Sunday, August 24, 2008
ग्रैजुएशन के बाद सीधे हो सकेगी पीएचडी!
नई दिल्ली : रिसर्च में छात्रों की कम होती रुचि को फिर से जगाने के लिए पीएचडी नियमों में बड़े स्तर पर बदलाव हो सकते हैं। सबसे खास यह होगा कि ग्रैजुएशन करने के बाद छात्र का पीएचडी में सीधे ऐडमिशन हो सकेगा। देश में शीघ्र स्थापित होने वाली 14 वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटीज की शैक्षणिक गतिविधियों के बारे में सुझाव देने के लिए सरकार द्वारा गठित कमिटी का मानना है कि अधिक से अधिक स्टूडंट्स पीएचडी करें, इसके लिए जरूरी है कि परंपरागत तरीकों में व्यापक बदलाव किए जाएं। मौजूदा समय में तीन साल ग्रेजुएशन करने के बाद छात्र दो साल की मास्टर डिग्री करता है, फिर दो साल की एम.फिल करता है और फिर कहीं जाकर पीएचडी में रजिस्ट्रेशन होता है। इससे बेहतर है कि जो पीएचडी करना चाहे, उसे ग्रैजुएशन के बाद सीधे ऐडमिशन मिल जाए। कमिटी यह भी चाहती है कि नई यूनिवर्सिटीज में अंडर ग्रैजुएट कोर्स 3 साल के बदले 4 साल का हो। हालांकि ये सब प्रस्ताव हैं और इन्हें सरकार की मंजूरी मिलने के बाद ही लागू किया जा सकेगा। कमिटी के अध्यक्ष यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर सुखदेव थोराट हैं। वे मानते हैं कि रिसर्च के प्रति छात्रों की रुचि में कमी आ रही है और नए नियम लागू होने से स्थिति में सुधार आ सकता है। गौरतलब है कि डीयू ने हाल ही में पीएचडी के नियमों में बदलाव किया है और एलएलबी के बाद सीधे पीएचडी में रजिस्ट्रेशन की सुविधा दे दी है।
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