बढ़ती आबादी और खाने की कमी से निबटने के लिए वैज्ञानिकों ने 30 मंजिला खेतों का एक सपना देखा है। यह अनोखा सपना है कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पब्लिक हेल्थ के प्रफेसर डिक्सन डेस्पोमियर का। इनके इरादे सफल हुए तो वह दिन दूर नहीं जब कंक्रीट के जंगल बने चुके महानगरों के बीचों-बीच आसमान छूते हरे-भरे 'खेत' होंगे।
वह इसे 'वर्टिकल फार्म' कहते हैं। इसका विचार उन्हें 1999 में तब आया जब वह मेडिकल इकॉलजी के अपने ग्रेजुएट स्टूडेंट्स के साथ वातावरण और स्वास्थ्य के मुद्दे पर काम कर रहे थे। उनके इस प्लान ने अमेरिका और यूरोप के कई आर्किटेक्टों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इनमें से ही हैं मैनहैटन बरो के प्रेजिडेंट स्कॉट स्ट्रिंगर।
जब जून में स्ट्रिंगर ने इसके बारे में सुना तो उनके दिमाग में फौरन एक ऐसे न्यू यॉर्क की तस्वीर उभर आई जिसके आसमान पर एक 'फूड फॉर्म' लहलहा रहा होगा। वह मजाक में कहते हैं कि वास्तव में हमारे पास खाली जमीन की कमी है, लेकिन मैनहैटन में आसमान की कोई कमी नहीं। फिलहाल उनका दफ्तर इस बात पर विचार कर रहा है कि एक वर्टिकल फार्म बनाने में क्या-क्या मुसीबतें सामने आएंगी। इसके बाद इसे कुछ महीनों के बाद मेयर के ऑफिस में पास होने के लिए भेजा जाएगा। लेकिन उन्हें इसके सफल होने की पूरी उम्मीद है। वह कहते हैं मुझे लगता है कि हम इसे पूरा कर पाएंगे। हमें इसके लिए फंड भी मुहैया हो जाएगा।
डेस्पोमियर ने अंदाजा लगाया है कि इस वर्टिकल फार्म के मॉडल पर ही 86 करोड़ रुपये से एक अरब रुपये तक का खर्च आएगा। इस हिसाब से पूरे 30 मंजिल ऊंचे खेत के बनाने में खरबों का खर्च आएगा। लेकिन इससे करीब 50,000 लोगों की भूख मिटेगी। वह कहते हैं मुझे लोग थोड़ा सनकी समझते हैं। क्योंकि यह क्रेजी आइडिया है।
डेस्पोमियर अपने इसी तरह के क्रांतिकारी विचार भाषणों और वेब साइट की सहायता से लोगों के बीच फैलाते रहते हैं। वह कहते हैं कि उनके विचार को नासा के हाइड्रोपोनिक वेजीटेबल रिसर्च से भी मजबूती मिली है। हाइड्रोपोनिक तकनीक में मिट्टी का इस्तेमाल किए बिना सिर्फ पोषक तत्वों के घोल में पौधों को उगाया जाता है। इस अद्भुत तरीके में सूरज, हवा और बेकार पानी की सहायता से अनाज की समस्या का समाधान हो जाएगा। लेकिन जरूरी नहीं है सभी इस विचार से खुश हों। यूनिवर्सिटी ऑफ विंसकोंसिन में अर्बन एंड रीजनल प्लॉनिंग के प्रफेसर जेरी कॉफमैन का कहना है 30 मंजिला खेत बनाने की क्या जरूरत है? यह काम 6 मंजिलों में भी तो पूरा हो सकता है। मुझे लगता है कि बात को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है।
Wednesday, August 27, 2008
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