Wednesday, August 27, 2008

डेढ़ हज़ार हिंदू मज़दूर श्रीनगर से लौटे

कश्मीर
कश्मीर में पिछले कई दिनों से हालात खराब चल रहे हैं
कश्मीर घाटी में काम कर रहे करीब 1500 ग़ैर-कश्मीरी हिंदू मज़दूर इलाक़ा छोड़ कर अपने घर लौट रहे हैं.इन लोगों का कहना है कि कश्मीरी मुस्लिमों की ओर से उन्हें धमकी दी जा रही थी कि या तो इलाक़ा छोड़कर चले जाएँ या फिर अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहें. वापस आने वालों में से ज़्यादातार बिहार और झारखंड से हैं.ये मज़दूर शनिवार रात श्रीनगर से बसों के ज़रिए जम्मू पहुँचे. जम्मू रेलवे स्टेशन से ये लोग अपने-अपने प्रदेश जा रहे हैं.जब मीडियाकर्मी रेलवे स्टेशन पर पहुँचे तो ये मज़दूर डरे हुए थे. बिहार के संतोष कुमार पेंटर के तौर पर श्रीनगर में दो साल से काम कर रहे थे और करीब डेढ़ सौ रुपए प्रति दिन कमा लेते थे.हाल के दिनों के बारे में संतोष ने बताया, "मैने ज़िंदगी में पहले ऐसा कभी नहीं देखा. भीड़ भारत विरोधी और पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगा रही थी, हमें जल्द जाने की धमकी दी गई."बिहार में सीतामढ़ी के रहने वाले वरींदर भी पेंटर हैं. अपनी कहानी उन्होंने कुछ यूँ सुनाई, "वे हमारे नाम पूछते थे, फिर कहते थे कि बिहारी हिंदूओं को पीटो. एक स्थानीय नागरिक ने मुझको दस हज़ार रुपए देने थे पर उसने साफ़ कह दिया कि तुम भारतीय यहाँ से चले जाओ, तुम्हें कोई पैसा नहीं मिलेगा."बिहार के ही रहने वाले राज किशोर ने कहा कि ये देखकर बहुत तकलीफ़ हुई कि स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल चौक पर पाकिस्तान समर्थक नारे लगाए गए और भारतीय झंडा जला दिया गया और पाकिस्तानी झंडा लगा दिया गया.जिन मज़दूरों से भी बात हुई सबने बताया कि भीड़ ने उस बस पर भी पत्थर फेंके जिसमें बैठकर वे जम्मू आ रहे थे.इन लोगों के मुताबिक बिहार, झारखंड और उड़ीसा से करीब 1500 मज़ूदर श्रीनगर और आस-पास के इलाक़ों से वापस आ चुके हैं.अलगाववादी नेता सयैद अली शाह गिलानी ने 29 जुलाई 2007 को कहा था कि बिहारी मज़ूदर कश्मीर से चले जाएँ. इसके बाद मज़दूरों पर चरमपंथी हमले हुए थे और कई लोग मारे गए थे.

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