सीरियल बम ब्लास्ट से थर्राई दिल्ली में लोगों ने जमकर दिलेरी दिखाई। बम विस्फोट होते ही कनॉट प्लेस में युवा दुकानदारों ने स्थिति संभालने में पुलिस का साथ दिया। घायलों को एंबुलेंस तक पहुँचाने के लिए लोगों ने सरकारी कर्मियों की मदद की।हालाँकि भीड़ के कारण एंबुलेंस व पुलिस वाहनों को निकलने में दिक्कत हो रही थी, लेकिन काफी लोगों ने इन वाहनों के लिए खुद जगह बनाई। कुछ देर बाद ही कनॉट प्लेस पहुंचने वाले यातायात को दूसरी तरफ घुमा दिया गया। इन सबके बीच कवरेज के लिए दौड़ रही कुछ इलेक्ट्रॉनिक चैनलों की ओवी वैन के कारण जरूर कई बार मुश्किलें पैदा हुईं।
करोल बाग के सबसे भीड़ वाले इलाके गफ्फार मार्केट में शाम के वक्त अचानक एक सीएनजी ऑटो में विस्फोट हुआ। पहले खबर फैली कि तकनीकी गड़बड़ के कारण विस्फोट हुआ। अचानक वहाँ चीख-पुकार मच गई। गफ्फार मार्केट में लोग छुट्टी का दिन होने के कारण खरीदारी करने आए थे।उधर, शनिवार होने के कारण कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में कई लोग परिवार सहित घूमने आए थे। यहाँ एक के बाद दो विस्फोट हो गए। पास के ही हनुमान मंदिर में भी काफी भीड़ थी। जैसे ही लोगों को पुलिस की गाड़ी और एंबुलेंस का सायरन सुनाई दिया तो कुछ देर के लिए किसी के समझ में कुछ नहीं आया। जैसे ही उन्हें बम विस्फोट की सूचना मिली वे सभी मदद के लिए दौड़ पड़े।दूसरी ओर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के लिए जमा भीड़ में भी जब यह खबर पहुँची तो वहाँ से भी लोगों ने मदद की नीयत से ट्रैफिक डायवर्जन में पुलिस का हाथ बँटाया। उधर, कनॉट प्लेस के सर्कल से होकर जाने वाले लोगों ने खुद एंबुलेंस आदि को निकलने के जगह दी। वहाँ ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारी यातायात को नियंत्रित करने में जुटे हुए थे।सेंट्रल पार्क में जमा भीड़ को बम विस्फोट के बाद आराम से बाहर निकाल लिया गया। बम ब्लास्ट की घटना के बाद ही हालांकि अफरातफरी मचने लगी, लेकिन लोगों ने घायलों की मदद के लिए आए पुलिसकर्मियों व स्थानीय निवासियों के साथ मिलकर उन्हें अस्पताल पहुँचाया।
दिल्ली चलती रही अपनी चाल : तमाम चैनलों पर विस्फोट की खबरों के चलने से भले ही सनसनी फैल रही हो, लेकिन दहशत फैलाने के आतंकवादियों के मंसूबों पर दिल्लीवालों ने जरूर पानी फेर दिया। लाल बत्ती पर रुके यातायात के दौरान लोग एक-दूसरे से विस्फोटों के बारे में बताते तो जरूर, लेकिन इसे लोग सामान्य रूप में लेते रहे।
करोल बाग व कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में विस्फोट स्थल से कुछ ही दूरी पर स्थित पार्किंग से लोगों ने आराम से अपने वाहनों को लिया और घर की ओर चल दिए। कनाट प्लेस की ओर आने वाले रास्तों से जब यातायात को मोड़ा जा रहा था तो कहीं कोई भगदड़ जैसी स्थिति नहीं थी। यातायात घुमाव की स्थिति से रोज दो-चार होने वाले दिल्ली के लोगों ने इसे भी सामान्य रूप में लिया। हाँ, यह अलग बात है कि बम विस्फोट का पता लगते ही हर कोई यह बोलता देखा गया कि वह भी अभी-अभी वहाँ था। असल में वे लोग तो भाग्यशाली रहे जो विस्फोट से पहले सेंट्रल पार्क या अन्य स्थानों से चले गए थे, लेकिन कुछ लोगों के यह शाम बहुत मनहूस रही।
Saturday, September 13, 2008
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