Sunday, September 28, 2008
हवेलियों से भरा-पूरा है शेखावटी
सीवर पाइप में रुक सकता है भला कोई
बेटे की तरह बनी मां-बाप का सहारा
Saturday, September 27, 2008
सीरिया में बम विस्फोट, 17 की मौत
आयातित दूध पर सरकार सांसत में
आनन-फानन में बुधवार देर रात चीन से दूध और दुग्ध उत्पादों के आयात पर अगले तीन महीनों के लिए पाबंदी भी लगा दी गई। अब यह जांच-पड़ताल शुरू की गई है कि चीन में कई बच्चों को मौत की नींद सुलाने वाला मिलावटी दूध कहीं भारत भी तो नहीं पहुंच गया है। इसके लिए चीन से दूध आयात करने वाली कंपनियों का पता लगाया जा रहा है। यह छानबीन भी शुरू की गई है कि आयातित दूध का इस्तेमाल किस प्रकार किया गया है।सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार की नींद विश्व स्वास्थ्य संगठन की उस सलाह के बाद खुली है जिसमें चीन के पड़ोसी देशों को सतर्क किया गया था। इसके बाद मंगलवार को खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण की आपातकालीन बैठक बुलाई गई। बैठक के बाद डीजीएफटी से संबंधित आंकड़े मंगवाने पर यह साफ हुआ कि चीन से लगभग 10 हजार टन डिब्बाबंद दूध चालू वित्त वर्ष के दौरान आयात किया गया है। अब सरकारी महकमा यह तलाशने में जुटा है कि किन कंपनियों ने इसका आयात किया है।डीजीएफटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम अभी यह पता लगा रहे हैं कि चीन की जिन 22 कंपनियों के दूध में खतरनाक तत्व मिले हैं कहीं उन्होंने अपने उत्पाद का निर्यात भारत में तो नहीं किया है। इसके लिए बैच नंबर का मिलान किया जा रहा है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि किस तरह का दूध भारत लाया गया है। हालांकि यह साफ है कि ये दूध बच्चों के पीने से संबंधित नहीं है क्योंकि इन्हें सह-उत्पाद के तौर पर आयात किया गया है। इसके बावजूद सरकार कोई जोखिम उठाना नहीं चाहती है। इसलिए अगर इस आयातित दूध से कोई अन्य खाद्य उत्पाद तैयार किए गए हैं तो उनकी भी जांच की जाएगी।
डीजीएफटी के मुताबिक हाल के वर्षो में चीन से दूध आयात काफी बढ़ गया है। मुख्य कारण यह है कि यूरोपीय संघ सहित कई विकसित देशों में भारतीय दूध की गुणवत्ता को काफी अच्छा माना जाता है। इसका फायदा उठाने के लिए कई कंपनियां चीन से सस्ता दूध आयात कर उसे भारतीय प्रयोगशालाओं में जांच करवाने के बाद प्रसंस्कृत (प्रोसेसिंग) कर या अन्य दुग्ध उत्पाद में तब्दील कर निर्यात कर देती हैं। पिछले वर्ष चीन से 17 हजार टन दूध का आयात किया गया था। शिशुओं को दिए जाने वाले दुध का आयात भारत चीन से नहीं करता है।मालूम हो कि मिलावटी डिब्बाबंद दूध पीने से चीन में हजारों बच्चे बीमार पड़ गए हैं। इनमें से कुछ की मौत भी हो गई है। इसके बाद अधिकांश एशियाई देशों ने चीन से दूध आयात पर पाबंदी लगा दी है। चीन हाल के वर्षो में एक बड़ा दूध निर्यातक देश बनकर उभरा है। चीन में शिशुओं के लिए दूध बनाने वाली 22 कंपनियों के उत्पाद में मेलामाइन नामक खतरनाक औद्योगिक रसायन पाया गया है। फिलीपींस,मलेशिया में चीन से आयातित दूध बेचने पर दुकानदारों को जेल भेजने और उनका लाइसेंस रद करने जैसे कठोर कदम उठाए गए हैं।
Friday, September 26, 2008
कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार फरवरी में लोकसभा चुनाव की तरफ बढ़ रही है। भाजपा, वामपंथी दलों और बसपा के तीखे तेवरों और सहयोगी सपा के बदले अंदाज से कांग्रेस अक्टूबर में बुलाए गए सत्र के दौरान ही लोकसभा भंग कर नए चुनावों की घोषणा करने पर गंभीरता से मंथन कर रही है। अगर किसी तरह यह संसद सत्र चलाने में सरकार सफल भी रही तो दिसंबर में चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद भी सरकार लोकसभा चुनावों की घोषणा के लिए तैयार है।कांग्रेस व सरकार के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के विदेश यात्रा से वापस आने तक कांग्रेस के रणनीतिकार पूरी योजना तैयार कर लेंगे। प्रधानमंत्री से विमर्श करने के बाद फाल्गुन से पहले यानी फरवरी तक चुनाव कराने की योजना पर मुहर लगा दी जाएगी। दरअसल, 17 अक्टूबर से प्रस्तावित संसद सत्र को लेकर कांग्रेस व सरकार के रणनीतिकार सांसत में हैं। आंतरिक सुरक्षा और महंगाई जैसे मुद्दों पर भाजपा सान चढ़ा ही रही है। चार साल तक सरकार को बाहर से समर्थन देते रहे वामपंथी दल भी घायल शेर की तरह कांग्रेस से हिसाब चुकता करने को मचल रहे हैं। चिर प्रतिद्वंदी सपा के साथ गई कांग्रेस से बसपा तो खार खाए बैठे ही है। ईसाइयों पर हमले, महंगाई व विदेश नीति जैसे मोर्चो पर अपने इन पूर्व सहयोगियों से निपटना संप्रग के लिए मुश्किल होगा।सरकार के लिए इससे भी ज्यादा दिक्कत समाजवादी पार्टी के बदले अंदाज से हुई है। जिस तरह से सपा ने केंद्र व कांग्रेस पर हमला बोला है, उसके बाद सरकार अपने नए 'संकटमोचक सहयोगी' को लेकर भी सशंकित है। इस सत्र में वैसे भी सरकार के पास कोई खास काम नहीं है। भू-अधिग्रहण संशोधन जैसा संविधान संशोधन विधेयक जरूर एजेंडे पर है। इसका पारित न होना सरकार को मुश्किल में डाल सकता है।
उधर, राज्यसभा में तो भाजपा, वामपंथी दल, बसपा व दूसरे पाले में खड़ी पार्टियों के समक्ष कांग्रेस ही नहीं, बल्कि पूरा संप्रग अल्पमत में है।सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ पार्टी व सरकार के शीर्ष नेताओं के साथ इन हालात पर विषद मंत्रणा हो चुकी है। कांग्रेस अक्टूबर वाला सत्र ज्यादा हंगामी होने पर लोकसभा भंग करने के लिए तैयार है। इन हालात में चुनाव आयोग को तैयारियों के लिए तीन माह चाहिए होंगे। इस तरह फरवरी तक सरकार खिंच जाएगी। वैसे भी कांग्रेस चाहती है कि यह संसद का आखिरी सत्र हो। अगर मई में चुनाव होते हैं तो उसे लेखानुदान लाना पड़ेगा। इससे वह बचना चाहती है।दूसरी परिस्थिति में अगर सत्र चल भी जाए तो मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और जम्मू कश्मीर विधानसभाओं के चुनाव होने के बाद दिसंबर में लोकसभा भंग कर दिए जाने का विकल्प है। इसके बाद भी फरवरी तक चुनाव हो जाएंगे। दरअसल, कांग्रेस के रणनीतिकार मान रहे हैं कि तब तक परमाणु करार को मुकाम तक पहुंचाने का तमगा सरकार के पास होगा। इधर विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मध्य प्रदेश व राजस्थान से अच्छी खबर की आशा है, जो लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी व गठबंधन का उत्साह बढ़ाएगी।
Thursday, September 25, 2008
खैरलांजी हत्याकांड में छह को फांसी
एक दुकान जहां मिलती हैं चाय और कहानियां
महाराष्ट्र के अमरावती जिले में एक गरीब किसान परिवार में जन्मे लक्ष्मण को हिंदी साहित्य से विशेष लगाव रहा है। उन्होंने 1973 में मुंबई विश्वविद्यालय से हिंदी माध्यम में 10वीं की शिक्षा पूरी की। उन्हे गुलशन नंदा के उपन्यासों से विशेष लगाव रहा है।लक्ष्मण ने कहा कि वह जीवन के शुरुआती दौर में लेखक बनना नहीं चाहते थे, पर एक घटना ने उन्हे ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। एक छोटा बच्चा, जो नदी में नहाने गया था, डूब कर मर गया और इस घटना ने उन्हे इतना उद्वेलित किया कि अपनी भावनाओं को एक शक्ल देने के लिए उन्होंने किताबों का सहारा लिया। हालांकि घर के कमजोर आर्थिक हालात की वजह से उन्हे अपनी पढ़ाई दसवीं कक्षा के बाद छोड़नी पड़ी। आजीविका के लिए उन्होंने कुछ समय के लिए स्थानीय मिल और निर्माण स्थलों पर भी काम किया। पर फिर वह 1975 में दिल्ली आ गए। दिल्ली में दरियागंज इलाके में किताब बाजार को देखकर उनका शौक एक बार फिर जाग उठा। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्राचार के माध्यम से स्नातक की डिग्री ली। अपनी जमा पूंजी से उन्होंने एक चाय की दुकान खोली और तब से वह किताबें लिखने में जुट गए। हालांकि उन्हे किसी प्रकाशक से कोई सहायता नहीं मिली। तब उन्होंने सोचा कि वह अपनी किताबों को खुद ही लिखेंगे, प्रकाशित करेगे और बेचेंगे। लक्ष्मण गर्व से कहते है, मेरी कुछ किताबों को आप सार्वजनिक पुस्तकालयों और स्कूली पुस्तकालयों में देख सकते है।
Wednesday, September 24, 2008
सुनामी को थाम लेता है रामसेतु
सेतुसमुद्रम परियोजना पर जनवरी 2005 से ही निगाह रखे वैज्ञानिक व सुनामी विशेषज्ञ सत्यम मूर्ति साफ शब्दों में कहते हैं-'खतरनाक होगा रामसेतु तोड़ना।' सत्यम मूर्ति सिर्फ अकेले नहीं हैं। हर तरह के वैज्ञानिकों का कहना है कि परियोजना के बारे में सोचने के पहले पर्याप्त और गहन शोध नहीं कराया गया। भूगर्भवेत्ताओं का कहना है कि इस क्षेत्र में सक्रिय ज्वालामुखी और गतिमान प्रवाल भित्तिायां हैं। इसलिए यहां प्राकृतिक या पूर्वस्थापित संरचना से छेड़छाड़ ठीक न होगा। पारिस्थितिकी विशेषज्ञ दावा करते हैं कि सेतु बंगाल की खाड़ी के अनियमित प्रवाहों को रोकता है। इससे समुद्री जीवन की सहजता बरकरार रहती है। सेतु के तोड़े जाने से समुद्र की संवेदनशीलता असंतुलित पर असर पड़ेगा।जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के पूर्व निदेशक एवं चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ ओसियन टेक्नोलाजी के शिक्षक एस. बद्रीनारायणन ने कहा कि प्रवाल भित्तिायां को काटा जाना अनर्थकारी होगा। ये भित्तिायां कई सामुद्रिक हलचलों को पुष्ट करती हैं। ये कई जीवों के उद्भव की कहानी भी कहती हैं। इन्हीं भित्तिायों से संकेत मिलता है कि हिंद महासागर में पानी का प्रवाह किस तरह होता रहा है। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि श्रीलंका के भी पर्यावरणविदें का स्पष्ट तौर पर मानना है कि सेतुसमुद्रम परियोजना से समुद्र के संवेदनशील पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा। जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया और इंडियन रेयर अथर््स से पूर्व में जुड़े रहे वैज्ञानिकों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि सरकार ने परियोजना पर मुहर लगाने से पहले उनके संगठनों से संपर्क नहीं किया। वैज्ञानिकों और गैर-सरकारी संगठनों का कहना है कि पिछली दफे आए सुनामी के बाद सरकार को यहां शोध कार्य कराना चाहिए था ताकि वास्तविकताओं का खुलासा हो। जीएसआई के पूर्व निदेशक आर. गोपालाकृष्णन कहते हैं कि इस रामसेतु के चलते 2004 में हजारों लोगों की जानें बची थीं।सुनामी विशेषज्ञ सत्यम मूर्ति उस दिन को याद करते हैं जब उन्हें सेतुसमुद्रम परियोजना की ओर से भेजा गया एक रजिस्टर्ड पत्र मिला। वे उन दिनों कनाडा में ओंट्टावा विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य कर रहे थे। हालांकि पत्र काफी देर में पहुंचा और इसमें सेतुसमुद्रम परियोजना पर राय देने की निश्चित तारीख बीत चुकी थी। इसी बीच सुनामी प्रकरण हुआ। इस पर शोध किया। बाद में मैंने अपनी राय भेज दी। उन्होंने बताया कि मैने पत्र में लिखा कि अगर अगली बार सुनामी आया तो रामसेतु तोड़कर बनाए गए सेतुसमुद्रम के चलते तटीय इलाकों में तबाही मच जाएगी। सुनामी के कारण दौड़ने वाली ऊंची-ऊंची हाहाकारी समुद्री लहरों को तब श्रीलंका-भारत समुद्री क्षेत्र के बीच थामने वाला कोई नहीं होगा। मूर्ति कहते हैं कि उन्होंने साफ तौर पर पत्र में अपनी बात कह दी- 'खतरा वास्तविक है, परियोजना पुनर्निधारित करें।'
प्यार की ऐसी सजा, न देखी न सुनी
इस मामले में सऊदी के सबसे बड़े मानवाधिकार वकील अब्द अल रहमान अल लाहेम को निलंबित कर दिया गया है। इस लड़की की खता बस इतनी थी कि इसने अपनी आपबीती पर खामोश नही रहने का फैसला किया। जब वह पहली बार न्याय मांगने गई तब कोर्ट ने भी यह कहकर उसे 90 कोड़े लगाने का आदेश दिया कि उसने कई के साथ संबंध स्थापित किए है। मीडिया कवरेज होने का भी उसे खामियाजा भुगतना पड़ा और उसकी सजा बढ़ाकर दो सौ कोड़े व छह महीने की कैद कर दी गई। अमेरिका ने भी इस मामले पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजकुमार साउद अल फैजल से कहा कि वे सरकार से इस अत्याचार के बारे में तहसील से जानकारी ले। मध्य पूर्व के देशों की मानवाधिकार मामलों की विशेषज्ञ फरीदा दीफ का कहना है कि सऊदी न्याय मंत्रालय तो लड़की को पीडि़त मानने को तैयार ही नही है। उन लोगों ने तो उस पर मानहानि का मुकदमा तक दायर कर रखा है। इस लड़की ने अपनी जो आपबीती सुनाई वह दिल दहला देने वाली थी। उसे फोन पर ही उसके ही हमउम्र लड़के से प्यार हो गया। वो लड़का जिसे उसने कभी देखा भी नही था। यह लड़का उसे यह कहकर धमकाता भी था कि वो उसे अपना एक फोटो दे दे नही तो इस बात को उसके घर पर बता देगा। कुछ दिन बाद लड़की की कही और शादी हो गई। लड़की ने अपने पूर्व प्रेमी से अपनी फोटो वापस करने की गुजारिश की। लड़का उसे फुसलाकर फोटो देने के बहाने लांग ड्राइव पर एक सुनसान जगह पर ले गया। जहां पर सात लोगों ने उसके साथ दुष्कर्म किया। मुसीबतें अभी भी थमीं नही थी। जब कोर्ट में मामला पहुंचा तो वहां भी लड़की को ही दोषी ठहराया गया। उसे 90 कोड़े मारने की सजा दी गई और कहा कि तुम खुशनसीब हो कि तुम्हें जेल नसीब नहीं हुई। दरअसल, अब यह मामला शिया और सुन्नी के बीच की लड़ाई बन गया है। भुक्तभोगी लड़की शिया है जबकि सातों लड़के सुन्नी। गौरतलब है कि सऊदी कानून के मुताबिक वहां किसी भी लड़की का सार्वजनिक स्थान पर अपने सगे-संबंधियों को छोड़कर किसी अन्य पुरुष के साथ घूमना मना है। कालगर्ल आदि के मामलों में पकड़े जाने पर कोड़े लगाने या मृत्युदंड तक की सजा दी सकती है। लड़की का पति भी इससे बुरी तरह डरा हुआ है। पुलिस उसकी फरियाद को अनसुना कर देती है और आरोपी उसके घर के सामने घूमकर सारे कानूनों को धता बता रहे है।
Tuesday, September 23, 2008
बिजली बिल बनाने वाली प्राइवेट बिलिंग एजेंसी के कर्मचारियों की मनमानी का खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। समय पर बिजली बिल न आने से कई सेक्टरों के लोग परेशान हैं। बार-बार शिकायत करने पर भी उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। छह माह से बिजली बिल बनाने का कार्य कर रही बिलिंग एजेंसी के कर्मचारियों ने सेक्टर-22, 52, 61 व 71 के उपभोक्ताओं को दो माह से बिल समय पर नहीं पहुंचाए हैं। इससे उपभोक्ता परेशानी में हैं कि उन्हें एक साथ दो माह का भारी भरकम बिल चुकाना पड़ेगा।
सेक्टर-22 के पी प्रसाद, सुदर्शन अवस्थी, हरीश शर्मा व एनके जोशी का कहना है कि एजेंसी के कर्मचारियों ने दो महीने से मीटर रीडिंग ही नहीं ली है। बिजली बिल समय पर न आने की शिकायत जब भी की जाती है, तो अधिकारी एजेंसी कर्मचारियों को भेजने, रीडिंग लेने वाली मशीन खराब होने व मीटर चालू स्थिति में न होने का बहाना बनाकर टाल देते हैं। विद्युत निगम के नियमानुसार हर माह के पहले सप्ताह मीटर रीडिंग लेकर बिल देना अनिवार्य है, लेकिन यहां तो दो माह बाद भी बिजली बिल नहीं मिल पाए हैं। उपभोक्ताओं ने पश्चिमांचल विद्युत निगम के अधिकारियों से इस समस्या का शीघ्र समाधान करने व प्राईवेट बिलिंग एजेंसी को समय पर बिल देने के दिशा-निर्देश करने की मांग की है।प्राइवेट बिलिंग एजेंसी का काम देख रहे सुपरवाइजर योगिंद्र कुमार का कहना है कि कर्मचारियों के अस्वस्थ होने व छुट्टी पर जाने से यह समस्या आई है। मीटर रीडिंग लेकर उपभोक्ताओं को बिजली बिल पहुंचाने का काम शुरू कर दिया गया है। 30 सितंबर से पहले समस्या का समाधान कर दिया जाएगा।
घोड़ी बछेड़ा गांव में किसान आंदोलन में मारे गए कृष्ण कुमार की विधवा ने डीएम से शिकायत कर आरोप लगाया कि शासन की ओर से मिला 21 लाख रुपये का मुआवजा उसके ससुराल वालों ने हड़प लिया है। डीएम ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
तहसील दिवस के दौरान खैरपुर गुर्जर गांव के किसानों ने मंगलवार को जिलाधिकारी से शिकायत करते हुए कहा कि प्राधिकरण ने गांव के मूल किसानों की आबादियों का अधिग्रहण कर लिया है। वहीं बाहरी लोगों की कई-कई बीघा जमीन आबादी के नाम पर छोड़ दी गई हैं। जिलाधिकारी ने मामले की जांच के आदेश एडीएम प्रशासन ओपी आर्या को सौंपते हुए निर्देश दिए कि बाहरी लोगों के खसरा नंबरों का पता लगाकर उनका अधिग्रहण किया जाए। खैरपुर गांव के लोगों ने कहा कि प्राधिकरण ने उनके साथ सौतेला व्यवहार किया है। पंद्रह दिन पहले जिन लोगों ने जमीन खरीदकर मकान बनाया था, उसको अधिग्रहण से मुक्त कर दिया गया है। वहीं गांव के मूल किसानों की ऐसी आबादी को अधिग्रहीत कर लिया गया है, जो ग्रेटर नोएडा के गठन से पहले की बनी हुई है।
घोड़ी बछेड़ा गांव में किसान आंदोलन के दौरान मारे गए कृष्ण कुमार की विधवा बबीता ने आरोप लगाया कि प्राधिकरण व शासन द्वारा उपलब्ध कराई कई 21 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का चेक उसके ससुराल वालों ने जबरन छीन लिया है। परिवार के लोग बैंक से पैसे निकालकर उसकी बर्बादी कर रहे हैं। इस पर जिलाधिकारी ने सिंडीकेट बैंक के मैनेजर को आदेश देते हुए आगे से भुगतान करने पर रोक लगा दी। साथ ही एसडीएम संजय चौहान को आदेश दिए कि अब तक निकाली गई धनराशि को वापस विधवा के खाते में जमा कराया जाए। जारचा गांव के किसानों ने शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि किसानों के खेतों में लगी दर्जनों ट्यूबवेलों से बदमाशों ने बिजली की मोटर चोरी कर ली है। शिकायत दर्ज कराने के बावजूद पुलिस ने बदमाशों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। इससे किसानों को परेशानी उठानी पड़ रही है। मोटर चोरी हो जाने से किसान फसलों की सिचाई नहीं कर पा रहे हैं। जिलाधिकारी ने पुलिस को इस तरह की घटनाओं को रोकने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आगे से शिकायत मिली तो दोषी पुलिस वालों पर कार्रवाई होगी। इस मौके पर एसएसपी आरके चतुर्वेदी, सीडीओ कंचन वर्मा, एडीएम वित्त एवं राजस्व शिवाकांत द्विवेदी, एसडीएम सदर शैलेंद्र कुमार भी मौजूद रहे।
इटली की बहुराष्ट्रीय कंपनी ग्रेजियानो ट्रांसमिशनी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में सीईओ की पीटकर हत्या और तोड़फोड़ करने के मामले में पुलिस ने सोमवार को देर रात 137 कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें से 63 कर्मचारियों को मंगलवार को नोएडा फेस दो स्थित सीजेएम कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने उन्हें 14 दिन तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया, जबकि 74 कर्मचारियों को एसडीएम दादरी कोर्ट में पेश किया। कर्मचारियों की तरफ से जमानत की अर्जी पेश न किए जाने पर उन्हें जेल भेज दिया गया। सीईओ की हत्या से कंपनी में दूसरे दिन भी सन्नाटा पसरा रहा। घटना के बाद दहशत में आए कर्मचारी काम छोड़कर चले गए हैं। कंपनी को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है।बुधवार को कंपनी के ग्रुप सीईओ लेमबर्टो इटली से ग्रेटर नोएडा पहुंचकर मौके का जायजा लेंगे और कंपनी को आगे चलाने अथवा बंद करने के बारे में घोषणा करेंगे। वह मंगलवार को इटली से भारत के लिए रवाना हो चुके हैं। उधर, सीईओ ललित किशोर चौधरी के शव पोस्टमार्टम के बाद सुबह परिजन को सौंप दिया गया। दोपहर बाद दिल्ली के निगमबोध घाट पर परिजन व मित्रों ने उनको अंतिम विदाई दी।
उल्लेखनीय है कि उद्योग केंद्र के प्लाट संख्या 14 में स्थित ग्रेजियानो ट्रासमिशनी इंडिया प्रा. लि. से निकाले गए कर्मचारियों ने सोमवार को कंपनी के अंदर जमकर तोड़फोड़ की थी। इस दौरान मजदूरों ने कंपनी के सीईओ एवं एमडी ललित किशोर की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। हमले में कंपनी के करीब तीन दर्जन कर्मचारी व अधिकारी भी घायल हो गए थे।
कंपनी के कारखाना प्रबंधक एलके गुप्ता की शिकायत पर थाना बिसरख में 19 नामजद व सौ से ज्यादा अज्ञात मजदूरों के खिलाफ केस दर्ज किया था। पुलिस ने 63 मजदूरों के खिलाफ हत्या, तोड़फोड़ बलवा व 74 के खिलाफ शांति भंग करने का मामला दर्ज किया था। कंपनी में हिंसा के बाद डरे व सहमे अन्य कर्मचारी काम छोड़कर चले गए हैं। मंगलवार को कंपनी के अंदर सन्नाटा पसरा रहा। उत्पादन कार्य पूरी तरह से ठप हो गया है। सुरक्षा के लिहाज से कंपनी के अंदर सिर्फ गार्ड तैनात थे। कंपनी के बाहर पुलिस व पीएसी तैनात कर दी गई। इटली की ओरलिकॉन ग्रुप ने ग्रेटर नोएडा में ग्रेजियानो ट्रासमिशनी इंडिया प्रा. लि़ के नाम से अपनी यूनिट लगा रखी है। इस यूनिट के सीईओ ललित किशोर चौधरी थे। सोमवार को कंपनी की तरफ से इटली में ओरलिकॉन ग्रुप के सीईओ लेमबर्टो को घटना की सूचना दी गई थी। सूत्रों का कहना है कि इस घटना के बाद कंपनी यहां से अपनी यूनिट किसी दूसरे शहर में शिफ्ट कर सकती है। इटली की भारत में यह पहली कंपनी है।
Wednesday, September 17, 2008
अभावग्रस्त बच्चियों को दिया दुलार
कुदरत ने भले ही उनकी गोद नहीं भरी परंतु उनके मन में हिलोरे खाता ममत्व का दरिया वह नहीं सुखा पाया। जिसका प्रवाह सहज ही स्नेह और दुलार की लहरों को समेटे होता है। समाज की मुख्य धारा से अलग-थलग रतलाम के 'किन्नर समाज' ने वह काम कर दिखाया जो हम सभी के लिए एक आदर्श बन गया है तथा समाज को एक नई दिशा दे रहा है। इतना ही नहीं यह समाज के अभावग्रस्त परिवारों के लिए आशा की किरण बन उम्मीदों का नया सवेरा ला रहा है। हम आज जिक्र कर रहे हैं रतलाम की किन्नर पूनम जान का, जिसने आज एक अभावग्रस्त परिवार की लड़की के लालन-पोषण की जिम्मेदारी केवल इसलिए उठाई है क्योंकि उसके अभिभावक इस स्थिति में नहीं हैं कि वे अपने तीन (दो लड़कियाँ, एक लड़का) बच्चों के साथ इस नन्ही बच्ची की परवरिश भी अच्छे से कर सकें। पूनम ने इस नन्ही बच्ची को अपना 'स्नेह' और उसके गरीब माता-पिता को एक संबल दिया। पूनम आज इस तंगहाली के शिकार परिवार के लिए निराशा के अंधकार में उम्मीदों की रोशनी बनकर उभरी है।
ढाई वर्ष की 'रोशनी' के जीवन में आज वे खुशियाँ पूनम की बदौलत किलकारियाँ भर रही हैं, जो उसके हमउम्र अभावग्रस्त परिवारों के बच्चों के नसीब में नहीं हैं। पूनम और उसके साथी उसी हसरत से रोशनी की परवरिश कर रहे हैं, जैसे एक 'माँ' करती है। रोशनी भी इन सभी के बीच कुछ इस तरह घुल-मिल गई है जैसे यहीं उसका घर-आँगन और परिवार हो।रोशनी की ही तरह पूनम ने कुछ वर्ष पूर्व एक और नन्हीं बच्ची 'सोनू' को भी गोद लिया था। जो आज लगभग सात वर्ष की हो गई है। सोनू अभी अपनी नानी के घर रह रही है तथा उसकी परवरिश का सारा खर्च पूनम ही उठा रही है। पूनम के अनुसार 'सोनू उस वक्त मात्र दो दिन की थी। जब हमने इसे अपनाया था। उस वक्त सोनू के माँ-बाप उसे अपनाने को तैयार नहीं थे क्योंकि सोनू उनकी चौथी संतान थी जो लड़की थी। अत: मैं और मेरे साथी उसे अस्पताल से ही अपने साथ ले आए थे।' समय के साथ शनै:-शनै: इस रिश्ते की डोर प्रगाढ़ होती जा रही है। पूनम का सपना है कि वह 'रोशनी' और 'सोनू' को अच्छी शिक्षा देकर अपनी उन आशाओं को पूरा करे, जो आम अभिभावक अपने बच्चों के बेहतर भविष्य को लेकर करते हैं।
पूनम के अनुसार- 'ये बच्चियाँ हमारे परिवार के सदस्यों जैसी है।'पूनम से यह पूछा जाने पर कि 'आप लोग जिस अभिशप्त अवस्था में जी रहे हैं तथा अपना जीवन-निर्वाह कर रहे हैं, क्या उसका साया इस अबोध बच्ची 'रोशनी' के जीवन पर नहीं पड़ेगा? क्या आप लोग रोशनी से वही काम करवाएँगे जो आज आप कर रहे है...?' इन विचलित कर देने वाले सवालों पर पूनम आत्मविश्वास से भरा यही प्रत्युत्तर देती है कि 'लोगों का काम तो बोलना है मगर कल जमाना देखेगा कि पूनम की रोशनी ने समाज को क्या नई रोशनी फैलाई हैं...' बहरहाल किन्नर समाज की एक अभावग्रस्त परिवार की बच्ची के प्रति सहृदयता अभिनंदनीय है। पूनम ने इस लाडली लक्ष्मी को एक नया जीवन दिया है। जिसके परिवार पर मँडराते अभावग्रस्तता के बादलों ने उसका भविष्य अंधकारमय कर दिया था। आज हमारे समाज में 'रोशनी' व 'सोनू' अकेली लड़कियाँ नहीं है। इन्हीं की तरह ऐसी अनेक रोशनी व सोनू हैं जिन्हें आज पूनम की तरह किसी आसरे की तलाश है। उन्हें भी अपने जीवन में नए सवेरे का इंतजार है। लाख टके का सवाल यह है कि पूनम की 'प्रेरणा' समाज को कितना 'अभिप्रेरित' कर पाती है...? इस विषय पर गंभीरतापूर्ण चिंतन की जरूरत है। एक ऐसा चिंतन जो समाज में एक नई शुरुआत को जन्म दे।
हिन्दी में आत्महत्या
यह हिन्दी दिवस की ही घटना है। 14 सितंबर के दिन हिन्दी दिवस मनाया जाता है। यह हिन्दी का अँगरेजी के आमने-सामने हो जाने का दिन है। यह सिर्फ भाषा का मसला नहीं है। हैसियत का मसला भी है। भाषा और हैसियत में गहरा संबंध है। जरूर वह छात्र हिन्दी भाषी रहा होगा। प्रबंधन के पाठ्यक्रम अँगरेजी हार की दरकार रखते हैं। उनमें आर्ट अँगरेजी 'उच्चकोटि की साहित्यिक व्यंजनाओं अलंकारों वाली नहीं होती, सामान्य से वाक्य एक अलग विद्या के बारे में बताते हैं।
प्रबंधन में एक बड़ा हिस्सा गणित की जरूरत को बताता है। कैट-मैट की प्रवेश परीक्षा में जो कुछ पूछा जाता है, वह गणितीय सोच की तीव्रगति और सही गलत के सुपरफास्ट बारीक विवेक की भी परीक्षा होती है। अँगरेजी भाषा के रूप में वह बहुत कठिन नहीं होती। जो कठिन होता है वह प्रबुद्धता को परखने के क्षेत्र होते हैं। लाखों की नौकरी दिलाने वाले ऐसे पाठ्यक्रम स्पर्धात्मक जगत में आसान तो हो ही नहीं सकते।
हिन्दी क्षेत्र के मध्यवर्गी माता-पिता अपनी संतानों को इस स्पर्धात्मकता में डालते हैं। कच्चे-पक्के अँगरेजी स्कूलों में थोड़ा सिखाकर या इससे भी रहित नौजवान स्पर्धा में या दाखिला-खरीद के जरिए ऐसे संस्थानों में पढ़ने लगते हैं लेकिन यदि कोई संस्थान डिग्री देता है, कागज का टुकड़ा नहीं, तो वह एक स्तर तो रखेगा ही। छात्र पर यही दबाव बन जाता है भाषा माध्यम और विषय को न समझ पाने का।यथार्थ आत्मकुंठित करता रहता है, आत्मा मरती रहती है, कोई कमजोर मन वाला आत्महत्या कर लेता है, इससे दुख होता है।अँगरेजी भाषा के कारण आत्महत्या दरअसल उस कमजोर हैसियत का आत्मदंड है, जो स्पर्धा में पीछे रह जाना नहीं चाहती मगर जिसके पास स्पर्धा के साधन नहीं हैं। भाषाएँ अर्जित की जाती हैं, मातृभाषा भी। एक अर्थ में भाषा मुफ्त में मिली लगती है, मुफ्त होती। मनुष्य को ज्ञान कमाना पड़ता है, जो सहज मिलता लगता है, वह भी मेहनत से आता है। भाषा तो एक विकसित औजार है। अच्छी हिन्दी पढ़ने वाला भी इसे अर्जित करता है। हिन्दी भी सेंतमेंत में नहीं मिलती, जबकि लगता है कि मिलती है। अँगरेजी का माने तो ज्यादा है।बहरहाल रवि की आत्महत्या ने हिन्दी दिवस के दिन जनप्रियों के भाषणों और लेखों के मुकाबले हिन्दी को यह संदेश दिया है कि हिन्दी को, हिन्दीजन को, स्पर्धा में रहना है तो स्पर्धा का अर्जन करना होगा। जब संस्कृत शासकों की भाषा रही, तब संस्कृत में ज्ञान अर्जित करने के बहुत दाम और ताकत लगती थी, अब अँगरेजीके लिए है। हिन्दी के लिए भी दाम लगे, ताकत लगे, उसमें दुनियाभर के ज्ञानलिन की ताकत आए तो ऐसी घटनाएँ रुकेंगी। गलतफहमी दूर करनी होगी कि हिन्दी सेंतमेंत में मिलती है। और उसके भी दाम हैं चाहे अभी कम पैसे हैं, क्वालिटी बनाओगे तो दाम भी बढ़ेंगे। तब शायद हिन्दी में आत्महत्या नहीं होगी।
Monday, September 15, 2008
अमित टंडन ने रिलीज किया एलबम तन्हा
ओबीसी की खाली सीटें सामान्य वर्ग को
न्यायमूर्ति पसायत ने कहा कि यह बहुत स्पष्ट है कि मंशा यह थी कि सीटें खाली न रहें। मंशा बेहतर शिक्षा देने की थी। न्यायमूर्ति भंडारी ने कहा कि दोनों फैसलों में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि ऐसी खाली सीटें सामान्य श्रेणी में जाएँगी। शुरू में ही वेणुगोपाल ने जब कहा कि खाली सीटों के पहलू पर स्पष्टीकरण की जरूरत है तो न्यायमूर्ति पसायत ने कहा कि इसे (सीटों को बेकार करना) अनुमति नहीं दी जा सकती। यह सामान्य श्रेणी में वापस जाएँगी। पसायत ने कहा आरक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए नहीं है कि यदि कोई (ओबीसी) नहीं है तो यह दूसरों को नहीं दी जाएगी। यह बहुत स्पष्ट है। मंशा बेहतर शिक्षा देने की है। कोटा विरोधी याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि 432 सीटें खाली रह गई हैं और मानव संसाधन विकास मंत्रालय यदि शीर्ष अदालत के निर्णय का पालन नहीं करता तो यह अवमानना को न्योता दे रहा है। सोलिसिटर जनरल जीई वाहनवती ने हालाँकि कहा कि वह सीटें खाली हैं या नहीं इस बारे में केंद्र से निर्देश हासिल करने के बाद अदालत के पास वापस आएँगे। पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 29 सितंबर की तारीख तय की है।
Sunday, September 14, 2008
पुलिस को एड्स गर्ल की तलाश
इंदौर पुलिस इन दिनों एक ऐसी रहस्यमय लड़की की तलाश में जुटी है, जो कथित तौर पर एड्स से पीडि़त है और नौजवानों के साथ शारीरिक संबंध स्थापित कर जान बूझकर उन्हें भी इस खतरनाक बीमारी का शिकार बना रही है।एड्स गर्ल के रूप में दिनोंदिन कुख्यात हो रही इस युवती की पहचान के बारे में हालांकि पुलिस के पास पुख्ता जानकारी नहीं है। लेकिन युवती के जाल में फंसे नौजवानों के बताए हुलिए के आधार पर उसका स्केच जारी कर दिया गया है।पुलिस अधीक्षक आर के चौधरी ने कहा कि हमें मीडिया के कुछ लोगों से मालूम पड़ा कि शहर में एक एड्स पीडि़त लड़की रात के वक्त अनजान नौजवानों से लिफ्ट लेती है। फिर उन्हें अपने जाल में फांस लेती है। उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद नौजवान भी एड्स की गिरफ्त में आ जाते हैं। उन्हाेंने कहा कि प्रारंभिक जांच की रोशनी में पुलिस को शक है कि युवती शहर के पंद्रह नौजवानों के साथ शारीरिक संबंध बना चुकी है। बताया जाता है कि इनमें से कम से कम दो नौजवान एड्स के शिकार हो चुके हैं, जिनकी पहचान गुप्त रखी गई है। चौधरी ने कहा कि हम चाहते हैं कि आम जनता खासतौर पर नौजवान इस युवती से सावधान रहें। इसीलिए हमने इसके जाल में फंसे नौजवानों के बताए हुलिए के आधार पर उसका स्केच जारी कर दिया है। हम मामले की बारीकी से जांच कर रहे हैं और जल्द ही उस युवती को ढूंढ निकालेंगे।
अपने आटोग्राफ नीलाम करते थे गांधीजी!
Saturday, September 13, 2008
दिलेरी दिखाई दिल्लीवालों ने
करोल बाग के सबसे भीड़ वाले इलाके गफ्फार मार्केट में शाम के वक्त अचानक एक सीएनजी ऑटो में विस्फोट हुआ। पहले खबर फैली कि तकनीकी गड़बड़ के कारण विस्फोट हुआ। अचानक वहाँ चीख-पुकार मच गई। गफ्फार मार्केट में लोग छुट्टी का दिन होने के कारण खरीदारी करने आए थे।उधर, शनिवार होने के कारण कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में कई लोग परिवार सहित घूमने आए थे। यहाँ एक के बाद दो विस्फोट हो गए। पास के ही हनुमान मंदिर में भी काफी भीड़ थी। जैसे ही लोगों को पुलिस की गाड़ी और एंबुलेंस का सायरन सुनाई दिया तो कुछ देर के लिए किसी के समझ में कुछ नहीं आया। जैसे ही उन्हें बम विस्फोट की सूचना मिली वे सभी मदद के लिए दौड़ पड़े।दूसरी ओर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के लिए जमा भीड़ में भी जब यह खबर पहुँची तो वहाँ से भी लोगों ने मदद की नीयत से ट्रैफिक डायवर्जन में पुलिस का हाथ बँटाया। उधर, कनॉट प्लेस के सर्कल से होकर जाने वाले लोगों ने खुद एंबुलेंस आदि को निकलने के जगह दी। वहाँ ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारी यातायात को नियंत्रित करने में जुटे हुए थे।सेंट्रल पार्क में जमा भीड़ को बम विस्फोट के बाद आराम से बाहर निकाल लिया गया। बम ब्लास्ट की घटना के बाद ही हालांकि अफरातफरी मचने लगी, लेकिन लोगों ने घायलों की मदद के लिए आए पुलिसकर्मियों व स्थानीय निवासियों के साथ मिलकर उन्हें अस्पताल पहुँचाया।
दिल्ली चलती रही अपनी चाल : तमाम चैनलों पर विस्फोट की खबरों के चलने से भले ही सनसनी फैल रही हो, लेकिन दहशत फैलाने के आतंकवादियों के मंसूबों पर दिल्लीवालों ने जरूर पानी फेर दिया। लाल बत्ती पर रुके यातायात के दौरान लोग एक-दूसरे से विस्फोटों के बारे में बताते तो जरूर, लेकिन इसे लोग सामान्य रूप में लेते रहे।
करोल बाग व कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में विस्फोट स्थल से कुछ ही दूरी पर स्थित पार्किंग से लोगों ने आराम से अपने वाहनों को लिया और घर की ओर चल दिए। कनाट प्लेस की ओर आने वाले रास्तों से जब यातायात को मोड़ा जा रहा था तो कहीं कोई भगदड़ जैसी स्थिति नहीं थी। यातायात घुमाव की स्थिति से रोज दो-चार होने वाले दिल्ली के लोगों ने इसे भी सामान्य रूप में लिया। हाँ, यह अलग बात है कि बम विस्फोट का पता लगते ही हर कोई यह बोलता देखा गया कि वह भी अभी-अभी वहाँ था। असल में वे लोग तो भाग्यशाली रहे जो विस्फोट से पहले सेंट्रल पार्क या अन्य स्थानों से चले गए थे, लेकिन कुछ लोगों के यह शाम बहुत मनहूस रही।
दिल्ली धमाकों के बाद देशभर में अलर्ट
दिल्ली धमाकों में भीड़ भाड़ वाले इलाक़ों को निशाना बनाया गया |
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने धमाकों की कड़ी निंदा की है. गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने धमाकों की निंदा करते हुए दोषियों को कड़ी सज़ा देने की बात कही.उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे तत्वों से मजबूती से निपटेगी और सुरक्षा एजेंसियां जल्द इन घटनाओं के तह में जाएगी और दोषियों को सज़ा दी जाएगी.
शनिवार को भीड़ भरे बाजारों में धमाके ये दर्शाते हैं कि हमला करनेवालों की मंशा अधिकतम लोगों को हताहत करने की थी शिवराज पाटिल, गृह मंत्री |
गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने कहा कि शनिवार को भीड़ भरे बाजारों में धमाके ये दर्शाते हैं कि हमला करनेवालों की मंशा अधिकतम लोगों को हताहत करने की थी.उनका कहना था कि राष्ट्र विरोधी तत्व शांति में बाधा पहुँचाने और देश के विभिन्न भागों में लोगों के बीच दहशत फ़ैलाने की कोशिश कर रहे हैं.इधर सिलसिलेवार धमाकों में मरनेवालों के परिवार को दिल्ली सरकार पाँच लाख और घायल हुए लोगों को 50 हजार रुपए का मुआवज़ा देगी.दूसरी ओर केंद्र सरकार ने मृतकों के परिजनों को तीन लाख रुपए का मुआवज़ा देने की घोषणा की है.दिल्ली सरकार ने ऐलान किया है कि घायलों का मुफ़्त इलाज किया जाएगा.
बम धमाकेगौरतलब है कि शनिवार को दिल्ली में एक के बाद एक पाँच सिलसिलेवार बम धमाकों में कम से कम 20 लोग मारे गए थे और 90 से ज़्यादा घायल हुए हैं.
अस्पताल में 69 लोगों को लाया गया जिनमें से आट मृत लाए गए और एक की बाद में मौत हो गई. अब भी 35 लोग गंभीर रूप से घायल हैं जिनमें से 10 की हालत चिंताजनक है डॉक्टर एसके शर्मा, लोहिया अस्पताल |
ये धमाके कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क और बाराखंभा रोड, गफ़्फ़ार मार्केट और ग्रेटर कैलाश-1 में हुए.इसके अलावा तीन स्थानों- सेंट्रल पार्क, रीगल सिनेमा और इंडिया गेट पर बम निष्क्रिय किए गए.दिल्ली में भारतीय समयानुसार लगभग साढ़े छह बजे सबसे पहले करोल बाग- ग़फ़्फ़ार मार्केट इलाक़े में धमाके की ख़बर आई. इसके बाद ग्रेटर कैलाश-1, कनॉट प्लेस के बाराखंभा रोड और सेंट्रल पार्क इलाक़ों में धमाके हुए.दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत ने बीबीसी को बताया, "ग़फ़्फ़ार मार्केट ग्रेटर कैलाश, कनॉट प्लेस की बाराखंभा रोड और सेंट्रल पार्क इलाक़ों में धमाके हुए हैं. इनमें से दो जगह पर सीएनजी गैस सिलिंडर के धमाके हुए."दिल्ली राममनोहर लोहिया अस्पताल के आपात विभाग के प्रमुख डॉक्टर एसके शर्मा ने बताया, " अस्पताल में 69 लोगों को लाया गया जिनमें से आठ मृत लाए गए और एक की बाद में मौत हो गई. अस्पताल लाए गए 35 लोग गंभीर रूप से घायल हैं जिनमें से 10 की हालत चिंताजनक है."ग्रेटर कैलाश-1 में प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उन्हें दो धमाके सुने. पहले धमाके के बाद ही लोगों में अफ़रातफ़री मच गई और बाज़ार में भगदड़ मच गई. कई लोगों के शरीर में वाहनों और दुकानों के टूटे हुए शीशे लगे लेकिन किसी को गंभीर चोट नहीं आई.लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में आठ घायल लोगों को ले जाया गया जिनमें से से दो हालत गंभीर है.इन धमाकों के ठीक पहले कुछ समाचार चैनलों को एक ईमेल मिला.वरिष्ठ पुलिस अधिकारी करनैल सिंह ने बताया, " इंडियन मुजाहिदीन नाम के एक संगठन ने ईमेल के ज़रिए इन हमलों की ज़िम्मेदार ली है लेकिन इसकी जाँच और पुष्टि होनी बाक़ी है."उधर गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने कहा कि इस समय किसी भी संगठन का नाम लेना बहुत मुश्किल है लेकिन हम इन कारनामों को अंजाम देने वाले लोगों को ख़ोज निकालेंगे.अहमदाबाद धमाकों के ठीक पहले भी इसी तरह के ईमेल में इस संगठन ने धमाकों की ज़िम्मेदारी ली थी.
हाल में हुए प्रमुख चरमपंथी हमले इस प्रकार हैं:
- 29 अक्तूबर 2005 - दिल्ली में तीन जग़हों पर हुए बम धमाकों में 62 लोग मारे गए और अनेक लोग घायल हुए.
- 7 मार्च 2006 - उत्तर प्रदेश के वाराणसी में रेलवे स्टेशन और संकटमोचन मंदिर में हुए बम धमाकों में 20 लोग मारे गए और दर्जनों लोग घायल हुए.
- 11 जुलाई 2006 - मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए बम धमाकों में 170 लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हुए.
- 8 सितंबर 2006 - महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के मालेगाँव शहर में एक मस्जिद के पास हुए तीन बम धमाकों में 37 लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए.
- 18 फ़रवरी 2007 - दिल्ली से अटारी जा रही समझौता एक्सप्रेस में हुए दो धमाकों में 66 लोग जलकर मारे गए जिसमें से अधिकतर पाकिस्तानी थे.
- 18 मई 2007 - हैदराबाद की मक्का मस्जिद में नमाज़ के दौरान हुए धमाके में 11 लोग मारे गए और दर्जनों लोग घायल हुए.
- 25 अगस्त 2007 - हैदराबाद में हुए बम विस्फोट में 42 लोग मारे गए और लगभग सौ लोग घायल हुए.
- 11 अक्तूबर 2007 - राजस्थान में अजमेर स्थित ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में हुए धमाके में दो लोग मारे गए और 14 लोग घायल हुए.
- 23 नवंबर 2007 - उत्तर प्रदेश में लखनऊ, फ़ैज़ाबाद और वाराणसी की कचहरियों में हुए बम धमाकों में 13 लोग मारे गए और 75 घायल हुए.
- 1 जनवरी 2008 - उत्तर प्रदेश के रामपुर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के शिविर पर हुए चरमपंथी हमले में सात सुरक्षाकर्मियों समेत आठ लोग मारे गए और छह लोग घायल हुए.
सीरियल धमाकों से थर्रा उठी दिल्ली
Tuesday, September 9, 2008
आरोप पत्र दाखिल नहीं करेगी सीबीआई
बहुचर्चित आरुषि हत्याकांड |
नई दिल्ली,। नोएडा के बहुचर्चित आरुषि हत्याकांड में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई)ने मंगलवार को कहा कि वह इस मामले में आरोप पत्र दाखिल नहीं करेगा और इसके तीनों आरोपियों की जमानत का भी विरोध नहीं करेगा। सीबीआई को इस मामले में पहली गिरफ्तारी के बाद 90 दिन की समयसीमा पूरी होने से पहले 10 सितम्बर तक आरोप पत्र दखिल करना था। सीबीआई ने इस मामले में सबसे पहले 23 मई को आरुषि के पिता डॉक्टर राजेश तलवार को गिरफ्तार किया था।
सीबीआई की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को ही आरुषि एवं उसके नौकर हेमराज की हत्या के आरोपी राजकुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी।
बचाव पक्ष के वकील की दलील थी कि सीबीआई के पास राजकुमार के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। परंतु सीबीआई के वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि जांच अभी जारी है तथा राजकुमार के फरार होने की भी संभावना है।उल्लेखनीय है कि नोएडा के जलवायु विहार में गत 16 मई को आरुषि तलवार की हत्या कर दी गई थी। पहले हत्या का शक घर के नौकर हेमराज पर गया था लेकिन हेमराज का शव भी बरामद होने से मामला पेचीदा हो गया था। इस मामले में सबसे पहले आरुषि के पिता राजेश तलवार की गिरफ्तारी हुई लेकिन बाद में उनको जमानत मिल गई। इसके बाद सीबीआई ने नार्को परीक्षण के आधार पर राजेश के कंपाउंडर कृष्णा, और दो अन्य नौकरों राजकुमार तथा विजय मंडल को गिरफ्तार किया था।विजय मंडल को चार सितम्बर को जमानत मिल गई थी जबकि कृष्णा की जमानत याचिका पर 19 सितंबर को सुनवाई होगी। गाजियाबाद,नोएडा के बहुचर्चित आरुषि हत्याकांड में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने मंगलवार को आरोपी राजकुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी।सीबीआई की विशेष मजिस्ट्रेट सपना मिश्रा द्वारा जमानत याचिका खारिज किए जाने से पहले बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि सीबीआई के पास राजकुमार के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। परंतु सीबीआई के वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि जांच अभी जारी है तथा राजकुमार के फरार होने की भी संभावना है। उल्लेखनीय है कि नोएडा के जलवायु विहार में गत 16 मई को आरुषि तलवार की हत्या कर दी गई थी। पहले हत्या का शक घर के नौकर हेमराज पर गया था लेकिन हेमराज का शव भी बरामद होने से मामला पेचीदा हो गया था।इस मामले में सबसे पहले आरुषि के पिता राजेश तलवार की गिरफ्तारी हुई लेकिन बाद में उनको जमानत मिल गई। इसके बाद सीबीआई ने नारको परीक्षण के आधार पर राजेश के कंपाउंडर कृष्णा, और दो अन्य नौकरों राजकुमार तथा विजय मंडल को गिरफ्तार किया था।
Sunday, September 7, 2008
हथियारबंद संघर्ष में बच्चों का इस्तेमाल
जगदलपुर। अमेरिका स्थित मानवाधिकार संगठन ह्यूंमन राइट्स वाच ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में खुलासा किया है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में सरकार और माओवादी दोनों ही बच्चों का हथियारबंद संघर्ष में इस्तेमाल कर रहे हैं।कुल 58 पृष्ठों की इस रिपोर्ट में केंद्र सरकार का उद्देश्य छत्तीसगढ़ सरकार के अधिकारियों और जनजागरण अभियान सलवा जुडूम के तहत बनाए गए शिविरों में रहने वाले 160 लोगों के बयान हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 29 राज्यों में से आधे राज्यों में माओवादी हिंसा फैल चुकी है। पिछले 20 वर्ष से जारी इस हिंसा में लगभग छह हजार लोग मारे जा चुके हैं। खतरनाक ड्यूटी बच्चे और छत्तीसगढ़ का संघर्ष शीर्षक की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को हथियारबंद संघर्ष में शामिल करने से उनके घायल होने और मारे जाने का खतरा रहता है जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों का खुला उल्लंघन भी है। मानवाधिकार संगठन की ओर से बच्चों की वकालत करने वाले जो बेकर ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि छत्तीसगढ़ में बच्चों को सशस्त्र संघर्ष में झोंक कर सरकार और नक्सलियों द्वारा बच्चों का इस तरह शोषण करना शर्मनाक है। विज्ञप्ति के अनुसार नक्सली अपने दलों में 16 साल से कम उम्र के बच्चों की भर्ती करते हैं। सरकार समर्थित नक्सल विरोधी अभियान सलवा जुडूम में भी बच्चों का उपयोग हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग के समक्ष भी यह स्वीकार किया है कि कम उम्र के बच्चों को एसपीओ के पद पर [विशेष पुलिस अधिकारी] भर्ती किया गया था, क्योंकि उनके पास उम्र का कोई प्रमाणपत्र नहीं था।गौरतलब है कि वर्ष 2005 में दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले में 3500 एसपीओ की भर्ती की गई थी, जिनमें कम उम्र के बच्चों की संख्या अधिक थी। पुलिस ने बाद में यह गलती स्वीकार करते हुए 150 बच्चों को एसपीओ के पद से हटा दिया था। दूसरी ओर केंद्रीय गृह मंत्रालय की इस वर्ष की रिपोर्ट में सलवा जुडूम अभियान में बच्चों को शामिल किए जाने का खंडन किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नक्सलियों ने बच्चों को जबरन अपने दल में शामिल करने की कोशिश की और उनके इनकार करने पर नक्सलियों ने बच्चों के परिजनों को प्रताडि़त किया या उनकी हत्या कर दी।
बाबा राम रहीम पर दुष्कर्म का आरोप तय
दुष्कर्मी-हत्यारे शिक्षक की फांसी पर मुहर
Saturday, September 6, 2008
बाढ़ पीड़ितों के लिए तीन ट्रक बिस्कुट भेजे
नोएडा/ग्रेटर नोएडा सं : उत्तरी बिहार में आई विनाशकारी बाढ़ में फंसे लोगों को राहत पहुंचाने के लिए सूर्या फूड एंड एग्रो लिमिटेड की तरफ से शनिवार को एक ट्रक बिस्कुट भेजे गए। इससे पहले कंपनी का दो ट्रक बिस्कुट बृहस्पतिवार को पटना पहुंच गया, जो राजद सुप्रीमो लालू यादव द्वारा चलाए जा रहे राहत शिविर के तत्वावधान में बाढ़ पीड़ितों के बीच बांटा गया। कंपनी के चेयरमैन बीपी अग्रवाल ने कहा कि अभी दो ट्रक बिस्कुट और भेजे जाने हैं। जिसका खेप एक दो दिनों में तैयार कर ली जाएगी। जिसे पतंजलि योग शिविर द्वारा सहरसा में चलाए जा रहे राहत शिविर में वितरित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा जरूरत पड़ने पर अन्य राहत सामग्री भी भेजी जाएगी। बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए पूर्णिया जिले में नोएडा केमिस्ट एसोसिएशन ने मोर्चा संभाल लिया है। एसोसिएशन अध्यक्ष अनूप खन्ना के नेतृत्व में गई टीम शनिवार को पूरा दिन पूर्णिया जिले के बनमनकी गांव में राहत कार्य में जुटी रही।अनूप खन्ना ने बताया कि लोग बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। घरों के पानी में पूरी तरह से डूब जाने पर लोगों ने सड़कों पर डेरा डाल दिया है। शनिवार को पूरा दिन उन्होंने ऐसे कई क्षेत्रों का सेना की मदद से दौरा किया व राहत सामग्री बांटने के लिए क्षेत्र चिन्हित किए। बनमनकी में राहत सामग्री रखने के लिए गोदाम का प्रबंध पूर्णिया केमिस्ट एसोसिएशन ने कर दिया है। रविवार व सोमवार को टीम बेसहारा हुए लोगों को कपड़े, जीवन रक्षक दवाएं व रोजाना उपयोग की वस्तुएं बांटेगी।
सदमे से नहीं उबर पा रहे आरुषि के मां-बाप
नोएडा। अपनी बेटी आरुषि व नौकर यम प्रसाद की हत्या के आरोप में कारावास झेल चुके डॉ. राजेश तलवार और उनकी पत्नी डॉ. नुपुर तलवार अब भी सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं। उन्हें समाज में अब भी अपमान का घूंट पीना पड़ रहा है। यही कारण है कि डॉ. तलवार दंपती अब भी सार्वजनिक आयोजनों व कार्यक्रम में जाने से परहेज कर रहे हैं। हालांकि दोनों ने नोएडा व दिल्ली स्थित क्लीनिकों में बैठना शुरू कर दिया हो, लेकिन फोर्टिस अस्पताल में उनकी वापसी नहीं हो सकी। हत्याकांड से जुड़ी भयावह यादों को भुलाने का प्रयास कर रहे डॉ.तलवार अब भी अपने घर लौटने की हिम्मत नहीं जुटा सके हैं।अपनी बेटी के कत्ल के इल्जाम में करीब 50 दिन की जेल काटने के बाद जमानत पर रिहा हुए डॉ. राजेश तलवार लगातार अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन यादें उनका पीछा नहीं छोड़ रही हैं। बहरहाल इनसे निपटने के लिए डॉ. राजेश व उनकी पत्नी डॉ. नूपुर ने खुद को काम में व्यस्त कर दिया है। दोनों ने दोबारा क्लीनिक खोल दिया है।नोएडा के सेक्टर-27 स्थित पार्श्वनाथ प्लाजा में डॉ. राजेश तलवार सप्ताह में चार दिन सुबह ढाई घंटे का समय देते हैं। इस क्लीनिक पर डॉ. नूपुर तलवार सप्ताह में एक दिन शाम को दो घंटे के लिए आती हैं। इसके अलावा दिल्ली के हौज खास स्थिति क्लीनिक पर भी डॉ. राजेश तलवार व डॉ.नूपुर नियमित समय देने लगे हैं।अतीत की उन भयावह यादों का भुलाने का प्रयास कर रहे पति-पत्नी अब भी सेक्टर 25 एल 32 स्थित अपने घर में नहीं रहते। वहां पर बेटी की मौत का गम भुलाना उनके लिए आसान नहीं होगा। यह वहीं घर है जहां 16 मई को आरुषि व नौकर यम प्रसाद का कत्ल हुआ। इसके बाद नोएडा पुलिस ने 23 मई को डॉ. राजेश तलवार को कत्ल के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के 50 दिन बाद सीबीआई ने उन्हें लगभग क्लीन चिट दे दी थी। सीबीआई के पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं थे, जिसे देखते हुए कोर्ट ने 11 जुलाई को डॉ.राजेश तलवार को जमानत मिल गई। उसके बाद से ही डॉ. राजेश तलवार अपनी पत्नी डॉ. नूपुर के साथ सेक्टर 25 में ही उसके मायके में रह रहे हैं।डॉ. तलवार दंपती के करीबी बताते हैं कि अब वह किसी से बहुत ज्यादा मिलना पसंद नहीं करते। ऐसा करते हुए वह कुछ हिचकते हैं क्योंकि अक्सर लोग पुरानी बातें करने लगते हैं, जिसके लिए वह बिल्कुल तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि कुछ खास दोस्तों रिश्तेदारों को छोड़ उन्होंने किसी और के यहां आना-जाना भी छोड़ दिया है।
पीएलए में कैद करोड़ों की राशि पर सरकारी ताला
मुरादाबाद : सभी विभागों के पर्सनल लेजर एकाउंट (पीएलए) में पड़ी करोड़ों रुपए की धनराशि शासन ने फ्रीज कर दी है। राज्य सरकार के वित्त विभाग की विशेष अनुमति पर ही 15 सितंबर तक ये धनराशि खर्च हो सकेगी। पीएलए में मौजूद केंद्र सरकार की धनराशि के अंश पर यह रोक प्रभावी नहीं है। तमाम विभागों के पीएलए में कैद करोड़ो की राशि पर सरकारी ताले से विभागों में हड़कंप है।लेटलतीफ सरकारी विभाग वित्त वर्ष के अंत में धनराशि लैप्स होने से बचाने के लिए पीएलए में डाल देते हैं। इससे शासन की योजनाएं विलंबित होती हैं। सरकार ने अब सरकारी राशि को काम में लगाने की बजाय पीएलए में कैद करने के चोर रास्ते को बंद कर विकास कार्यो में तेजी लाने की कोशिश की है। सरकारी विभागों को अब वित्तीय वर्ष के लिए मिला धन उसी साल खर्च करना होगा। ऐसा न करने पर अब धनराशि लैप्स हो जाएगी। प्रमुख सचिव वित्त अनूप मिश्रा द्वारा शासनादेश जारी करके 31 मार्च 07 को पीएलए में पड़ी राज्य सरकार की समूची धनराशि फ्रीज करा दी गई है। इस धनराशि के निकालने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए कहा गया है कि 15 सितंबर तक पीएलए में पड़ी धनराशि की मानीटरिंग की जाएगी। इस दौरान पीएलए में पड़ी धनराशि वित्त विभाग के आदेश पर ही निकाली जा सकेगी। संबंधित विभाग को इसके लिए अपने प्रशासनिक विभाग का सहारा लेना होगा।शासनादेश में यह भी साफ हिदायत है कि अब वित्त वर्ष की समाप्ति पर राज्य सरकार की धनराशि पीएलए में नहीं डाली जाएगी, न ही कोई पैसा बैंक में दिया जाएगा। अग्रिम आहरण के लिए भी नया नियम बनाया गया है। अब दो महीने के खर्चे के बराबर ही पैसा निकाला जा सकेगा। एकमुश्त एलाटमेंट भी कोई विभाग नहीं करेगा। एलाटमेंट चरणों में किया जाएगा। 12 वें वित्त आयोग से मुक्त होने वाले पैसे को इस धनराशि से मुक्त रखा गया है। खास बात यह है कि केंद्रांश के तहत मिलने वाली धनराशि को भी इस आदेश से मुक्त रखा गया है।इस शासनादेश के बाद तमाम विभागों में हड़कंप मचा है। सूत्रों के मुताबिक जिले के सरकारी विभागों का करीब पांच करोड़ रुपया पीएलए में है।
Friday, September 5, 2008
अब एटीएम से करें बीएसएनएल को भुगतान
नई दिल्ली। बीएसएनएल टेलीफोन का इस्तेमाल करने वाले लोग अब अपने बिलों का भुगतान पंजाब नेशनल बैंक के एटीएम से कर सकते हैं।बीएसएनएल के पोस्ट-पेड मोबाइल ग्राहक अपने बिल का भुगतान देशभर में पीएनबी के किसी भी एटीएम से कर सकते हैं। जहां तक लैंड लाइन ग्राहकों का सवाल है वर्तमान में उक्त सुविधा 19 प्रमुख शहरों में उपलब्ध है।बीएसएनएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक कुलदीप गोयल ने सेवा की शुरुआत करते हुए कहा कि हम जल्द ही लैंडलाइन ग्राहकों के लिए उक्त सेवा पूरे देश में उपलब्ध कराएंगे। बीएसएनएल को एटीएम के जरिए बिल के भुगतान का विचार उस वक्त आया जब कुछ दिनों पहले पीएनबी कंपनी के मुख्यालय में एक एमटीएम मशीन स्थापित कर रहा था। वर्तमान में बीएसएनएल के ग्राहकों के पास बिल के भुगतान के विभिन्न विकल्प मौजूद हैं चाहे वह डाकघर बैंक या इंटरनेट हों या फिर इट्ज कार्ड या क्रेडिट एवं डेबिट कार्ड हो।पीएनबी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के.सी. चक्रवर्ती ने कहा कि यह पीएनबी और बीएसएनएल दोनों के लिए ही एक मील का पत्थर है जिन्होंने महज पंद्रह दिनों के अंदर अवधारणा को मूर्त रूप प्रदान किया। बीएसएनएल के लिए उक्त सेवा नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। उल्लेखनीय है कि बीएसएनएल से हर महीने करीब 35 करोड़ टेलीफोन बिल निकलते हैं और कंपनी को उम्मीद है कि नई सेवा से ग्राहकों को बिल के भुगतान में सहूलियत होगी।
अभी साथ काम नहीं करेंगे
मुंबई.फिल्म ‘बचना-ए-हसीनो’ की सफलता के बाद कई बड़े निर्माताओं ने रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण को अपनी फिल्मों में काम करने की पेशकश की है, लेकिन दोनों ने फिलहाल एकसाथ काम करने से इनकार कर दिया है।इनका कहना है कि वे एक-दूसरे के साथ रहकर बेहद खुश हैं और अपने रिश्ते के बारे में लोगों को बताने के लिए उन्हें एकसाथ काम करने की जरूरत नहीं है। एक इंटरव्यू में दीपिका ने बताया, ‘हम दोनों ने अपने रिश्ते के बारे में पहले ही किसी से कुछ न छिपाने का फैसला किया था। इसलिए अब हमें कुछ भी साबित करने की जरूरत नहीं है। इसलिए हम अभी साथ फिल्में नहीं कर रहे हैं।’ इन दोनों को हाल ही में डेविड धवन, राजकुमार संतोषी और अनीस बज्मी ने अपनी फिल्मों में काम करने की पेशकश की थी।
शाहिद-करीना की फ्लॉप जोड़ी से लिया सबक:सूत्रों की मानें तो इन दोनों ने शाहिद-करीना के ब्रेकअप से पहले रिलीज हुई फिल्मों से सबक लेते हुए साथ काम न करने का फैसला किया है। मालूम हो कि शाहिद-करीना के ब्रेकअप से पहले रिलीज हुई फिल्मों ‘36 चाइना टाउन’, ‘फिदा’ और ‘चुप चुप के’ ने बॉक्स ऑफिस पर पानी भी नहीं मांगा था लेकिन ब्रेकअप के बाद ‘जब वी मैट’ को अपार सफलता मिली थी।रणबीर-दीपिका को भी यही डर है कि अगर उनकी फिल्मों को दर्शकों ने पसंद नहीं किया तो क्या होगा। जहां तक ‘बचना-ए-हसीनो’ की सफलता की बात है, तो इसकी सफलता सिर्फ इन दोनों पर निर्भर नहीं है। इसके लिए बिपाशा बसु और मिनिषा लांबा भी जिम्मेदार हैं।
दो साल तक दोनों के साथ दिखने की उम्मीद नहीं:अभी तो रणबीर राजकुमार संतोषी की फिल्म ‘अजब प्रेम की गजब कहानी’ और दीपिका निखिल अडवानी की ‘चांदनी चौक टू चाइना’ की शूटिंग में व्यस्त हैं। जहां रणबीर अपनी अगली फिल्मों में कैटरीना कैफ और कोंकणा सेन शर्मा के साथ नजर आएंगे, वहीं दीपिका अक्षय कुमार के साथ दिखेंगी। हालांकि रणबीर के दोस्त विक्की सिंह की उन्हें दीपिका के साथ लेकर फिल्म बनाने की योजना है लेकिन इसके अभी दो साल तक बनने की कोई उम्मीद नहीं है।
गाली गलौज और पत्थरबाजी करके मनाते हैं नागपंचमी
Wednesday, September 3, 2008
उच्चतम न्यायालय का दागी पुलिसकर्मियों की बहाली से इंकार
न्यायमूर्ति अरिजित पसायत की अध्यक्षता वाली पीठ ने तीन सिपाहियों को निलंबित करने के बिहार पुलिस विभाग के फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए यह व्यवस्था दी!इन तीनों को अक्तूबर 1991 में पटना उच्च न्यायालय के निकट से उस समय पकडा गया था जब ये लूट के माल के साथ फरार होने की कोशिश कर रहे थे! इन तीनों के खिलाफ लूटपाट का मामला दर्ज किया गया! लेकिन प्रमाण के अभाव में निचली अदालत ने इन्हें बरी कर दिया! इस आधार पर इन्होंने उन्हें निलंबित करने के फैसले को चुनौती दी!उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा नियमों में कहीं यह नहीं लिखा है कि आपराधिक मामला दर्ज होने के बाद किसी तरह की विभागीय कार्यवाही नहीं होगी ! विभागीय कार्यवाही और मुकदमे की सुनवाई दोनों अलग अलग चीज हैं और बरी किया जाना विभागीय कार्यवाही के आधार पर की गई कार्रवाई को निरस्त करने का आधार नहीं है!
पुलिस आधुनिकीकरण आयोग पर अब भी है संदेह
जोगेन्द्र सोलंकी
नई दिल्ली, देश के 28 राज्यों के अलावा केन्द्र शासित सात राज्यों के पुलिस प्रमुखों ने पुलिस आधुनिकीकरण के लिए गृह मंत्रालय को आठ सौ सुझाव भेजे हैं। सूत्रों का कहना है कि इसमें करीब पचास प्रतिशत सुझाव का प्रारूप काफी मिलता-जुलता है। इसके अलावा जमीनी स्तर पर इन सुझावों का आकलन करने के लिए नेशनल पुलिस कमीशन की कार्यकारी सीमिति ने गृह सचिव की अध्यक्षता में छह बिन्दुओं को माइक्रो मिशन के तहत समाहित किया गया है। मगर इन सुझावों को केन्द्रीय गृह मंत्रालय अमली जामा पहना पाएगा इस पर पुलिस अधिकारियों के एक बड़े तबके को संदेह है।
सूत्रों का कहना है कि पुलिस आयोग स्थानीय निकाय व प्रशासन को सशक्त कर रहा है। मिशन ने समाज के कमजोर तबकों के हित के लिए एक रोड मेप बनाया है। मिशन ने देश और देश के बाहर आतंकवाद, संगठित अपराध के मुकाबले के लिए संसाधनों के उपयोग के लिए एक विस्तृत दृष्टिकोण अपनाया है। मिशन में विज्ञान, उद्योग, मीडिया और अकादमी क्षेत्र के लोग प्रशासिनक एवं नीति निर्धारक विशेषज्ञों की राज्य व केन्द्र में उपस्थिति मिशन को पूरी मजबूती से सामने लाएगा। इसके अलावा पुलिस को प्रशिक्षित करने के लिए कुछ नए प्रशिक्षण स्कूल खोले जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि पुलिस आधुनिकीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बड़ी संख्या में माइक्रो मिशन बनाने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन एक नीति बनाने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों से आने वाले तमाम माइक्रो मिशन को एकीकृत करके एक छत के नीचे लाना होगा। उधर, कई आला अधिकारी पुलिस आधुनिकीकरण के लिए बनाए आयोग की कार्यशैली से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि राज्य पुलिस से प्राप्त सुझावों की परख जमीनी स्तर पर नहीं होती है। यही वजह होती है कि पुलिस आधुनिकीकरण के दिए गए सभी सुझाव केवल दावे बनकर रह जाते हैं। नार्थ ब्लाक के आलीशान कमरों में लिए गए फैसलों के बाद मिलने वाला करोड़ों रुपए का बजट ठीक तरीके से खर्च नहीं हो पाता है। पूर्व आईपीएस अधिकारी रामलिंगम का कहना है कि उनके समय भी केन्द्रीय गृह मंत्रालय को कई तरह के सुझाव दिए गए थे, लेकिन उन पर आज तक अमल नहीं हो सका है। जबकि उन्हें पुलिस सेवा को छोड़े एक दशक से ज्यादा हो चुका है।
दूसरी ओर, बिहार पुलिस से रिटायर अधिकारी अरिहंत प्रसाद बताते हैं कि प्रधानमंत्री की पहल पर संघीय जांच एजेंसी के गठन की मांग उठी थी, लेकिन वह भी मात्र मांग बनकर रह गई है। एक भी राज्य सरकार इस एजेंसी के गठन को लेकर गंभीर नहीं हुई। राज्यों को लगता है इसके बनने से उनकी पुलिस पर केन्द्र सरकार की लगाम कस जाएगी।
बार गर्ल्स संग धड़े गए 22 कस्टम अफसर
पुणे। बार बालाओं के साथ मस्ती करने गए कस्टम और एक्साइज विभाग के करीब दो दर्जन अधिकारी मंगलवार को पुलिस की गिरफ्त में आ गए। पुलिस ने 11 बार बालाओं सहित कुल 40 लोगों को गिरफ्तार किया।ये गिरफ्तारियां महाराष्ट्र के मशहूर हिल स्टेशन खंडाला के एक रिजार्ट से हुई। इस रिजार्ट पर रेव पार्टी चल रही थी। इसी बीच पुलिस ने छापा मार दिया। कस्टम व सेंट्रल एक्साइज विभाग के जिन 22 अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया, उनमें सात अधीक्षक स्तर के हैं। ये सभी पार्टी में भाग लेने के लिए मुंबई से खंडाला आए थे। पार्टी के तीन आयोजकों और सभी लोगों को मुंबई से गाड़ी चला कर लाने वाले ड्राइवरों को भी गिरफ्तार किया गया है।पुणे के पुलिस अधीक्षक [ग्रामीण] रविंद्र कदम ने बताया कि हमें सूचना मिली कि खंडाला के एक रिजार्ट में रेव पार्टी चल रही है। जब पुलिस ने छापा मारा तो वहां कानफोड़ू आवाज में गाने बज रहे थे और जाम से जाम टकराए जा रहे थे। कई लोग तो आपत्तिजनक स्थिति में थे। मौके से ब्लू फिल्मों की सीडी और भारी मात्रा में शराब भी बरामद की गई।
क्या होती है रेव पार्टी:सामान्य अर्थो में रेव पार्टी का मतलब होता है डांस पार्टी। पूरी रात चलने वाली इन पार्टियों में तेज इलेक्ट्रानिक म्यूजिक, डीजे और लेजर लाइट शो का बोलबाला होता है। धीरे-धीरे इन पार्टियों में ड्रग्स और अश्लील हरकतें भी शामिल हो गई। अब तो रेव पार्टी का पर्याय ही शराब, मादक पदार्थ और अश्लीलता है।
बाइकर्स गैंग के दो लूटेरे गिरफ्तार
नोएडा। उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्ध नगर जिले के नोएडा में पुलिस ने सोमवार को तड़के बाइकर्स गैंग के दो कुख्यात अंतरराज्जीय गैंग के लुटेरों को गिरफ्तार किया।नगर पुलिस अधीक्षक अशोक त्रिपाठी ने बताया कि सुबह 6 बजे गश्त पर निकले थाना सेक्टर 58 के थानाध्यक्ष रामसेन सिंह ने मामूरा गांव के पास से मोटर साइकिल पर सवार दिनेश कुमार उर्फ डीके उर्फ मनोज मलिक निवासी स्याना बुलंदशहर व अनिल उर्फ टीटी निवासी विजय नगर गाजियाबाद को गिरफ्तार किया। उन्होंने बताया कि पकडे़ गए बदमाशों को जब पुलिस ने तलाशी ली तो इनके पास से 315 बोर के दो देशी तमंचे 6 कारतूस मिले। उन्होंने बताया कि बदमाशों की निशानदेही पर पुलिस ने गत 21 जुलाई को सेक्टर 67 के पास से बैंक कर्मी मोनिका से लूटी गई सोने की चार चूडियां, हीरे की अंगूठी समेत भारी मात्रा में जेवरात इनके पास से बरामद की है।त्रिपाठी ने बताया कि पकड़े गए बदमाशों ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि आटो में सवार होकर जाने वाली महिलाओं का पीछा कर ये लोग सुनसान जगह पर आटो को ओवर टेक करके तमंचा के बल पर गहने रुपये व कीमती सामान लूट लेते थे। इसके अलाव ये लोग राह चलते लोगों से भी हथियार के बल पर लूटपाट करते थे। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में उन्होंने हाल में दो दर्जन से ज्यादा लूट की वारदात को अंजाम देना स्वीकार किया है। उन्होंने बताया कि इन लोगों ने दिल्ली, गुडगांव, नोएडा व गाजियाबाद में कई सनसनीखेज वारदातों को अंजाम देना स्वीकार किया है।
270 करोड़ की हेरोइन समेत तीन गिरफ्तार
अमृतसर [वरिष्ठ संवाददाता]। बुधवार को डीआरआई टीम ने पंजाब में अब तक की सबसे अधिक मात्रा 54 किलोग्राम हेरोइन के साथ तीन अंतरराष्ट्रीय तस्करों को गिरफ्तार किया है। पकड़ी गई हेरोइन की कीमत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करीब 2 अरब 70 करोड़ है।जानकारी के अनुसार डीआरआई ने पुख्ता सूचना पर अमृतसर के भगतांवाला के पास से यह खेप बरामद की है। डीआरआई ने तीन अंतरराष्ट्रीय तस्करों को भी गिरफ्तार किया है जिनमें माना मलिया [खेमकरण] के जसबीर सिंह, वां तारा सिंह [नजदीक खेमकरण] महिंदर सिंह व काबुल सिंह हैं। तीनों से पूछताछ चल रही है। डीआरआई का यह आपरेशन काफी सटीक था। पहले से ही पुख्ता सूचना के आधार पर डीआरआई ने अपना जाल फैला रखा था। योजना के तहत विभाग ने तीनों तस्करों को 54 किलोग्राम हेरोइन के साथ गिरफ्तार करने में सफलता पाई।खास बात यह है कि अब तक पंजाब में पकड़ी गई यह सबसे बड़ी हेरोइन की खेप है। इसके पहले डीआरआई ने ही 2006 में 40 किलोग्राम हेरोइन पकड़ी थी। यह हेरोइन की खेप एक ट्रक में छुपा कर दिल्ली के तरफ ले जाई जा रही थी। जिसे डीआरआई ने लुधियाना व फगवाड़ा के बीच पकड़ी थी। ट्रक राजस्थान का था जबकि ट्रक ड्राइवर खेमकरण के समीप गांव का रहने वाला था। 2006 में ही डीआरआई ने कोरियर में विदेश जाने वाले सामान में हेरोइन की खेप पकड़ी थी, दो कोरियर वालों के साथ सांठ-गांठ करने वालों की इस मामले में गिरफ्तारी भी हुई थी।इसी तरह डीआरआई ने 2007 में जालंधर के एक नेता को करीब 22 किलोग्राम हेरोइन के साथ उस समय गिरफ्तार किया था जब वह अपनी कार में हेरोइन की खेप बड़े ही शातिराना ढंग से कपड़ों की पैकिंग में छिपाकर अंतरराष्ट्रीय राजासांसी हवाई अड्डे पर किसी महिला को डिलिवरी देने ले जा रहा था। यह हेरोइन की खेप कनाडा जानी थी।इस बारे में डीआरआई के ज्वाइंट कमिश्नर धीरज रस्तोगी से रात करीब नौ बजे बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले में अभी तक जांच चल रही है। 54 किलोग्राम हेरोइन पकड़ी गई है, बाकी जानकारी बाद में दी जाएगी, इन्वेस्टीगेशन चल रही है।
सिमी पर श्वेत पत्र जारी करे केंद्र
सिमी के चार लोग गिरफ्तार
Tuesday, September 2, 2008
बैंकाक में आपातकाल, कमान सेना के हाथ
मच्छर प्रजनन पाए जाने पर चालान
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