ठहरने-घूमने की अजीबोगरीब जगहों की कडी में इस बार हम जिस जगह का जिक्र कर रहे हैं, वह वाकई कुछ ज्यादा ही अजीब है। उसक बारे में जानकर कुछ लोग नाक-भौं भी सिकोड सकते हैं। आखिर, जिराफ के घर से लेकर कंदराओं और समुद्र की गहराइयों के बाद अगर हम आपसे एक मोटी सी सीवर पाइपलाइन में रुकने को कहें तो अजीब लगेगा ही। आप ये भी कह सकते हैं कि- यह भी कोई रुकने की जगह हुई? लेकिन जनाब, यह वाकई रुकने की जगह है। यूरोप में ऑस्ट्रिया के लिंज शहर में डेन्यूब नदी के किनारे स्थित दास पार्क होटल पुराने सीवर पाइपों में है। निश्चिंत रहें, इन पाइपों का इस्तेमाल अब सीवर के लिए नहीं होता। लेकिन ये वाकई एक जमाने के सीवर पाइप हैं जो अब कमरों की शक्ल ले चुके हैं। चूंकि छोटे-छोटे पाइप हैं, इसलिए बडी होटलों के शानदार स्वीट की सहूलियतें तो यहां नहीं मिल पाएंगी। लेकिन ये रुकने की बुनियादी जरूरतें जरूर पूरी करते हैं। अगर इन्हें कमरा कहा जाए तो इन कमरों में डबल बेड है, सामान रखने की जगह है, बिजली है, ऊनी कंबल हैं और सूती स्लीपिंग बैग। सीवर पाइप यानी कमरे में बस इतना ही है, बाकी सहूलियतें-जैसे कि टॉयलेट, शॉवर, मिनी बार, कैफेटेरिया वगैरह उस सार्वजनिक परिसर में हैं जिसमें दास पार्क स्थित है। जब भी उनका इस्तेमाल करना हो, कमरे से बाहर जाकर करें। होटल में ऐसे तीन पाइप यानी कमरे हैं। आर्टिस्ट एंड्रियाज स्ट्रॉस ने साधारणता और रिसाइक्लिंग की अनूठी कवायद के तौर पर इस होटल को डिजाइन किया था। उन्होंने दस टन वजनी और साढे छह फुट व्यास वाले तीन मजबूत पाइपों को लिया। उनकी लंबाई इतनी थी कि उनमें एक डबल बेड समा सके। स्ट्रॉस ने पाइप में आसमानी रोशनी के लिए छेद किए। एक सिरा बंद करके दूसरे सिरे पर दरवाजे और इलेक्ट्रॉनिक लॉक लगाए। पाइप की पिछली दीवार को सुंदर कलाकृति की शक्ल दी, बेड व जरूरी सामान जुटाए और तीनों कमरों को डेन्यूब नदी के किनारे घास के मैदान में सजाकर रख दिया। लो हो गई होटल तैयार। इस होटल की एक और अनूठी बात है- यहां ठहरने का कोई किराया नहीं है। होटल की बुकिंग इंटरनेट पर होती है। उपलब्धता के आधार पर मांगी गई तारीखों की बुकिंग मिलती है। एक बार आपकी बुकिंग तय हो जाए तो फिर ई-मेल से ही आपको एक सिक्योरिटी कोड भेज दिया जाता है। यह सिक्योरिटी कोड आपके वहां पहुंचने के दिन दोपहर बाद तीन बजे से वापसी के दिन दोपहर 12 बजे तक प्रभावी रहता है। आप जाएं और कमरे के बाहर लगे इलेक्ट्रॉनिक ताले को सिक्योरिटी कोड से खोल लें। बाहर आते-जाते उसी कोड का इस्तेमाल करें। कमरे का किराया नहीं है, लेकिन आप अपनी इच्छा से जो चाहें राशि यूरो मुद्रा में छोड सकते हैं जिसके जरिये आप संचालकों की मदद करना चाहते हों। यह होटल केवल मई से अक्टूबर तक खुला होता है। बाकी समय यूरोप में कडाके की सर्दियों का होता है, इसलिए सीमेंट व कंक्रीट के पाइप में बगैर गरम होने के किसी इंतजाम के, रुकना मुमकिन नहीं। इसलिए अगर ऑस्ट्रिया जा रहे हैं जो वहां के तीसरे सबसे बडे शहर लिंज में इस अनूठी होटल का अनुभव जरूर लें। याद रहे, लिंज ऐतिहासिक व सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध शहर है। दास पार्क होटल में ठहरने का अनुभव भव्य नहीं लेकिन यादगार जरूर हो सकता है।
Sunday, September 28, 2008
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