शासन स्थित सूत्रों ने बताया कि नई टिहरी के एसडीएम ने सीडीओ को दी अपनी रिपोर्ट में कई खास बिंदुओं का खुलासा किया है। इसमें कहा गया है कि वन विभाग से केवल 40 पेड़ काटने की अनुमति ली गई पर वास्तव में मौके पर 1070 पेड़ काटे गए। 350 मीटर लंबे और तीन मीटर चौड़े मार्ग के लिए विधायक निधि से एक लाख रुपये स्वीकृत हुए थे। सीडीओ दफ्तर की ओर से इसमें से 75 हजार रुपये ही प्रधान के पास भेजे गए। इसके बाद रिसोर्ट स्वामी वीरेंद्र सजवाण ने एक लाख रुपये का ड्राफ्ट तैयार करवाकर प्रधान की ओर से डीएफओ को भिजवाया। इस राशि से बाकी सड़क का निर्माण कराया गया। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि डीएफओ एचके सिंह ने अपनी पत्नी के नाम से जमीन खरीदी है। एक प्रभावशाली व्यक्ति के रिसोर्ट व पत्नी की जमीन तक सड़क पहुंचाने के लिए ही इतने ज्यादा पेड़ कटवाए गए और 350 मीटर की स्वीकृति के स्थान पर अवैध रूप से 1005 मीटर तक सड़क खोदी गई। विभाग के अफसर का मामला होने के कारण नीचे के अधिकारी मौन रहकर तमाशा देखते रहे। संभावना इस बात की भी है कि यहां डीएफओ के अलावा भी अन्य अफसरों की जमीनें हो सकती हैं। इस बारे में रजिस्ट्री आफिस से ब्योरा मांगा गया है। यह रिपोर्ट एक अन्य गंभीर खामी की ओर भी इशारा कर रही है। नियमानुसार सब रजिस्ट्रार के यहां किसी जमीन का बैनामा होने से पहले पटवारी से एक प्रमाण पत्र लिया जाना चाहिए। इसमें खरीदी जा रही जमीन की वन भूमि से दूरी और जमीन में खड़े पेड़ों का पूरा ब्योरा दिया जाना जरूरी होता है। इस स्थान पर जमीन के बैनामे के पटवारी से यह प्रमाण पत्र लिए बगैर ही कर दिए गए। इस मामले का खुलासा होने के बाद कुछ अफसरों को निलंबित करके दूसरे कार्यालयों से संबद्ध कर दिया गया है। आज मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुभाष कुमार ने मामले की प्रारंभिक जांच करने वाले एसडीएम हरक सिंह रावत को तलब कर विस्तृत जानकारी ली। सूत्रों की मानें तो इस मामले में अभी कुछ और प्रभावशाली लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
Wednesday, November 19, 2008
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