांग्रेस का यह नारा मजाक न बन जाए, यह सुनिश्चित करने की पार्टी की पूरी योजना है। विस्तारित कार्यसमिति की बैठक में अमूमन पार्टी मुख्यमंत्रियों, विधायक दल नेताओं व प्रदेश अध्यक्षों को भी बुलाया जाता है।