बहुचर्चित आरुषि हत्याकांड |
नई दिल्ली,। नोएडा के बहुचर्चित आरुषि हत्याकांड में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई)ने मंगलवार को कहा कि वह इस मामले में आरोप पत्र दाखिल नहीं करेगा और इसके तीनों आरोपियों की जमानत का भी विरोध नहीं करेगा। सीबीआई को इस मामले में पहली गिरफ्तारी के बाद 90 दिन की समयसीमा पूरी होने से पहले 10 सितम्बर तक आरोप पत्र दखिल करना था। सीबीआई ने इस मामले में सबसे पहले 23 मई को आरुषि के पिता डॉक्टर राजेश तलवार को गिरफ्तार किया था।
सीबीआई की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को ही आरुषि एवं उसके नौकर हेमराज की हत्या के आरोपी राजकुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी।
बचाव पक्ष के वकील की दलील थी कि सीबीआई के पास राजकुमार के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। परंतु सीबीआई के वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि जांच अभी जारी है तथा राजकुमार के फरार होने की भी संभावना है।उल्लेखनीय है कि नोएडा के जलवायु विहार में गत 16 मई को आरुषि तलवार की हत्या कर दी गई थी। पहले हत्या का शक घर के नौकर हेमराज पर गया था लेकिन हेमराज का शव भी बरामद होने से मामला पेचीदा हो गया था। इस मामले में सबसे पहले आरुषि के पिता राजेश तलवार की गिरफ्तारी हुई लेकिन बाद में उनको जमानत मिल गई। इसके बाद सीबीआई ने नार्को परीक्षण के आधार पर राजेश के कंपाउंडर कृष्णा, और दो अन्य नौकरों राजकुमार तथा विजय मंडल को गिरफ्तार किया था।विजय मंडल को चार सितम्बर को जमानत मिल गई थी जबकि कृष्णा की जमानत याचिका पर 19 सितंबर को सुनवाई होगी। गाजियाबाद,नोएडा के बहुचर्चित आरुषि हत्याकांड में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने मंगलवार को आरोपी राजकुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी।सीबीआई की विशेष मजिस्ट्रेट सपना मिश्रा द्वारा जमानत याचिका खारिज किए जाने से पहले बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि सीबीआई के पास राजकुमार के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। परंतु सीबीआई के वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि जांच अभी जारी है तथा राजकुमार के फरार होने की भी संभावना है। उल्लेखनीय है कि नोएडा के जलवायु विहार में गत 16 मई को आरुषि तलवार की हत्या कर दी गई थी। पहले हत्या का शक घर के नौकर हेमराज पर गया था लेकिन हेमराज का शव भी बरामद होने से मामला पेचीदा हो गया था।इस मामले में सबसे पहले आरुषि के पिता राजेश तलवार की गिरफ्तारी हुई लेकिन बाद में उनको जमानत मिल गई। इसके बाद सीबीआई ने नारको परीक्षण के आधार पर राजेश के कंपाउंडर कृष्णा, और दो अन्य नौकरों राजकुमार तथा विजय मंडल को गिरफ्तार किया था।
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