Wednesday, September 3, 2008

पुलिस आधुनिकीकरण आयोग पर अब भी है संदेह

राज्यों ने केंद्र को भेजे 800 सुझाव
जोगेन्द्र सोलंकी

नई दिल्ली, देश के 28 राज्यों के अलावा केन्द्र शासित सात राज्यों के पुलिस प्रमुखों ने पुलिस आधुनिकीकरण के लिए गृह मंत्रालय को आठ सौ सुझाव भेजे हैं। सूत्रों का कहना है कि इसमें करीब पचास प्रतिशत सुझाव का प्रारूप काफी मिलता-जुलता है। इसके अलावा जमीनी स्तर पर इन सुझावों का आकलन करने के लिए नेशनल पुलिस कमीशन की कार्यकारी सीमिति ने गृह सचिव की अध्यक्षता में छह बिन्दुओं को माइक्रो मिशन के तहत समाहित किया गया है। मगर इन सुझावों को केन्द्रीय गृह मंत्रालय अमली जामा पहना पाएगा इस पर पुलिस अधिकारियों के एक बड़े तबके को संदेह है।
सूत्रों का कहना है कि पुलिस आयोग स्थानीय निकाय व प्रशासन को सशक्त कर रहा है। मिशन ने समाज के कमजोर तबकों के हित के लिए एक रोड मेप बनाया है। मिशन ने देश और देश के बाहर आतंकवाद, संगठित अपराध के मुकाबले के लिए संसाधनों के उपयोग के लिए एक विस्तृत दृष्टिकोण अपनाया है। मिशन में विज्ञान, उद्योग, मीडिया और अकादमी क्षेत्र के लोग प्रशासिनक एवं नीति निर्धारक विशेषज्ञों की राज्य व केन्द्र में उपस्थिति मिशन को पूरी मजबूती से सामने लाएगा। इसके अलावा पुलिस को प्रशिक्षित करने के लिए कुछ नए प्रशिक्षण स्कूल खोले जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि पुलिस आधुनिकीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बड़ी संख्या में माइक्रो मिशन बनाने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन एक नीति बनाने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों से आने वाले तमाम माइक्रो मिशन को एकीकृत करके एक छत के नीचे लाना होगा। उधर, कई आला अधिकारी पुलिस आधुनिकीकरण के लिए बनाए आयोग की कार्यशैली से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि राज्य पुलिस से प्राप्त सुझावों की परख जमीनी स्तर पर नहीं होती है। यही वजह होती है कि पुलिस आधुनिकीकरण के दिए गए सभी सुझाव केवल दावे बनकर रह जाते हैं। नार्थ ब्लाक के आलीशान कमरों में लिए गए फैसलों के बाद मिलने वाला करोड़ों रुपए का बजट ठीक तरीके से खर्च नहीं हो पाता है। पूर्व आईपीएस अधिकारी रामलिंगम का कहना है कि उनके समय भी केन्द्रीय गृह मंत्रालय को कई तरह के सुझाव दिए गए थे, लेकिन उन पर आज तक अमल नहीं हो सका है। जबकि उन्हें पुलिस सेवा को छोड़े एक दशक से ज्यादा हो चुका है।
दूसरी ओर, बिहार पुलिस से रिटायर अधिकारी अरिहंत प्रसाद बताते हैं कि प्रधानमंत्री की पहल पर संघीय जांच एजेंसी के गठन की मांग उठी थी, लेकिन वह भी मात्र मांग बनकर रह गई है। एक भी राज्य सरकार इस एजेंसी के गठन को लेकर गंभीर नहीं हुई। राज्यों को लगता है इसके बनने से उनकी पुलिस पर केन्द्र सरकार की लगाम कस जाएगी।

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